दो शक्ति केंद्र बनने से असहज हुए थे सुधांश पंत, लगातार अनदेखी के चलते दिल्ली का रास्ता चुना

राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में बड़े धमाके की बात कहने वाले मुख्य सचिव सुधांश पंत का दिल्ली ट्रांसफर बना चर्चा का विषय। सीएमओ और मुख्य सचिव के बीच तालमेल-समन्वय की कमी और पावर की लड़ाई सामने आई।

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Rakesh Kumar Sharma
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sudhansh pant

Photograph: (the sootr)

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Jaipur. आखिर राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत ने बड़ा धमाका कर ही दिया। उनका दिल्ली में सामाजिक व न्याय अधिकारिता में सचिव पद पर ट्रांसफर हो गया है। राजस्थान के वे दूसरे मुख्य सचिव हैं, जो इस पद पर रहते हुए केंद्र सरकार में जा रहे हैं।

राजस्थान में भाजपा सरकार बनते ही केंद्र सरकार ने सुधांश पंत को मुख्य सचिव बनाकर भेजा था। अब 22 महीने बाद ही केन्द्र सरकार ने फिर से उन्हें वापस बुला लिया है, जबकि अभी उनके रिटायरमेंट में 13 महीने बचे हुए हैं। 

आखिर चली किसकी मर्जी?

पंत अपनी मर्जी से केन्द्र की सेवा में जा रहे हैं या केन्द्र सरकार ने उन्हें उपयोगी मानते हुए वापस बुलाया है, यह तो वे जानें या सरकार, लेकिन अचानक मुख्य सचिव के दिल्ली में जाने से ब्यूरोक्रेसी और राजस्थान की जनता में यह बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में उनकी ही चर्चा है। साथ ही लोगों में यह जानने की उत्सुक है कि वे क्यों गए। क्या सरकार और उनके बीच सब सही नहीं था। 

राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में आखिर हो ही गया बड़ा धमाका, मुख्य सचिव सुधांश पंत को दिल्ली भेजा गया

छोड़ना बेहतर विकल्प लगा

अगर कहीं कोई गड़बड़ या मनमुटाव था, तो वह क्या था। समय रहते हुए उसका समाधान क्यों नहीं हो पाया। ऐसे कई सवाल और जिज्ञासा चर्चा में हैं। खैर पंत के दिल्ली ट्रांसफर जाने के आदेश से यह तो साफ हो गया कि सीएमओ और मुख्य सचिव कार्यालय के बीच समन्वय में कमी थी और पावर की लड़ाई बढ़ती जा रही थी। संभवतया आपसी मनमुटाव ज्यादा बढ़े, इससे बचने के लिए सुधांश पंत ने राजस्थान छोड़ना ही उचित समझा। दिल्ली जाने का क्या कारण रहा, यह अब भविष्य के गर्त में है।

पंत की सक्रियता भी एक कारण

मुख्य सचिव सुधांश पंत साफ छवि के लिए जाने जाते हैं और अनुशासन प्रिय हैं। उनके मुख्य सचिव पद पर आने के बाद ब्यूरोक्रेसी में खासा बदलाव भी देखने को मिला। सरकारी कार्यालयों में उनके दौरों से व्यवस्था सुधरी। कर्मचारी-अधिकारी समय पर आने जाने लगे। पेंडेंसी कम होने लगी। सरकारी कार्यालयों में जनता के कामों में तेजी आई। 

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नाराजगी के कई कारण

हालांकि इनके दौरे-निरीक्षण से यह मैसेज भी बाहर जाने लगा कि मुख्य सचिव ही सर्वेसर्वा हैं। अधिकारी भी मुख्य सचिव कक्ष के बाहर ज्यादा दिखते थे। विधायक व दूसरे जनप्रतिनिधियों के भी मुख्य सचिव के पास जाने से संदेश गलत प्रसारित होने लगे।

मुख्य सचिव की सक्रियता के साथ जनप्रतिनिधियों में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का संदेश राज्य और केन्द्र की सरकार तक पहुंचने लगा था। मीडिया में भी ब्यूरोक्रेसी के हावी होने और जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनने की बातें सार्वजनिक होने लगी थीं। यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है, जिसके चलते सुधांश पंत से सरकार की नाराजगी बढ़ी

दो शक्ति केन्द्र की भी चर्चा

एक चर्चा यह भी है कि शक्ति के दो केन्द्र बन गए थे। मुख्य सचिव कार्यालय तो अपनी जगह था, वहीं दूसरा शक्ति केन्द्र सीएमओ हो गया। कुछ महीने पहले सीएमओ में एक वरिष्ठ आईएएस की तैनाती के बाद से उनके और सीएमओ में तल्खी आने की खबरें बाहर आने लगी थी। मुख्य सचिव को बायपास करते हुए फाइलें सीधे सीएमओ आने लगी थीं। सीएमओ से ही बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग-ट्रांसफर लिस्ट जारी होने लगी। उन्हें तो आदेश जारी होने के बाद पता चलने लगा। 

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गुटबाजी और अनदेखी से नाराज

पंत ब्यूरोक्रेसी में गुटबाजी और अपनी अनदेखी से नाराज बताए जा रहे थे। विशेषकर मर्जी का बदलाव नहीं होने से नाराज थे। चर्चा है कि मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव पद से आलोक गुप्ता को हटाए जाने के बाद से ही वह खुश नहीं थे। गुप्ता को उनका पसंदीदा अफसर माना जाता है। एक बड़ा कारण पिछली भाजपा सरकार में अहम पद पर रहे और वर्तमान में दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे आईएएस अफसर के अप्रत्यक्ष दखल से भी वह नाखुश थे। उनकी सीएमओ में तैनाती से तल्खी बढ़ने की चर्चा है।

फाइलों को रोकने का भी कारण

फाइलों को रोकने जैसे कारण भी सामने आ रहे हैं, जिनके चलते मुख्य सचिव स्वयं को असहज महसूस करने लगे थे। कुछ महीनों से मुख्य सचिव की अनदेखी ज्यादा बढ़ने लगी, तो उनकी अहसजता भी ज्यादा होने लगी। पावर की लड़ाई सामने आने लगी। यह मनमुटाव ज्यादा बढ़े, इससे पहले ही मुख्य सचिव ने राजस्थान छोड़ने का मन बना लिया।

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जाहिर की इच्छा, रिपोर्ट भी दी

पंत की दो महीने पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में मुलाकात होने की चर्चा है, जिसमें पंत ने कामकाज में आ रही बाधाओं की व्यथा सुनाई। साथ ही दिल्ली बुलाने का आग्रह किया। किस तरह से उनकी अनदेखी और सरकारी कामकाज में बेवजह दखलंदाजी की जा रही थी, इसकी पूरी रिपोर्ट भी पीएमओ को दी गई है। सरकार में अंदरखाने की वह बातें भी पीएमओ तक पहुंचने की संभावना है, जिससे शायद पीएमओ भी अनजान हो।

खुद ने ही कर दिया था इशारा

मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सोमवार को सचिवों की बैठक में राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में धमाका होने की बात कही थी। मुख्य सचिव के इस बयान को लेकर बड़ी चर्चा सोशल मीडिया और मीडिया में रही। सब जानने को उत्सुक दिखे कि आखिर मुख्य सचिव ने धमाका होने की बात कहकर क्या मैसेज देने का प्रयास किया है। किसी ने एक आईएएस दम्पत्ति के एफआईआर से भी उनके बयान को जोड़ा, लेकिन मंगलवार सुबह जब मुख्य सचिव के दिल्ली ट्रांसफर की सूचना बाहर आई तो उनके बयान के मायने सामने आए हैं। 

ट्रांसफर होने वाले दूसरे आईएएस

सुधांश पंत दूसरे मुख्य सचिव हैं, जिनका मुख्य सचिव पद पर रहते हुए केन्द्र सरकार में ट्रांसफर हुआ है। इससे पहले राजीव महर्षि भी मुख्य सचिव पद पर रहते हुए अचानक प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में राजीव महर्षि भी मुख्य सचिव बनने के मात्र नौ महीने बाद 2014 में अचानक प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए थे। उनकी जगह पर सीएस राजन मुख्य सचिव बने थे।

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एक साल है रिटायरमेंट में

सुधांश पंत को केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय में सचिव बनाया गया है। वह वर्तमान सचिव अमित यादव के 30 नवंबर को रिटायर होने के बाद एक दिसंबर से कार्यभार संभालेंगे। सुधांश पंत के रिटायरमेंट में फिलहाल 13 महीने बाकी हैं।

राजस्थान में दिसंबर, 2023 में भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें एक जनवरी, 2024 को मुख्य सचिव बनाया गया था। मुख्य सचिव बनाए जाने के दौरान भी वह दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर ही थे और सरकार बदलते ही वह वापिस राजस्थान आ गए थे।

ये हैं मुख्य सचिव की दौड़ में

राजस्थान के मुख्य सचिव के लिए एसीएस अभय कुमार, एसीएस अखिल अरोड़ा और एसीएस शिखर अग्रवाल, केन्द्र सरकार में पदस्थापित तन्मय कुमार के नाम प्रमुख रूप से लिए जा रहे हैं। अतिरिक्त एसीएस आनंद कुमार, शुभ्रा सिंह, एसीएस अपर्णा अरोड़ा के नाम भी दौड़ में हैं।

मुख्यमंत्री की पसंद से मुख्य सचिव बनते आए हैं। इसके लिए वरिष्ठता को भी दरकिनार किया जाता रहा है। उधर, सुधांश पंत के दिल्ली ट्रांसफर के साथ ही मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल अफसरों ने भी लॉबिंग शुरू कर दी है।  

अशोक गहलोत का तंज

मुख्य सचिव सुधांश पंत के अचानक दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तंज कसा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के समय भी पंत का राजस्थान में मन नहीं लगता था। गहलोत ने कहा कि पंत के दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर जाने के आदेश आ चुके हैं, तो मैं इसमें क्या कह सकता हूं? हम तो सुनते रहते हैं कि वे कभी भी जा सकते हैं। ये हमारी सरकार के समय भी अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। तब भी इनका यही रुझान रहता था कि मैं हमेशा दिल्ली रहूं।

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