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Photograph: (the sootr)
Bharatpur. राजस्थान के भरतपुर जिले का केंद्रीय रोडवेज बस स्टैंड लंबे समय से जर्जर स्थिति में है। यह पूर्वी राजस्थान का प्रमुख परिवहन केंद्र है, जहां हर दिन लगभग 15 हजार यात्री यात्रा करते हैं। यहां की सुविधाएं यात्रियों की उम्मीदों से बहुत दूर हैं। वर्षों पुराना जर्जर भवन बंद कर दिया गया है, लेकिन अब तक इसका जीर्णोद्धार शुरू नहीं किया गया है। इसके बजाय पूरी बस स्टैंड की कार्यवाही अस्थायी टीन शेड के नीचे की जा रही है।
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कच्ची सुविधाएं और अस्थायी व्यवस्थाएं
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले के बस स्टैंड की हालत इतनी खराब है कि यात्रियों को न तो बैठने के लिए उचित व्यवस्था मिल रही है, ना ही साफ-सफाई का ध्यान रखा जा रहा है। गर्मी में टीन शेड भट्ठी का रूप ले लेता है, जबकि सर्दी और बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है। शौचालयों की नियमित सफाई नहीं होती और पेयजल की सप्लाई भी कभी भी बाधित हो जाती है।
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लापरवाही और ठोस कदमों की कमी
राज्य परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि बस स्टैंड के नए भवन के निर्माण के लिए स्वीकृति और बजट का इंतजार किया जा रहा है। 2017 में कांग्रेस सरकार के समय 4 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी, लेकिन वह भी इस परियोजना के लिए नाकाफी साबित हुई। अब तक इस मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
यात्रियों की बढ़ती परेशानियां
यात्रियों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। यात्रियों का कहना है कि यहां बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है और शौचालय भी गंदे रहते हैं। गर्मी और बारिश में स्थिति और भी खराब हो जाती है। टीन शेड में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है और उन्हें बसों के समय की सही जानकारी भी नहीं मिल पाती।
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मॉडल बस स्टैंड की योजना
कुछ समय पहले भरतपुर बस स्टैंड को नाथद्वारा बस स्टैंड की तर्ज पर एक मॉडल बस स्टैंड में बदलने की योजना बनाई गई थी। इसमें आधुनिक प्रतीक्षालय, शॉपिंग एरिया, फूड कोर्ट, पार्किंग और अन्य सुविधाओं का प्रस्ताव था। यह योजना जल्द ही ठंडे बस्ते में चली गई और अब तक इसके लिए कोई ठोस बजट या निर्माण आदेश जारी नहीं हुआ है।
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खास बातें
- सीएम भजनलाल के गृह जिले में सुविधाओं को तरसता बस स्टैंड। जर्जर भवन को बंद कर दिया गया है और अब अस्थायी टीन शेड में कार्य हो रहा है। यात्रियों को सुविधाओं का अभाव है।
- पहले नया भवन बनाने की योजना थी, लेकिन अब तक इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सरकार और विभाग से बजट और स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है।
- यात्रियों को बैठने की व्यवस्था नहीं मिल रही है, शौचालय गंदे रहते हैं। पेयजल की सप्लाई भी असामान्य रहती है। बसों के समय की जानकारी भी सही नहीं मिल पाती।
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