कैग रिपोर्ट ने राजस्थान सरकार पर लगाए प्रश्नचिह्न, जानें कैसे लगी 195 करोड़ की चपत

राजस्थान के आबकारी विभाग में गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। सीएजी ने शराब ठेकेदारों से कम वसूली और सिस्टम की विसंगतियों का जिक्र किया, जिससे राज्य को 195 करोड़ का नुकसान हुआ।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (TheSootr)

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राजस्थान के आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने गंभीर सवाल उठाए हैं। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि विभाग ने शराब ठेकेदारों और कंपनियों से वसूली में भारी गड़बड़ियां कीं। इन गड़बड़ियों के कारण राज्य सरकार को 195 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ। सीएजी ने रिपोर्ट में सरकार से सख्त कदम उठाने की सिफारिश की है, ताकि विभाग को शुल्क और दंड वसूली में नीति, अधिनियम और नियमों का पालन सख्ती से करना सुनिश्चित हो सके।

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राजस्व नुकसान की विस्तृत जानकारी

रिपोर्ट के अनुसार, शराब ठेकेदारों से वसूली में अनियमितताओं के कारण राज्य सरकार को काफी नुकसान हुआ है। विभाग ने शराब ठेकेदारों से लाइसेंस शुल्क, अतिरिक्त आबकारी शुल्क, और जुर्माना की राशि पूरी तरह से वसूल नहीं की। इसके अलावा, विदेशी शराब और बीयर पर अतिरिक्त शुल्क की वसूली में भी भारी लापरवाही बरती गई। विभाग की कंप्यूटरीकृत प्रणाली "इंटीग्रेटेड एक्साइज मैनेजमेंट सिस्टम" (आईईएमएस) और कस्टमर लेजर में भी विसंगतियां पाई गईं, जिससे इन गड़बड़ियों को और बढ़ावा मिला।

कंप्यूटर सिस्टम में विसंगतियां और अनियमितताएं

सीएजी ने रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2021-22 के दौरान 2663 शराब ठेकेदारों से जुड़े 7512 प्रकरणों की जांच की गई। इनमें से करीब 72 प्रतिशत मामलों, यानी 5391 प्रकरणों में अनियमितताएं सामने आईं। अकेले आबकारी शुल्क और लाइसेंस शुल्क की कम वसूली से 1908 मामलों में 100.96 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसी प्रकार, विदेशी शराब और बीयर पर लाइसेंस शुल्क, जुर्माना और ब्याज की वसूली में लापरवाही के कारण 1954 मामलों में 72.88 करोड़ रुपए की चपत लगी। अंग्रेजी शराब और बीयर पर 1190 प्रकरणों में 15.25 करोड़ रुपए की हानि दर्ज की गई, और शराब-बीयर से अतिरिक्त 34 लाख रुपए का नुकसान भी हुआ।

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विलंबित भुगतान और विभागीय लापरवाही

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि ठेकेदारों से विलंबित भुगतान के कारण 267 प्रकरणों में 5.98 करोड़ रुपए की राशि वसूली नहीं जा सकी। सीएजी ने यह भी बताया कि आबकारी विभाग ने 5203 मामलों में 40.43 करोड़ रुपए की अनियमितताओं को स्वीकार किया है। इसके अलावा, ठेकेदारों से कम उठाव पर 23.88 करोड़ रुपए की वसूली नहीं की गई।

अतिरिक्त आबकारी शुल्क में अंतर

राजस्थान सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, आबकारी विभाग के रिकॉर्ड की जांच में यह भी सामने आया कि अतिरिक्त आबकारी शुल्क की राशि 22.72 करोड़ रुपए न तो शराब ठेकेदारों से जमा कराई गई और न ही संबंधित जिला आबकारी अधिकारियों द्वारा वसूली गई। इस तरह से राज्य सरकार को इस पेटे में 72.88 करोड़ रुपए की वसूली नहीं हो सकी।

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सीएजी की सिफारिशें और सरकार के कदम

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजस्थान की ओर से यह मामला सरकार के संज्ञान में लाया गया और वसूली के निर्देश जारी किए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए और सभी नियामकीय प्रक्रियाओं का पालन सख्ती से करना चाहिए। अगर इन गड़बड़ियों को समय रहते न रोका गया तो राज्य सरकार को भविष्य में और अधिक वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।

CAG क्या है?

  1. CAG का मतलब:

    • CAG का पूरा नाम "भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक" है।

    • यह भारत सरकार और अन्य सरकारी संस्थानों के सभी व्ययों का लेखा-परीक्षण करने वाला संवैधानिक अधिकारी है।

  2. CAG की स्थापना:

    • CAG भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है।

    • यह एक स्वतंत्र संस्था है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय मामलों की जांच करती है।

  3. CAG का उद्देश्य:

    • CAG का मुख्य उद्देश्य वित्तीय अनुशासन बनाए रखना और वित्तीय कानूनों का सही पालन सुनिश्चित करना है।

  4. CAG के मुख्य कार्य:

    • लेखा परीक्षा: CAG केंद्र, राज्य सरकारों और सरकारी उपक्रमों के वित्तीय लेन-देन का लेखा-परीक्षण करता है।

    • रिपोर्ट प्रस्तुत करना: अपनी लेखा-परीक्षण रिपोर्ट संसद और विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत करता है।

    • वित्तीय अनुशासन: सरकारी संस्थाओं में वित्तीय अनुशासन बनाए रखना और वित्तीय कुप्रबंधन को रोकना।

    • सरकारी कंपनियों का ऑडिट: उन सरकारी कंपनियों का ऑडिट करना जिनमें सरकार की 51% से अधिक हिस्सेदारी है।

  5. CAG का महत्व:

    • CAG भारत की सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्था है।

    • यह वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सरकारी धन के सही उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    • CAG की रिपोर्टों की जांच लोक लेखा समितियों (PAC) द्वारा की जाती है, जो सरकारी खर्चों पर निगरानी रखती हैं।

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आबकारी विभाग में सुधार की आवश्यकता

आबकारी विभाग राजस्थान में सुधार के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, विभाग को अपनी कंप्यूटरीकृत प्रणाली को सही तरीके से अपडेट करना होगा, ताकि सभी लेन-देन पारदर्शी और सुचारु रूप से हो सकें। इसके अलावा, शराब ठेकेदारों से वसूली की प्रक्रिया को सख्त बनाया जाए, ताकि कोई भी शुल्क, जुर्माना या अतिरिक्त शुल्क बच न सके।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के आबकारी विभाग में 6 जिलों के अधिकारियों के रिकॉर्ड की जांच से यह खुलासा हुआ कि वसूली में कई गड़बड़ियां पाई गईं। विभाग ने शराब ठेकेदारों से तय शुल्क की पूरी वसूली नहीं की, और कई मामलों में अतिरिक्त शुल्क की राशि भी जमा नहीं कराई गई। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को 195 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ।

FAQ

1. सीएजी रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान को कितना राजस्व नुकसान हुआ?
राजस्थान सरकार को 195 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ है, जो शराब ठेकेदारों से कम वसूली के कारण हुआ।
2. सीएजी रिपोर्ट में राजस्थान में क्या अनियमिततियां सामने आईं?
रिपोर्ट में शराब ठेकेदारों से कम वसूली, कंप्यूटरीकृत प्रणाली में विसंगतियां, और अतिरिक्त शुल्क की कम वसूली जैसी अनियमिततियां सामने आईं।
3. सीएजी ने राजस्थान सरकार से क्या सिफारिश की है?
सीएजी ने सरकार से सख्त कदम उठाने की सिफारिश की है, ताकि विभाग को सभी नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके।
4. राजस्थान आबकारी विभाग में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
आबकारी विभाग को अपनी कंप्यूटरीकृत प्रणाली को अपडेट करना होगा, और शराब ठेकेदारों से वसूली की प्रक्रिया को सख्त बनाना होगा।
5. क्या राजस्थान सरकार ने सीएजी रिपोर्ट पर कोई कदम उठाया है?
जी हां, सरकार ने वसूली के लिए निर्देश जारी किए हैं और विभागीय सुधार की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

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