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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के दायरे से आयुष पद्धतियां जैसे आयुर्वेद (Ayurveda), योग (Yoga), यूनानी (Unani), होम्योपैथी (Homeopathy), और सिद्दा (Siddha) लगातार बाहर होती जा रही हैं। खासकर, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना (Mukhyamantri Ayushman Arogya Yojana) में आयुष सेंटर को विशेष कवरेज नहीं मिल पाया है। अब, राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए संचालित राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) (Rajasthan Government Health Scheme - RGHS) के विलय की चर्चा ने निजी आयुष सेंटर को और भी चिंतित कर दिया है।
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आरजीएचएस का विलय हुआ तो स्थिति विकट
अगर आरजीएचएस का विलय मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में होता है, तो यह आयुष पद्धतियों के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है। इससे आयुष पद्धतियां लगभग पूरी तरह बीमा योजनाओं से बाहर हो जाएंगी। हाल ही में आरजीएचएस में घोटाले सामने आने के बाद, प्रशासन ने आयुर्वेद के पोर्टल और डे-केयर इलाज को बंद कर दिया था, जिससे आयुष पद्धतियों को फिर से स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से बाहर कर दिया गया है।
इस बारे में भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा महासंघ के संयोजक डॉ. रामवअतार शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में आयुष पद्धति के निजी अस्पतालों को भी शामिल किया जाए। आरजीएचएस पोर्टल पर आयुष फिर शुरू हो, जिससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को लाभ मिले। डे-केयर योजना भी फिर शुरू होनी चाहिए।
बीमा कवरेज नहीं होने से परेशानी
आरजीएचएस के तहत, पहले आयुष के लिए डे-केयर सेवाएं उपलब्ध थीं, लेकिन अब इसके लिए 24 घंटे भर्ती करना अनिवार्य कर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदय, अस्थमा, गठिया और लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं में मरीज लंबे समय तक आयुष उपचार कराना पसंद करते हैं। लेकिन बीमा कवरेज न होने के कारण उन्हें इलाज का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता है।
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निजी आयुष अस्पतालों में बीमा सुविधा का अभाव
राजधानी जयपुर में करीब एक दर्जन आयुष अस्पताल हैं और पूरे प्रदेश में लगभग 40-50 ऐसे अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिनमें विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध हैं। हालांकि, इनमें बीमा सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे मरीजों को अपनी पूरी राशि खुद वहन करनी पड़ती है। निजी आयुष अस्पतालों के संचालकों का कहना है कि वे लंबे समय से बीमा कंपनियों से कवरेज की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
आयुष उपचार क्या है?
आयुष के घटक
आयुष की मुख्य विशेषताएँ
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आयुर्वेदिक चिकित्सक संघ का विरोध
आयुर्वेदिक चिकित्सक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर राज्य सरकार अन्य निजी अस्पतालों को बीमा योजनाओं से जोड़ सकती है तो आयुष अस्पतालों को क्यों वंचित रखा जा रहा है? उनका मानना है कि आयुष पद्धति का लाभ समाज के अंतिम छोर तक तभी पहुंच सकता है, जब इसे स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में समान रूप से शामिल किया जाए।
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आयुष पद्धतियों के लाभ क्या हैं?
राज्य में लगभग 10,000 से अधिक आयुष पंजीकृत चिकित्सक निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश चिकित्सक ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा और बीकानेर जैसे शहरों में बड़े स्तर पर आयुर्वेदिक और पंचकर्म अस्पताल संचालित हो रहे हैं। हालांकि, बीमा योजनाओं के अभाव में इनकी पहुंच आम जनता तक सीमित हो गई है।
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बीमा से जुड़ेंगे निजी अस्पताल तो लोगों को फायदा
भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा महासंघ के संयोजक डॉ. रामवअतार शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि आयुष पद्धति के निजी आयुष अस्पतालों को मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आरजीएचएस पोर्टल पर आयुष सेवाएं फिर से शुरू की जाएं, ताकि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को भी इस सुविधा का लाभ मिल सके। इसके साथ ही, डे-केयर योजना को फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
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