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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक हटाने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव एक लोकतांत्रिक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह शिक्षा के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता। साथ ही, राजस्थान सरकार को छात्रसंघ चुनाव के लिए एक नीति बनाने के निर्देश दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव का फैसला सरकार पर छोड़ा है।
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याचिका खारिज, लेकिन छात्रों में खुशी
छात्रसंघ चुनाव पर रोक हटाने की याचिका को खारिज किए जाने के बावजूद छात्र नेताओं ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। छात्र नेता नीरज खीचड़ ने कहा कि उन्हें खुशी है कि कोर्ट ने सरकार को छात्रसंघ चुनावों के लिए नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। उनका मानना है कि यह नीति छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाएगी।
कोर्ट का दृष्टिकोण
खीचड़ ने कहा कि कोर्ट ने छात्र नेताओं की भावनाओं को समझा और छात्रसंघ चुनाव के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट ने चुनाव के महत्व को स्वीकार किया, लेकिन शिक्षा के अधिकार को सर्वोपरि माना। राजस्थान के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव होंगे या नहीं, इस बारे में अभी कोई स्पष्टता नहीं है।
छात्रसंघ चुनाव होंगे या नहीं?
हाई कोर्ट ने सरकार को छात्रसंघ चुनाव पर नीति बनाने का निर्देश दिया है, लेकिन चुनाव कराए जाएंगे या नहीं, यह सरकार पर छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही यह भी निर्धारित नहीं है कि चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर होंगे या किसी नई समिति की राय ली जाएगी।
सरकार के निर्णय पर भविष्य
सरकार को यह तय करना है कि छात्रसंघ चुनाव किस प्रकार कराए जाएं। फिलहाल इस मुद्दे पर संशय बना हुआ है, क्योंकि कोर्ट ने स्पष्ट रूप से चुनाव कराने का आदेश नहीं दिया है, बल्कि नीति बनाने की जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ी है।
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गहलोत सरकार द्वारा रोक
करीब साढ़े तीन साल पहले अशोक गहलोत के शासन काल में छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगाई गई थी। उच्च शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया था कि चुनाव नहीं कराए जाएंगे। इससे पहले वर्ष 2006 में भी छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगी थी, लेकिन वर्ष 2010 में इस रोक को हटा लिया गया और चुनाव फिर से शुरू हुए थे।
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छात्रों का आंदोलन
छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए छात्रों ने लगातार आंदोलन किया और चुनावों पर लगी रोक को हटाने की मांग की। हालांकि सरकार ने इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया और मामला उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। अब कोर्ट ने चुनाव कराने का निर्णय सरकार पर छोड़ दिया है। सरकार की मंशा क्या रहेगी, इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।
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छात्रसंघ चुनाव की प्रमुख जानकारी
कोर्ट का निर्णय : छात्रसंघ चुनाव पर रोक हटाने की याचिका खारिज।
सरकार का दायित्व : छात्रसंघ चुनाव के लिए नीति बनाना।
छात्र नेताओं का रुख : खुशी की बात कि सरकार को नीति बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
छात्रसंघ चुनाव की स्थिति : सरकार के निर्णय पर निर्भर, चुनाव होंगे या नहीं।
मुख्य बिंदु
- राजस्थान हाई कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक हटाने की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन राज्य सरकार को नीति बनाने के निर्देश दिए।
- सरकार को छात्रसंघ चुनाव के लिए नीति बनानी होगी और यह निर्णय करना होगा कि चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार होंगे या नहीं।
- छात्रसंघ चुनाव पर रोक करीब साढ़े तीन साल पहले अशोक गहलोत के शासनकाल में लगाई गई थी और तब से छात्र आंदोलन कर रहे थे।
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