वंशवाद की बेल को पनपाने में न कांग्रेस पीछे और ना भाजपा, मौका मिलते ही सबने अपनों को किया सेटल

राजस्थान में वंशवाद की राजनीति की बेल खूब पनप रही है। इसे पनपाने में न कांग्रेस पीछे है और ना ही भाजपा। प्रदेश में सभी दलों के 9 सांसद और 29 विधायक वंशवादी राजनीति का हिस्सा हैं। इस पर विचार किए जाने की जरूरत है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में वंशवादी राजनीति के चलते भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में वंशवाद की जड़ें गहरी हो गई हैं। यहां तक कि राज्य में कुल 9 सांसद और 29 विधायक वंशवादी राजनीति का हिस्सा हैं, जिनमें भाजपा और कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं। इन नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों को आगे बढ़ाकर इस परंपरा को और मजबूत करने का काम किया है, जबकि होना इसके उलट चाहिए था।

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भाजपा में ये नेता वंशवादी

किरोड़ीलाल मीणा, राजेंद्र मीणा, गोलमा देवी, विश्वराज सिंह मेवाड़, महिमा कुमारी मेवाड़, शैलेश दिगंबर सिंह, सिद्धि कुमारी, कृष्ण कुमार विश्नोई, अंशुमन सिंह भाटी, कल्पना देवी, जगत सिंह, रामस्वरूप लांबा, हेमंत मीणा, दीप्ति किरण माहेश्वरी, शांता अमृतलाल मीणा, झाबर सिंह खर्रा, दीया कुमारी, अरुण चौधरी, मंजू शर्मा, गुरवीर सिंह और अतुल भंसाली।

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कांग्रेस में इनका नाम

विरेंद्र सिंह, शोभारानी कुशवाह, रुपिंदर सिंह कुन्नर, राहुल कस्वां, बृजेंद्र सिंह ओला, कुमारी रीटा चौधरी, हरेंद्र मिर्धा, सुशीला रामेश्वर डूडी, रोहित बोहरा, नीरज डांगी, अनिल कुमार शर्मा, मनोज कुमार मेघवाल, सचिन पायलट और हरीश चंद्र मीणा। वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल और निर्दलीय विधायक प्रियंका चौधरी भी वंशवाद की उपज हैं।

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जिसको मौका मिला, लाभ उठाया

चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस या फिर अन्य नेता। सभी वंशवाद में आकंठ डूबे हुए हैं। जिसको जहां मौका मिला, उसने अपने परिवार को सेटल कर दिया। वंशवादी राजनीति को दूर करने का सभी नेता दावा करते हैं, लेकिन दूर कोई नहीं कर पाता। इसके उलट जिसे मौका मिलता है, अपने परिवार के सदस्य को टिकट दिलाने की वकालत कर देता है। 

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डोटासरा का गोलमोल जवाब

विपक्षी नेताओं का कहना है कि वंशवादी राजनीति का प्रभाव लोकतंत्र की निचली पंक्तियों तक नहीं पहुंचने देता। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि राजनीति का उद्देश्य जनता की सेवा करना है। अगर कोई नेता ईमानदारी से काम करता है, तो उसे जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। वे कांग्रेस के वंशवाद पर कुछ नहीं बोल पा रहे। 

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राठौड़ ने औचित्य नहीं बताया

वहीं राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि वंशवाद या परिवारवाद से राजनीति में आने का कोई औचित्य नहीं है। इस प्रकार के नेताओं को सिर्फ योग्यता के आधार पर ही राजनीति में आना चाहिए। हालांकि डोटासरा भाजपा के वंशवाद पर कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। वे इस पर भी बोलते, तो बेहतर लगता। 

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