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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में जहां एक ओर सरकार अपने बजट में कटौती के बावजूद विकास कार्यों को पूरा करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी विभागों के पास रखी गई हजारों करोड़ रुपए की राशि का खर्च नहीं किया गया। यह चौंकाने वाला खुलासा नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ है, जिसे हाल ही में राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 245 विभागीय खातों में 13,762 करोड़ रुपए की राशि खर्च नहीं हो पाई। इस खर्च न हो पाने से राज्य के विकास कार्यों में काफी रुकावट आई है और विभागीय योजनाओं पर भी इसका गहरा असर पड़ा है।
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खर्च नहीं होने वाली राशि का खुलासा
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न विभागों के पास इतनी बड़ी राशि पड़ी रही, जो अगर सही तरीके से खर्च की जाती, तो राज्य के कई अहम सेक्टर्स में सुधार किया जा सकता था। उदाहरण के तौर पर, इस राशि से शिक्षा विभाग के 30,000 से अधिक स्कूलों की हालत सुधारने का काम किया जा सकता था। राज्य सरकार ने 63,000 स्कूलों की सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने के लिए 25,000 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान व्यक्त किया था।
राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि पीडी खाते में जमा पैसा लैप्स तो होता नहीं है, लेकिन इसका जनता को पूरा लाभ मिले इसके लिए स्वीकृति समय पर हो और योजनाएं समय पर पूरी हों। विभागीय सचिव और वित्त सचिव दोनों ही मॉनिटरिंग बढ़ाएं। भारत सरकार भी पैसा समय पर जारी करे।
सीएजी रिपोर्ट में प्रमुख खुलासे
राजस्थान सीएजी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खर्च न हो पाने वाली राशि में से 62 प्रतिशत से अधिक (8,598.34 करोड़ रुपए) सिर्फ 24 खातों में बची हुई थी। ये 24 खातें वे थे जिनमें वित्तीय वर्ष के समाप्त होने तक 100-100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च नहीं की जा सकी। इन खातों में पंचायत समितियां, जिला परिषदें, शहरी निकाय और सरकार के सीधे नियंत्रण में आने वाले विभाग शामिल हैं। यह स्थिति सरकारी धन के सही उपयोग की ओर गंभीर सवाल खड़े करती है और इससे संबंधित अधिकारियों पर निगरानी की कमी का भी संकेत मिलता है।
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ग्राम पंचायतों में राशि का पता न लग पाना
नियंत्रक महालेखा परीक्षक राजस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम पंचायतों में रह गई राशि का पता ही नहीं लगाया जा सका। ऐसा प्रतीत होता है कि स्थानीय स्तर पर फंड के प्रबंधन में काफी खामियां हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है। यही नहीं, अधिकारियों ने 1122 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों के 996 उपयोगिता प्रमाण पत्र सरकार को समय रहते पेश नहीं किए, जिससे वित्तीय प्रबंधन में कमजोरी आई और वित्तीय जवाबदेही तय नहीं की जा सकी।
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राजस्थान में बजट राशि का उपयोग नहीं
राजस्थान सरकार को इस स्थिति में सुधार के लिए तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता है। विभागों में कार्यप्रणाली का सुधार और निगरानी बढ़ाने से इन फंड्स का सही इस्तेमाल किया जा सकता है। पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने इस विषय पर कहा कि पीडी (निजी निक्षेप) खाते में जमा राशि लैप्स (खत्म) नहीं होती है, लेकिन इसका लाभ जनता को तभी मिल सकता है जब स्वीकृति समय पर हो और योजनाओं को समय पर पूरा किया जाए।
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वित्तीय निगरानी की जरूरत
राज्य सरकार को चाहिए कि वह वित्त सचिव और विभागीय सचिव दोनों को मिलकर निगरानी बढ़ाने के लिए निर्देश दे। इसके अलावा, केंद्र सरकार को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य सरकारों को समय पर धन जारी किया जाए, ताकि योजनाओं का समय पर क्रियान्वयन हो सके और इससे लोगों को अधिकतम लाभ मिल सके।
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बची हुई राशि और इसका उपयोग
विभागों द्वारा खर्च न किए गए पैसे का मामला केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। अगर इन बची हुई राशियों का उपयोग सही दिशा में किया जाता, तो राजस्थान के कई विकास कार्यों को गति मिल सकती थी।
विभागों के लिए बची राशि का विवरण
राजकॉम्प : 948.40 करोड़ रुपए
भवन निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड : 945.48 करोड़ रुपए
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम : 626.03 करोड़ रुपए
विद्युत वित्त निगम : 610.25 करोड़ रुपए
राज्य पुल, सड़क और विकास एवं निर्माण निगम : 590 करोड़ रुपए
यह आंकड़ा दर्शाता है कि प्रत्येक विभाग के पास पड़ी हुई राशि का यदि सही तरीके से उपयोग किया जाता, तो राज्य के बुनियादी ढांचे में पर्याप्त सुधार हो सकता था।
राजस्थान के वित्तीय प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता
राजस्थान सरकार को अब यह तय करने की जरूरत है कि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा कैसे जाए। विभागीय फंड के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है ताकि फंड्स का सही और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल हो सके। इसके अलावा, वित्तीय अधिकारियों को और अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि सरकारी धन का सही उपयोग हो और योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
तय हो अधिकारियों की जवाबदेही
राज्य में अधिकारियों द्वारा की जा रही लापरवाही और नियमों की अवहेलना, खासकर उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश नहीं करने और धन का सही तरीके से खर्च नहीं करने की प्रवृत्तियों को समाप्त करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। इसके साथ ही, विभागों में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि सरकार के पास सार्वजनिक धन का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।
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