राजस्थान में आयुष उपचार के साथ भेदभाव, बीमा का नहीं लाभ, लाखों कर्मचारी-पेंशनर्स परेशान

राजस्थान में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से आयुष पद्धतियां (आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी और सिद्धा) बाहर हो रही हैं। आयुष के अस्पतालों को बीमा कवरेज की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के दायरे से आयुष पद्धतियां जैसे आयुर्वेद (Ayurveda), योग (Yoga), यूनानी (Unani), होम्योपैथी (Homeopathy), और सिद्दा (Siddha) लगातार बाहर होती जा रही हैं। खासकर, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना (Mukhyamantri Ayushman Arogya Yojana) में आयुष सेंटर को विशेष कवरेज नहीं मिल पाया है। अब, राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए संचालित राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) (Rajasthan Government Health Scheme - RGHS) के विलय की चर्चा ने निजी आयुष सेंटर को और भी चिंतित कर दिया है।

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आरजीएचएस का विलय हुआ तो स्थिति विकट

अगर आरजीएचएस का विलय मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में होता है, तो यह आयुष पद्धतियों के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है। इससे आयुष पद्धतियां लगभग पूरी तरह बीमा योजनाओं से बाहर हो जाएंगी। हाल ही में आरजीएचएस में घोटाले सामने आने के बाद, प्रशासन ने आयुर्वेद के पोर्टल और डे-केयर इलाज को बंद कर दिया था, जिससे आयुष पद्धतियों को फिर से स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से बाहर कर दिया गया है।

इस बारे में भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा महासंघ के संयोजक डॉ. रामवअतार शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में आयुष पद्धति के निजी अस्पतालों को भी शामिल किया जाए। आरजीएचएस पोर्टल पर आयुष फिर शुरू हो, जिससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को लाभ मिले। डे-केयर योजना भी फिर शुरू होनी चाहिए।

बीमा कवरेज नहीं होने से परेशानी

आरजीएचएस के तहत, पहले आयुष के लिए डे-केयर सेवाएं उपलब्ध थीं, लेकिन अब इसके लिए 24 घंटे भर्ती करना अनिवार्य कर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदय, अस्थमा, गठिया और लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं में मरीज लंबे समय तक आयुष उपचार कराना पसंद करते हैं। लेकिन बीमा कवरेज न होने के कारण उन्हें इलाज का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता है।

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निजी आयुष अस्पतालों में बीमा सुविधा का अभाव

राजधानी जयपुर में करीब एक दर्जन आयुष अस्पताल हैं और पूरे प्रदेश में लगभग 40-50 ऐसे अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिनमें विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध हैं। हालांकि, इनमें बीमा सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे मरीजों को अपनी पूरी राशि खुद वहन करनी पड़ती है। निजी आयुष अस्पतालों के संचालकों का कहना है कि वे लंबे समय से बीमा कंपनियों से कवरेज की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

आयुष उपचार क्या है?

  • आयुष क्या है?
    आयुष, भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों का एक समूह है, जिसमें आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होमियोपैथी शामिल हैं। यह समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जो प्राकृतिक उपचारों और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों का इलाज करने पर जोर देता है। आयुष उपचार भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है, जो आज भी लाखों लोगों को प्राकृतिक और प्रभावी इलाज प्रदान कर रहा है।

आयुष के घटक

  • आयुर्वेद:
    यह भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जो 5000 साल से अधिक समय से प्रचलित है। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, तेलों, और जीवनशैली के सुझावों के माध्यम से शरीर और मन का संतुलन बनाए रखता है।

  • योग और प्राकृतिक चिकित्सा:
    यह शारीरिक और मानसिक अभ्यासों का एक समग्र तरीका है, जो शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित करता है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा का उद्देश्य आत्म-चिकित्सा और ताजगी लाना है।

  • यूनानी:
    यह प्राचीन यूनानी चिकित्सा पद्धतियों से प्रेरित एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर में तरल संतुलन बनाए रखने पर आधारित है।

  • सिद्ध:
    यह दक्षिण भारत की एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर में संतुलन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक पदार्थों और जड़ी-बूटियों का उपयोग करती है।

  • होमियोपैथी:
    यह 18वीं शताब्दी में विकसित एक चिकित्सा पद्धति है, जो "समान का समान द्वारा उपचार" के सिद्धांत पर आधारित है। यह सूक्ष्म खुराकों में उपचार प्रदान करती है, जो शरीर की स्वाभाविक उपचार क्षमता को उत्तेजित करती है।

आयुष की मुख्य विशेषताएँ

  • समग्र स्वास्थ्य का ध्यान:
    आयुष चिकित्सा केवल बीमारी का इलाज करने की बजाय व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को एक साथ देखती है।

  • प्राकृतिक उपचार:
    आयुष में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उपचार विधियों का इस्तेमाल होता है, जो दवाओं के मुकाबले अधिक सुरक्षित और प्रभावी माने जाते हैं।

  • कम दुष्प्रभाव:
    आयुष उपचारों के दुष्प्रभाव एलोपैथी (पारंपरिक चिकित्सा) की तुलना में बहुत ही कम या नगण्य होते हैं।

  • भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त:
    आयुष मंत्रालय इन सभी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देता है, और इन्हें भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक संघ का विरोध

आयुर्वेदिक चिकित्सक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर राज्य सरकार अन्य निजी अस्पतालों को बीमा योजनाओं से जोड़ सकती है तो आयुष अस्पतालों को क्यों वंचित रखा जा रहा है? उनका मानना है कि आयुष पद्धति का लाभ समाज के अंतिम छोर तक तभी पहुंच सकता है, जब इसे स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में समान रूप से शामिल किया जाए।

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आयुष पद्धतियों के लाभ क्या हैं?

राज्य में लगभग 10,000 से अधिक आयुष पंजीकृत चिकित्सक निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश चिकित्सक ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा और बीकानेर जैसे शहरों में बड़े स्तर पर आयुर्वेदिक और पंचकर्म  अस्पताल संचालित हो रहे हैं। हालांकि, बीमा योजनाओं के अभाव में इनकी पहुंच आम जनता तक सीमित हो गई है।

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बीमा से जुड़ेंगे निजी अस्पताल तो लोगों को फायदा

भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा महासंघ के संयोजक डॉ. रामवअतार शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि आयुष पद्धति के निजी आयुष अस्पतालों को मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना में भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आरजीएचएस पोर्टल पर आयुष सेवाएं फिर से शुरू की जाएं, ताकि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स  को भी इस सुविधा का लाभ मिल सके। इसके साथ ही, डे-केयर योजना को फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।

FAQ

1. राजस्थान में आयुष पद्धतियों को स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से बाहर क्यों रखा जा रहा है?
राजस्थान में आयुष पद्धतियों को स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से बाहर रखा जा रहा है क्योंकि आयुष पद्धतियों के अस्पतालों को बीमा कंपनियों से कवरेज प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे इन अस्पतालों के इलाज का पूरा खर्च मरीजों को खुद उठाना पड़ता है।
2. क्या आरजीएचएस में आयुष पद्धतियों को फिर से शामिल किया जाएगा?
इस बारे में अभी कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आयुष पद्धतियों को आरजीएचएस में फिर से शामिल किया जाना चाहिए, ताकि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को इसका लाभ मिल सके।
3. आयुष पद्धतियों का उपचार किस प्रकार की बीमारियों के लिए लाभकारी है?
आयुष पद्धतियां विशेष रूप से मधुमेह, हृदय रोग, अस्थमा, गठिया और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों में प्रभावी हैं। इन बीमारियों में मरीज लंबे समय तक आयुष उपचार कराना पसंद करते हैं।
4. आयुष पद्धतियों को बीमा योजनाओं में क्यों शामिल किया जाना चाहिए?
आयुष पद्धतियों को बीमा योजनाओं में शामिल करना समाज के हर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाओं का समान अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक है। इससे इलाज की पहुंच ज्यादा लोगों तक हो सकेगी।
5. क्या राजस्थान में आयुष पद्धतियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों को बीमा कवरेज मिलेगा?
यह अभी भी एक लंबा मुद्दा है, लेकिन यदि सरकार और बीमा कंपनियां इसे गंभीरता से लेते हैं, तो भविष्य में आयुष पद्धतियों के निजी अस्पतालों को बीमा कवरेज मिल सकता है।

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