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Photograph: (the sootr)
राजस्थान हाई कोर्ट ने झालावाड़ और अन्य स्थानों पर सरकारी स्कूल के भवन गिरने और इनमें बच्चों की मृत्यु होने पर स्व:प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। जस्टिस अनूप ढंढ़ ने स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा व भलाई विषय से प्रसंज्ञान लेकर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 14 बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
बस! बहुत हुआ अब...
कोर्ट ने कहा है कि बहुत हो चुका और अब केंद्र व राज्य सरकार के लिए सर्वांगीण राष्ट्रीय विकास के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक वातावरण को मजबूत व बेहतर बनाने का यह उचित समय है। प्रभावी नीतियों के जरिए ढांचागत, स्कूलों और टीचर तथा तकनीकी कमियों को दूर करके प्रत्येक बालक को बिना किसी भेदभाव के सीखने और पढ़कर देश के विकास में योगदान का अवसर मिल सकता है।
6 फीसदी बजट के बाद भी बिगड़े हुए हालात
कोर्ट ने कहा है कि सरकार कुल बजट का 6 फीसदी बजट शिक्षा को देती है। इसके बावजूद सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर बिगड़ा हुआ है। स्कूलों में टॉयलेट नहीं हैं। इस कारण लड़कियां देर तक यूरिन रोके रहती हैं और पानी भी नहीं पीतीं। मेडिकल रिसर्च के अनुसार इस कारण ही उन्हें यूरिनरी ट़्रैक्ट इंफेक्शन व अन्य बीमारियां हो जाती हैं।
टॉयलेट नहीं होने के कारण लड़कियों को माहवारी के दौरान भारी परेशानी होती हैं। वे नैपकिन आदि नहीं बदल सकतीं और इस कारण ही स्कूल जाना छोड़ देती हैं। कोर्ट ने यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एज्यूकेशन प्लस की रिपोर्ट का हवाला देकर देश और राज्यों के स्कूलों में टॉयलेट, लाइब्रेरी, बिजली कनेक्शन, कम्प्यूटर व इंटरनेट की उपलब्धता सहित अन्य आवश्यक सुविधाओं के आंकड़े देकर कहा है कि स्कूलों के हालात बेहद खराब हैं।
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सबकी जिम्मेदारी सुरक्षित भवन
कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षित स्कूल भवन आर्किटेक्ट्स से लेकर इंजीनियर, नीति निर्धारक, प्रशासनिक अधिकारी व आपातकालीन स्थितियों की योजना बनाने वालों सहित सभी की जिम्मेदारी है। आपात स्थिति में बच्चे सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं। सुरक्षा का अर्थ में बच्चों के घर से स्कूल जाने और वापस आने तक सभी किस्म की सुरक्षा शामिल है। इसके लिए सुरक्षित माहौल देना सरकार की जिम्मेदारी है। सुरक्षित माहौल में शिक्षा पाने का हर बच्चे को अधिकार है।
सबसे बड़ा राज्य है राजस्थान, लेकिन...
कोर्ट ने कहा है कि देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान ने पिछले वर्षों में शिक्षा के स्तर में काफी प्रगति की है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत पीछे है। ग्रामीण इलाकों में हालात बेहद खराब हैं। बड़ी संख्या में स्कूलों में बिजली व पीने का पानी नहीं है।
ये सुझाए उपाय, मांगी रिपोर्ट
- 1. सभी स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी स्कूल भवनों का सर्वे हो।
2. सभी स्कूली बच्चों की सुरक्षा के समस्त उपायों की पालना करें।
3. दुर्घटना में मारे गए व घायल बच्चों के परिजनों को उचित मुआवजा व इलाज मिले तथा भविष्य में पढ़ाई की सभी साधन उपलब्ध हों।
4. ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के अनुपात में उचित संख्या में स्कूल खुलें।
5. प्रत्येक स्कूल में लड़कों व लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट हों।
6. प्रत्येक स्कूल में लड़कियों को फ्री में सैनेटरी नैपकिन दिए जाएं।
7. सभी स्कूलों में बिजली कनेक्शन हो तथा बच्चों व स्टाफ के लिए उचित रोशनी व पंखों की व्यवस्था हो।
8. सभी स्कूलों में आवश्यक किताबों के साथ लाइब्रेरी, इंटरनेट कनेक्शन के साथ कम्प्यूटर हों।
9. सभी जिलों में एक पोर्टल बने, जिस पर अभिभावक व बच्चे अपनी परेशानियों के साथ फोटो व वीडियो अपलोड करके स्कूल भवनों की परेशानी व कमी बता सकें।
10. प्रत्येक जिले में बच्चों व अभिभावकों की शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए एक सिस्टम बनाया जाए। 11. स्कूल भवनों के घटिया निर्माण के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी हो और भविष्य में दुर्घटना होने पर व्यक्तिगत रूप से वसूली हो।
12. गुप्त जांच करके दोषियों का पता लगाया जाए व दोषियों के साथ विभागीय व आपराधिक कार्यवाही की जाए।
13. स्कूल भवनों की देखरेख व मॉनिटरिंग के लिए जिला स्तरीय कमेटी बने।
14. लड़कियों में सैनेटरी नैपकिन को बढ़ावा देने के लिए टॉयलेट के पास सैनेटरी नैपकिन वैडिंग मशीन लगे।
सचिव से रिपोर्ट तलब की
कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय शिक्षा व बाल विकास सचिव से रिपोर्ट तलब करते हुए एक अगस्त को अगली सुनवाई तय की है। कोर्ट ने सभी पक्षों को पिटिशन की कॉपी देने तथा प्रकरण को जनहित याचिका की सुनवाई करने वाली बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा है।
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