/sootr/media/media_files/2025/09/22/rajasthan-cag-report-excise-department-revenue-issues-2025-09-22-12-17-50.jpg)
Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने गंभीर सवाल उठाए हैं। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि विभाग ने शराब ठेकेदारों और कंपनियों से वसूली में भारी गड़बड़ियां कीं। इन गड़बड़ियों के कारण राज्य सरकार को 195 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ। सीएजी ने रिपोर्ट में सरकार से सख्त कदम उठाने की सिफारिश की है, ताकि विभाग को शुल्क और दंड वसूली में नीति, अधिनियम और नियमों का पालन सख्ती से करना सुनिश्चित हो सके।
यह खबर भी देखें...
CAG रिपोर्ट : राजस्थान में पकड़ी बड़ी अनियमितता, विभाग खर्च नहीं पाए 13762 करोड़
राजस्व नुकसान की विस्तृत जानकारी
रिपोर्ट के अनुसार, शराब ठेकेदारों से वसूली में अनियमितताओं के कारण राज्य सरकार को काफी नुकसान हुआ है। विभाग ने शराब ठेकेदारों से लाइसेंस शुल्क, अतिरिक्त आबकारी शुल्क, और जुर्माना की राशि पूरी तरह से वसूल नहीं की। इसके अलावा, विदेशी शराब और बीयर पर अतिरिक्त शुल्क की वसूली में भी भारी लापरवाही बरती गई। विभाग की कंप्यूटरीकृत प्रणाली "इंटीग्रेटेड एक्साइज मैनेजमेंट सिस्टम" (आईईएमएस) और कस्टमर लेजर में भी विसंगतियां पाई गईं, जिससे इन गड़बड़ियों को और बढ़ावा मिला।
कंप्यूटर सिस्टम में विसंगतियां और अनियमितताएं
सीएजी ने रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2021-22 के दौरान 2663 शराब ठेकेदारों से जुड़े 7512 प्रकरणों की जांच की गई। इनमें से करीब 72 प्रतिशत मामलों, यानी 5391 प्रकरणों में अनियमितताएं सामने आईं। अकेले आबकारी शुल्क और लाइसेंस शुल्क की कम वसूली से 1908 मामलों में 100.96 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसी प्रकार, विदेशी शराब और बीयर पर लाइसेंस शुल्क, जुर्माना और ब्याज की वसूली में लापरवाही के कारण 1954 मामलों में 72.88 करोड़ रुपए की चपत लगी। अंग्रेजी शराब और बीयर पर 1190 प्रकरणों में 15.25 करोड़ रुपए की हानि दर्ज की गई, और शराब-बीयर से अतिरिक्त 34 लाख रुपए का नुकसान भी हुआ।
यह खबर भी देखें...
पीएम फसल बीमा : योजना किसानों के लिए, अरबों का मुनाफा कमा रही कंपनियां
विलंबित भुगतान और विभागीय लापरवाही
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि ठेकेदारों से विलंबित भुगतान के कारण 267 प्रकरणों में 5.98 करोड़ रुपए की राशि वसूली नहीं जा सकी। सीएजी ने यह भी बताया कि आबकारी विभाग ने 5203 मामलों में 40.43 करोड़ रुपए की अनियमितताओं को स्वीकार किया है। इसके अलावा, ठेकेदारों से कम उठाव पर 23.88 करोड़ रुपए की वसूली नहीं की गई।
अतिरिक्त आबकारी शुल्क में अंतर
राजस्थान सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, आबकारी विभाग के रिकॉर्ड की जांच में यह भी सामने आया कि अतिरिक्त आबकारी शुल्क की राशि 22.72 करोड़ रुपए न तो शराब ठेकेदारों से जमा कराई गई और न ही संबंधित जिला आबकारी अधिकारियों द्वारा वसूली गई। इस तरह से राज्य सरकार को इस पेटे में 72.88 करोड़ रुपए की वसूली नहीं हो सकी।
यह खबर भी देखें...
मोतीमहल भरतपुर झंडा विवाद में नया मोड़, रात को गेट तोड़ कर घुसे लोग, नहीं लगा पाए पुराना झंडा
सीएजी की सिफारिशें और सरकार के कदम
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजस्थान की ओर से यह मामला सरकार के संज्ञान में लाया गया और वसूली के निर्देश जारी किए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए और सभी नियामकीय प्रक्रियाओं का पालन सख्ती से करना चाहिए। अगर इन गड़बड़ियों को समय रहते न रोका गया तो राज्य सरकार को भविष्य में और अधिक वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।
CAG क्या है?
| |
यह खबर भी देखें...
पूर्व भाजपा विधायक अशोक डोगरा के घर के विवाद में पिट गए पूर्व BJP जिलाध्यक्ष, जानें पूरा मामला
आबकारी विभाग में सुधार की आवश्यकता
आबकारी विभाग राजस्थान में सुधार के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, विभाग को अपनी कंप्यूटरीकृत प्रणाली को सही तरीके से अपडेट करना होगा, ताकि सभी लेन-देन पारदर्शी और सुचारु रूप से हो सकें। इसके अलावा, शराब ठेकेदारों से वसूली की प्रक्रिया को सख्त बनाया जाए, ताकि कोई भी शुल्क, जुर्माना या अतिरिक्त शुल्क बच न सके।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के आबकारी विभाग में 6 जिलों के अधिकारियों के रिकॉर्ड की जांच से यह खुलासा हुआ कि वसूली में कई गड़बड़ियां पाई गईं। विभाग ने शराब ठेकेदारों से तय शुल्क की पूरी वसूली नहीं की, और कई मामलों में अतिरिक्त शुल्क की राशि भी जमा नहीं कराई गई। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को 195 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ।