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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में लगातार बढ़ते इंसानों और तेंदुओं के संघर्ष को रोकने के लिए अब सरकार तेंदुओं (Leopard) की गणना करने जा रही है। यह गणना ट्रैप कैमरों की मदद से की जाएगी। बीते कुछ महीनों से तेंदुए शहरी क्षेत्रों के आसपास काफी देखा जा रहा है, जिससे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में डर का माहौल भी बना हुआ है।
सरकार इन घटनाओं को रोकने के लिए अब तेंदुओं की वास्तविक संख्या, उनके रहवास का स्थान, मूवमेंट वाले एरिया की पहचान में करने जा रही है।
कैमरा ट्रैप तकनीक से होगी गणना (Camera Trap Technology)
तेंदुओं की गणना के लिए कैमरा ट्रैप तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक के तहत जंगलों में छोटे-छोटे कैमरे लगाए जाएंगे जो तेंदुओं की तस्वीरें, पंजों के निशान, खरोंच, मूत्र या आवाज़ जैसी निशानियां रिकॉर्ड करेंगे। इससे तेंदुओं की गिनती तो होगी ही, साथ ही उनकी सक्रियता का क्षेत्र भी पहचान में आएगा।
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राजस्थान में तेंदुए की तेजी से बढ़ती संख्या
राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में तेंदुओं की संख्या 721 थी, जो 2018 की तुलना में 51.5% ज्यादा है। यह संख्या अब बढ़कर 925 तक पहुंच चुकी है, जिसमें से 578 तेंदुए संरक्षित क्षेत्रों में और 347 तेंदुए मानव बस्तियों या खुले इलाकों में पाए जाते हैं। यह संख्या तेंदुओं की बढ़ती उपस्थिति और उनके पर्यावरण में बदलाव को दिखाती है।
जयपुर में दो सौ फीसदी बढ़ गए तेंदुए
जयपुर जिले में तेंदुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। 2012 में झालाना लेपर्ड रिजर्व में सिर्फ 12 तेंदुए थे, लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर 40 हो गई, जो लगभग 200% की वृद्धि है। इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है, जैसे कि 2023 में 41,077 पर्यटक यहां तेंदुओं को देखने आए थे। यही नहीं, आमागढ़ लेपर्ड सफारी में भी 12,204 पर्यटक आए थे। राजस्थान लेपर्ड सफारी
ऐसे समझें कैसे हाेगी तेंदुओं की गिनती
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लगातार बढ़ रहे मानव-तेंदुएं संघर्ष के मामले
जैसे-जैसे तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले भी बढ़ रहे हैं। 2024-25 में उदयपुर में तेंदुए द्वारा 8 लोगों पर हमले की घटनाएं इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती हैं। वन विभाग का मानना है कि तेंदुओं की सटीक संख्या का डेटा हासिल होने से संरक्षण और नियंत्रण नीति बनाई जा सकेगी।
30 जिलों में तेंदुओं की उपस्थिति
राज्य में तेंदुओं की उपस्थिति अब 30 से अधिक जिलों में दर्ज की जा रही है। जयपुर में ही लगभग 145 तेंदुए पाए जाते हैं, जो राजधानी जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में चिंता का कारण बनते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर समय रहते तेंदुओं की निगरानी और उनकी संख्या का सही आंकलन नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में तेंदुआ-मानव संघर्ष और भी गंभीर रूप ले सकता है। जिससे न केवल इस संरक्षित हिंसक जीव के अस्तित्व पर खतरा बढे़गा, बल्कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी प्रभावित होंगे।
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