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राजस्थान का फार्मा सेक्टर तेजी से उभर रहा है,
इसके बावजूद राज्य फार्मा हब बनने से वंचित है। राज्य के फार्मा क्लस्टर, जो जयपुर, अलवर, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा और सीकर जैसे शहरों में फैले हुए हैं, भारतीय दवा बाजार में 6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। ये क्षेत्र विशेष रूप से डायबिटीज, हृदय रोग और एंटी-इन्फेक्टिव दवाओं के उत्पादन में केंद्रित हैं।
क्या हैं इस सेक्टर की समस्याएं
हालांकि राजस्थान ने 2024 में 10 हजार करोड़ रुपए का योगदान किया, जिसमें आधा हिस्सा निर्यात से आया, लेकिन राज्य की फार्मा विकास की गति को धीमा करने वाली दो मुख्य समस्याएं हैं: आयात पर 66 प्रतिशत निर्भरता और बिजली-पानी संकट। इन समस्याओं ने राज्य के फार्मा उद्योग की ग्रोथ को रुकने पर मजबूर कर दिया है। फार्मा उद्योग के लिए आयात होता है कच्चा माल , यह समस्या पूरे देश की है।
कैसे बढ़ जाती है लागत
राजस्थान में फार्मा सेक्टर pharma sector के लिए आवश्यक कच्चा माल चीन, जर्मनी और यूएसए से आयात किया जाता है। राज्य में केवल 10 प्रतिशत कच्चा माल ही भिवाड़ी और जयपुर में बनता है, जो एंटी-बायोटिक और कार्डियोवेस्कुलर दवाओं में उपयोग होता है। कच्चे माल की आयात निर्भरता, लागत को 30 प्रतिशत तक बढ़ा देती है।
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कौन - कौन से शहर कर रहे योगदान
जयपुर, भिवाड़ी, बीकानेर और जोधपुर जैसे प्रमुख शहर प्रदेश के दवा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जयपुर के विश्वकर्मा और सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्रों में 50 से अधिक फार्मा कंपनियां दवाइयां बनाती हैं, जबकि अलवर (भिवाड़ी) में 30 कंपनियां हैं। इसके अतिरिक्त, बीकानेर और जोधपुर में 20-25 कंपनियां एंटी-इंफेक्टिव और कार्डियोवेस्कुलर दवाओं का उत्पादन करती हैं। राज्य के अन्य शहरों जैसे उदयपुर, कोटा और सीकर में वैक्सीन्स और बायोसिमिलर दवाओं का उत्पादन होता है।
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कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:कच्चे माल के निर्माण के लिए पार्क स्थापित करना: भिवाड़ी और जयपुर में कच्चे माल निर्माण का पार्क स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि आयात निर्भरता कम हो सके। सौर ऊर्जा का इस्तेमाल: सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली की लागत को कम किया जा सकता है। बायोटेक और बायोसिमिलर पर शोध: एनआईपीईआर जयपुर में बायोटेक और बायोसिमिलर पर शोध के लिए एक केंद्र स्थापित करना आवश्यक है। ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार: ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया को 6-8 सप्ताह में पूरा किया जाना चाहिए, ताकि उत्पादन प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। |
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