जल जीवन मिशन घोटाला : IAS सुबोध अग्रवाल और 18 अफसरों के खिलाफ ACB कसेगी शिकंजा

राजस्थान के बहुचर्चित जल जीवन मिशन घोटाले के आरोपों में सीनियर IAS अफसर सुबोध अग्रवाल सहित 18 अधिकारियों के खिलाफ एसीबी जांच शुरू करेगी। 900 करोड़ के इस घोटाले में पूर्व मंत्री महेश जोशी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में जल जीवन मिशन घोटाला के तहत हुए घोटाले के मामले में अब बड़ी कार्रवाई की जा रही है। आरोप है कि जलदाय विभाग के अफसरों और ठेकेदारों ने मिलकर 900 करोड़ रुपए का घोटाला किया। इस घोटाले में सीनियर IAS सुबोध अग्रवाल और कई अन्य अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं।

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एसीबी और ईडी कर रही जांच

इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही है। एसीबी ने राजस्थान जलदाय विभाग के तत्कालीन एसीएस सुबोध अग्रवाल और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच की अनुमति प्राप्त की है। इस जांच में 18 अफसरों के नाम सामने आए हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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अग्रवाल का रिटायरमेंट और आरोप

सुबोध अग्रवाल जलदाय विभाग के एसीएस रहे थे और इसी महीने वह रिटायर होने जा रहे हैं। सुबोध अग्रवाल और गोपाल सिंह (जो कि भाजपा विधायक देवी सिंह शेखावत के भाई हैं) सहित अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ अब एसीबी जांच शुरू करेगी।

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महेश जोशी का जमानत पर बाहर आना

इस घोटाले में शामिल पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है। वह करीब सात महीने तक जेल में रहे थे। घोटाले में अन्य आरोपी भी जमानत पर बाहर आए हैं।

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जांच की मंजूरी और आगे की प्रक्रिया

राज्य सरकार ने एसीबी को इस मामले में जांच की मंजूरी दी है और रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मंजूरी दी गई है। अब यह देखा जाएगा कि इस घोटाले में शामिल सभी लोगों को कानूनी रूप से कैसे जवाबदेह ठहराया जाता है।

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घोटाले के पांच मुख्य बिंदु

पेयजल योजना में गड़बड़ी : जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था करनी थी, लेकिन पाइपलाइन में भारी गड़बड़ी की गई।
पुरानी पाइपलाइन का नया बताकर भुगतान : ठेकेदारों ने पुरानी पाइपलाइन को नया बताकर सरकार से भुगतान लिया।
पाइपलाइन ना डालने के बावजूद भुगतान : कई किलोमीटर तक पाइपलाइन नहीं डाली गई, फिर भी अधिकारियों ने ठेकेदारों को भुगतान कर दिया।
चोरी के पाइप का इस्तेमाल : ठेकेदार ने चोरी के पाइपों का उपयोग किया और उन्हें नए पाइप बताकर सरकार से करोड़ों रुपए हासिल किए।
फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल : ठेकेदार ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करके टेंडर लिया, जिसके बावजूद अधिकारियों ने उसे टेंडर दे दिया।

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