जिस दिन सुधांश पंत हटे, उसी दिन तय हो गई थी आईएएस शिखर अग्रवाल की सीएमओ से विदाई

राजस्थान में 48 IAS अफसरों के तबादले ने ब्यूरोक्रेसी की दिशा मोड़ दी है। सीएम ऑफिस से शिखर अग्रवाल हटे और उनकी जगह अखिल अरोड़ा को मुख्य जिम्मेदारी मिली। आइए जानते हैं, अग्रवाल के हटने की पूरी कहानी…

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Amit Baijnath Garg
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shikhar agrawal

Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में 7 दिनों के भीतर दो बड़े घटनाक्रम हुए। पहला 14 नवंबर को मुख्य सचिव सुधांश पंत का बीच कार्यकाल में ही दिल्ली ट्रांसफर हो जाना। इसके बाद 21 नवंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से शिखर अग्रवाल का भी बाहर होना।

आमतौर पर सरकार और नेताओं में गुटबाजी की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन इस बार अफसरों खासकर उच्च स्तरीय ब्यूरोक्रेसी में गुटबाजी सार्वजनिक रूप से सामने आई। 

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समानांतर सरकार का आरोप

हालत ऐसी बनी कि महत्वपूर्ण विभागीय फाइलें मुख्य सचिव को बायपास कर सीधे सीएमओ तक पहुंचने लगीं। यह भी चर्चा रही कि सीएमओ के निकटस्थ अधिकारियों को प्रमुख पदों के साथ एक से अधिक विभाग भी सौंपे गए। इस मसले पर आरोप लगे कि सुधांश पंत दिल्ली से आने के कारण समानांतर सरकार चला रहे थे। नए मुख्य सचिव के रूप में आईएएस वी. श्रीनिवास को नियुक्त किया गया है।  

5 प्वाइंट में समझें पूरा मामला

  1. राजस्थान में 48 IAS अफसरों का बड़े स्तर पर तबादला हुआ।
  2. शिखर अग्रवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय से हटाया गया है।
  3. अनकी जगह अखिल अरोड़ा को नई जिम्मेदारी CMO में मिली है।
  4. कई सीनियर अफसरों को अन्य विभागों में भेजा गया है।
  5. इन बदलावों के पीछे प्रशासनिक संतुलन मुख्य वजह मानी जा रही है।

सीएम ऑफिस से शिखर अग्रवाल की विदाई क्यों?

मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे आईएएस शिखर अग्रवाल का तबादला उद्योग विभाग में कर दिया गया है। सीएमओ से उनकी विदाई के कई मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि सीएमओ के अफसरों और मुख्य सचिव रहे पंत के विवाद के बाद यह सूची आई है।

ऐसे में पहले सुधांश पंत के दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद शिखर को भी हटा दिया गया। नए मुख्य सचिव के काम संभालने के बाद शिखर के लिए जगह कम होती गई।

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अखिल अरोड़ा को भरोसे की कमान

आईएएस अखिल अरोड़ा 1993 बैच के अफसर हैं। उन्होंने पहले भी कई सरकारों में बड़ी जिम्मेदारी संभाली है। जलदाय विभाग से सीधे सीएम ऑफिस लाया गया। उन्हें योजनाएं लागू करने में तेज और भरोसेमंद माना जाता है। प्रशासन चाहता था कि सीएम ऑफिस की कार्य प्रणाली में अनुशासन आए। इसके लिए अरोड़ा को मुफीद माना गया।

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पंत ने रोक दिया था नाम 

मुख्य सचिव बनने के बाद पंत की नजर JDA पर थी। निरीक्षण के दौरान उन्होंने लेटलतीफी के कारण एक IAS और दो RAS अधिकारियों को निलंबित किया था। इसके बाद वहां आयुक्त और सचिव पद पर दो महिला IAS अधिकारियों को नियुक्त किया गया, लेकिन विवाद होने पर एक महिला अधिकारी को हटाना पड़ा। फिर दूसरे अधिकारी की नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ गया। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने JDC के लिए एक नाम भेजा, मगर पंत ने उसे रोक दिया।

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सरकार की छवि पर बुरा असर पड़ा

फरवरी, 2024 में शिखर अग्रवाल और आलोक गुप्ता को CMO में जिम्मेदारी मिली, जहां आरएसएस चाहती थी कि गुप्ता वहां नियुक्त हों, लेकिन जून में गुप्ता को CMO से हटा दिया गया, वे पंत के करीबी माने जाते थे। अफसरों की इस लड़ाई का असर मंत्रियों तक भी पहुंचा। वे खुलकर अफसरों के खिलाफ बोलने लगे। यहां तक कि मंत्री और डिप्टी सीएम के आदेश भी अफसर बदल देते थे, जिससे सरकार की छवि पर बुरा प्रभाव पड़ा।

अर्चना सिंह को APO कर दिया

25 सितंबर को बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री से पंत की मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा पीएम को बताई और संभवतः कुछ आश्वासन भी मिले, जिससे उनकी सक्रियता कम दिखी। उसी दिन पीएम की सभा के प्रसारण में तकनीकी खराबी के बहाने डीओआईटी सचिव अर्चना सिंह को APO कर दिया गया। इसे विरोधी गुट द्वारा दबाव बनाकर कराया गया माना गया। 

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आलोक गुप्ता : साइडलाइन और छुट्टी का कारण

अब करीब साढ़े पांच महीने पहले सीएमओ से आईएएस आलोक गुप्ता की विदाई को भी इसी विवाद से ही जोड़कर देखा जा रहा है। आलोक गुप्ता का पहले तबादला उद्योग विभाग में हुआ था। बाद में उन्होंने लंबी छुट्टी ली। लौटने के बाद वे एक्टिव नहीं थे। सरकार ने उन्हें अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल का अध्यक्ष बनाया है, जो कम प्रभावशाली पद है।

FAQ

Q1. शिखर अग्रवाल को सीएम ऑफिस से क्यों हटाया गया?
A. सीएम ऑफिस में असहमति और नई टीम लाने की योजना वजह बनी।
Q2. 48 IAS तबादले किसके कार्यकाल में हुए?
A. नए मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास के नेतृत्व में।
Q3. इन बदलावों से प्रशासन में क्या असर पड़ेगा?
A. प्रशासन में अनुशासन, पारदर्शिता और नई ऊर्जा लाने का प्रयास है।

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