रहस्यमयी बीमारी से 90 से अधिक मौत, सरकार और स्वास्थ्य विभाग अनजान, झोला छाप डॉक्टर बने मुसीबत

राजस्थान के पाली जिले के आदिवासी क्षेत्र में अनजान बीमारी से 90 से अधिक लोगों की मौत। स्वास्थ्य विभाग और राजस्थान सरकार की चुप्पी। बीमारी के चलते कई गांवों में हालात बेहद खराब। झोला छाप डॉक्टर बन रहे कोढ़ में खाज।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Pali. राजस्थान के पाली जिले के बाली उपखंड के आदिवासी क्षेत्र में एक रहस्यमयी बीमारी फैल रही है, जिससे अब तक 90 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह बीमारी बुखार और सिर दर्द के साथ शुरू होती है और फिर तीन से चार दिन के भीतर मरीज की मृत्यु हो जाती है। मरने वालों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल हैं। हालात यह हैं कि इस बीमारी के इलाज के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग और राजस्थान सरकार भी बेखबर हैं।

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झोला छाप डॉक्टरों का इलाज

इस आदिवासी क्षेत्र में चिकित्सा की कमी और यातायात की समस्याओं के कारण लोग झोला छाप डॉक्टरों के पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। ये डॉक्टर बिना किसी मेडिकल ज्ञान के बीमारी की पहचान किए बिना मरीजों को दवाइयां और इंजेक्शन दे रहे हैं। नतीजतन, मरीजों की हालत और बिगड़ रही है और कई मामलों में उनकी मौत हो रही है।

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क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं की कमी

आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचने में अत्यधिक कठिनाइयां हैं। यहां पहाड़ी इलाकों में कच्चे झोपड़े और केलूपोश मकान बने हैं। रात को जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो एंबुलेंस को रास्ता मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग अपने स्तर पर झोला छाप डॉक्टर के पास जाते हैं, जिससे इलाज में देरी होती है और समस्या और बढ़ जाती है।

इस तरह हो रही है मृत्यु

आदिवासी क्षेत्र में तीन प्रमुख मौतों के मामलों का जिक्र किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में मरीज को तीन-चार दिन तक बुखार और सिरदर्द की शिकायत रही थी, लेकिन सही इलाज नहीं मिलने पर उनकी मौत हो गई। निचला भारला गांव में एक चार वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। उसे पहले बंगाली झोला छाप डॉक्टर के पास ले जाया गया था, जिसने दवाई दी, लेकिन बच्चा बच नहीं सका।

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अस्पताल भी नहीं पहुंच पाए

निचला भारला क्षेत्र में एक 15 वर्षीय लक्ष्मण की भी मौत हुई, जिसकी हालत बिगड़ी और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। वहीं 45 वर्षीय माना राम की भी ऐसी ही मौत हुई, जो परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उन्हें भी बुखार और सिरदर्द की शिकायत थी, लेकिन इलाज से पहले उनकी मृत्यु हो गई। 

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आदिवासी क्षेत्र में बीमारी का फैलाव

पिछले डेढ़ महीने में आदिवासी क्षेत्र के कई गांवों में इस अनजान बीमारी ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। निचला भारला, उपला भारला, रोटियां फली, गुंडसेरी, खारड़ा, बारालिया, गोराकड पूरा, सामंटी भीमाना, उपला भीमाना और दाता फैली सहित लगभग सभी गांवों में कोई न कोई इस बीमारी से प्रभावित है। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

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रहस्यमयी बीमारी से 90 से अधिक मौत

  • इस बीमारी का मुख्य कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। मरीजों को तीन-चार दिन तक बुखार और सिरदर्द रहता है और उसके बाद उनकी मौत हो जाती है।
  • आदिवासी क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं की कमी और दूर-दराज के इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाओं का पहुंचना मुश्किल होने के कारण लोग झोला छाप डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जाते हैं।
  • स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इस बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं ली है और न ही कोई ठोस कदम उठाए हैं।
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