नए मुख्य सचिव श्रीनिवास बनाएंगे अपनी टीम, बदलेंगे ब्यूरोक्रेसी का चेहरा, गुटबाजी से निपटना बड़ी चुनौती

वी. श्रीनिवास सोमवार को संभालेंगे राजस्थान के मुख्य सचिव का पद। पीएमओ के विश्वस्त माने जाने वाले श्रीनिवास के सामने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में गुटबाजी को दूर करना बड़ी चुनौती। वहीं पावर सेंटर की लड़ाई पर पार पाना भी आसान काम नहीं।

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Rakesh Kumar Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. वरिष्ठ आईएएस वी. श्रीनिवास राजस्थान के नए मुख्य सचिव बन गए हैं। राजस्थान सरकार ने इसके आदेश रविवार को जारी कर दिए हैं। मौजूदा मुख्य सचिव सुधांश पंत से सोमवार को श्रीनिवास पदभार ग्रहण करेंगे। नए मुख्य सचिव के साथ ही प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में भी जल्द ही नया बदलाव देखने को मिलेगा। शासन के कार्यक्रमों और योजनाओं को गति देने, केन्द्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय को लेकर श्रीनिवास अपनी टीम बनाएंगे। 

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करेंगे ब्यूरोक्रेसी की सर्जरी

श्रीनिवास प्रमुख विभागों के सचिव बदल सकते हैं। खासकर सीएमओ से लेकर जिला स्तर तक बदलाव देखने को मिल सकता है। 1989 बैच के आईएएस श्रीनिवास 31 अगस्त, 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। उनका 9 महीने का कार्यकाल रहेगा। एक साल का कार्यकाल बढ़ भी सकता है। 9 महीने बाद श्रीनिवास को केंद्र सेवा विस्तार दे सकता है। बशर्तें कि वे केंद्र और राज्य के मुताबिक सुशासन और विकास के तौर पर अच्छे रिजल्ट दे पाए तो।

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केंद्र में तैनाती का मिला फायदा

मुख्य सचिव श्रीनिवास सात साल से केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर थे। मुख्य सचिव बनाने के लिए तीन दिन पहले ही उन्हें केन्द्र सरकार ने रिलीव किया है। मुख्य सचिव की दौड़ में सीनियर आईएएस अभय कुमार, अखिल अरोड़ा और तन्मय कुमार भी रहे, लेकिन वे इस पद के लिए लॉबिंग नहीं कर पाए। श्रीनिवास को केंद्र में तैनाती का फायदा मिला है। 

पीएमओ की पहली पसंद बने

श्रीनिवास को सात साल तक दिल्ली में केंद्र सरकार के विभिन्न पदों पर काम करने का फायदा मिला। इससे उनकी प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात अधिकारियों से नजदीकी रही है। वरिष्ठता के लिहाज से भी श्रीनिवास ही मुख्य सचिव की रेस में सबसे आगे थे। इनसे सीनियर सुबोध अग्रवाल 31 दिसंबर, 2025 को, तो शुभ्रा सिंह जनवरी, 2026 में सेवानिवृत्त हो रही हैं। ऐसे में श्रीनिवास पीएमओ की पसंद बने।

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मात्र 22 साल की उम्र में बने आईएएस

श्रीनिवास मात्र 22 साल की उम्र में आईएएस बन गए थे। वे राजस्थान में कई जिलों के कलेक्टर रहे। साथ ही रेवेन्यू, हाउसिंग बोर्ड समेत प्रमुख विभागों में सचिव पद पर रहे। सात साल से दिल्ली में भी विदेश मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, डीआईओपी जैसे विभाग में रह चुके हैं। 

जसवंत सिंह के निजी सहायक भी रहे

श्रीनिवास पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के निजी सहायक भी रहे हैं। 2025 को बेल्जियम में एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी जनरल असेंबली मीटिंग में हुए चुनाव में श्रीनिवास को 141 में से 87 वोट मिले। ऑस्ट्रिया के कैंडिडेट को सिर्फ 54 वोट मिले। पहली बार किसी भारतीय ने प्रेसिडेंट का चुनाव जीता। वे 2025-28 के लिए इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव साइंसेज के अध्यक्ष हैं।

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सामने ये रहेंगी चुनौतियां

श्रीनिवास के सामने कई तरह की चुनौतियां रहेंगी। दो साल के भाजपा सरकार के शासन काल में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने, जनता की सुनवाई नहीं होने, विकास कार्यों की धीमी गति और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की खूब शिकायतें हैं। भाजपा के विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधि भी नौकरशाही के हावी होने और काम नहीं होने की शिकायतें सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं। 

नौकरशाही को पटरी पर ला पाएंगे!

श्रीनिवास के सामने नौकरशाही को पटरी पर लाना, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती है। साथ ही जनता की सुनवाई और कार्य समय पर हो, इसकी पालना सुनिश्चित करवाना भी बड़ा कार्य है। सरकार के कार्यक्रमों, विकास कार्यों और केन्द्र की योजनाओं को तय समय में अच्छी तरह से लागू करवाना भी बड़ी चुनौती है। हाल ही अंता उपचुनाव में भाजपा की हार का बड़ा कारण भी विकास कार्य नहीं होना बताया जा रहा है।

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दो पावर सेंटर और गुटबाजी

मौजूदा मुख्य सचिव सुधांश पंत करीब दो साल तक मुख्य सचिव रहे। हालांकि उनका कार्यकाल 13 महीने बचा हुआ है। पंत के अचानक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। बताया जा रहा है कि एक साल के दौरान ब्यूरोक्रेसी दो शक्ति केन्द्रों में बंट चुकी थी।

एक पावर सेंटर मुख्य सचिव, तो दूसरा सीएमओ बन चुका था। मुख्य सचिव की सीएमओ में तैनात एक सीनियर आईएएस से पटरी नहीं बैठ रही थी। पंत और उनके कार्यालय को बायपास करके फाइलें सीधी मंगवाई जाने लगी थी। 

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पोस्टिंग-ट्रांसफर से नाराजगी

वहीं पंत की जानकारी के बिना पोस्टिंग-ट्रांसफर भी होने लगे। ब्यूरोक्रेसी में इस गुटबाजी और दो पावर सेंटर से पंत ने खफा होकर दिल्ली जाने का फैसला किया।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि नए मुख्य सचिव श्रीनिवास पावर सेंटर को खत्म कर पाएंगे! ब्यूरोक्रेट्स में गुटबाजी खत्म हो पाएगी। अलग-अलग पावर सेंटर से कामकाज प्रभावित होना तय है। ऐसे में श्रीनिवास के सामने ब्यूरोक्रेसी में गुटबाजी को खत्म करना और पावर सेंटर एक ही रखना बड़ी चुनौती रहेगी।

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दिखेगा ब्यूरोक्रेसी में बदलाव

नए मुख्य सचिव श्रीनिवास अपनी नई टीम बनाएंगे। इसके लिए उन्हें ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव करना पड़ सकता है। हालांकि यह तभी संभव है, जब वे मुख्यमंत्री को विश्वास में ले पाएंगे।

दूसरा आईएएस के दिल्ली ट्रांसफर होने से बहुत से अधिकारियों के पास दो से चार विभागों का अतिरिक्त चार्ज चल रहा है। 50 आईएएस ऐसे हैं, जिनके पास कई विभागों का अतिरिक्त चार्ज है। कुछ के पास ज्यादा काम नहीं है। 20 प्रमोटी अधिकारी भी पोस्टिंग के इंतजार में हैं।

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