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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान की शहरी सरकारें सोमवार से पूर्णतया जनप्रतिनिधियों के हाथों से मुक्त हो जाएंगी। समस्त नगर निगम की सरकारें महापौर के अधिकार क्षेत्र से मुक्त हो जाएंगी। वैसे तो 9 नवम्बर को ही प्रदेश की नगर निगमें महापौर के हाथों से निकल गई हैं, लेकिन रविवार के अवकाश के चलते सत्ता का हस्तांतरण नहीं हो पाया। सोमवार से संभागीय आयुक्त जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर समेत अन्य जिलों के नगर निगमों की कमान संभालेंगे।
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सभी अधिकार संभागीय आयुक्त के पास
सभी तरह के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार संभागीय आयुक्त के हाथों में आ गए हैं। कार्यकाल समाप्त होने के कारण महापौर, पार्षद और चेयरमैन के समस्त अधिकार छिन गए हैं। सिर्फ जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र जैसे आमजन के जरूरी कार्यों में पार्षदों के हस्ताक्षर मान्य हैं। नगर निगमों के एकीकरण होने से संभागीय आयुक्त के हाथों में कमान आने से नगर निगमों का प्रशासनिक ढांचे में भी बदलाव हुआ है।
इतिहास हो जाएंगे दो-दो निगम
राजधानी जयपुर के दोनों नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर अब इतिहास बन जाएंगे। उनकी जगह लेगा एकीकृत जयपुर नगर निगम। इसका मुख्यालय लालकोठी कार्यालय होगा। हालांकि पुलिस मुख्यालय की बिल्डिंग में चल रहे हेरिटेज नगर निगम के मुख्यालय को खाली नहीं किया जाएगा। इसी तरह जोधपुर और कोटा में उत्तर दक्षिण अब सुनाई नहीं देंगे। इस बदलाव के साथ इन शहरी सरकारों का पूरा शहरी शासन ढांचा बदल जाएगा।
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सरकार को भेजा गया प्रस्ताव
एक निगम बनने से जयपुर के अलावा जोधपुर, कोटा में प्रशासनिक ढांचे में पूरी तरह बदलाव हो जाएगा। दोनों निकायों की ओर से राजस्थान सरकार को कैडर रिव्यू कर प्रस्ताव भेज दिया गया है। इसमें निगम आयुक्त के अलावा तीन अतिरिक्त आयुक्त बनाने का सुझाव दिया गया है।
इनमें एक आईएएस और दो आरएएस अधिकारी होंगे। इसके अलावा मुख्य अग्निशमन अधिकारी के ऊपर एक वरिष्ठ मुख्य अग्निशमन अधिकारी का पद सृजित करने का प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि अभी इस प्रस्ताव पर सरकार ने मुहर नहीं लगाई है।
प्रशासनिक ढांचे में यह होगा बदलाव
जयपुर, जोधपुर और कोटा के एकीकरण से प्रशासनिक ढांचा भी पूरी तरह से बदल जाएगा। नए पद भी सृजित किए गए हैं। स्वायत्त शासन सचिव रवि जैन के मुताबिक, पुराने दोनों निगमों के 14,441 स्वीकृत पदों में से 56 पद समाप्त किए गए हैं। 118 नए पद जोड़े गए हैं। कई छोटे स्तर के पदों में कमी की गई है। बेलदार, भिश्ती, ड्राइवर, माली, गजधर, कोऑर्डिनेटर लिपिक जैसे पदों में कटौती हुई है।
यूडीसी और एलडीसी के पद बढ़ेंगे
निगम सीमा क्षेत्र विस्तार और वर्कलोड बढ़ने को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने यूडीसी और एलडीसी के 82 नए पद मांगे हैं। सूचना सहायक के 13 पद, हेड कांस्टेबल के 12 पद, लीडिंग फायरमैन के 21 पद, स्वास्थ्य निरीक्षक फर्स्ट के 18 और स्वास्थ्य निरीक्षक सेकंड के 7 पद भी जोड़े गए हैं।
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पहले जैसे होंगे नगर निगम जोन
दो-दो नगर निगम होने से जोनों का विभाजन हो गया था। जयपुर नगर निगम ग्रेटर में आठ और हेरिटेज निगम में सात जोन कर दिए थे। अब फिर से नगर निगम एकीकृत हो गया है। ऐसे में सभी जोन के यथावत रहने की संभावना है, लेकिन बढ़ते शहरी क्षेत्रों को देखते हुए इनके पुनर्गठन की बातें भी उठ रही हैं।
सरकार लेगी फैसला
फिलहाल नगर निगम की ओर से भिजवाए प्रस्ताव में अभी जोन एरिया का निर्धारण नहीं किया है। नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर में जो जोन बने हैं, उनको मर्ज किया जाएगा या पहले की तरह रहेंगे। यह तय नहीं हो पाया है। जल्द ही इस बारे में सरकार फैसला लेगी।
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तय समय पर चुनाव नहीं करवा पाए
जयपुर, जोधपुर, कोटा समेत अन्य जिलों के नगर निगमों की शहरी सरकारों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है। कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही चुनाव करवाए जाने के प्रावधान है, लेकिन सरकार की ओर से दो-दो नगर निगमों का एकीकरण तो करने का फैसला कर लिया। एकीकृत नगर निगमों में वार्डों का आरक्षणवार पुनर्गठन, परिसीमन सीमा तय नहीं कर पाई। मामला कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। सरकार को प्रशासक लगाने पड़े।
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चुनाव की प्रक्रिया पूरी
अब वार्डों का पुनर्गठन, परिसीमन, आरक्षणवार विभाजन के बाद ही निकाय चुनाव की घोषणा हो सकेगी। इसी तरह से पंचायतों के चुनाव भी समय पर नहीं हो सके। वहां भी जनप्रतिनिधियों की जगह प्रशासकों के हाथों में कमान है। बताया जा रहा है कि अगले एक दो महीने में पंचायत और निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है। सरकार ने चुनाव संबंधित समस्त प्रक्रिया पूरी कर ली है।
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