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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) में 1 अक्टूबर 2025 को RSS (Rashtriya Swayamsevak Sangh) द्वारा आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में हंगामा मामले में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) सहित 9 लोगों की जमानत खारिज कर दी गई। अदालत ने इस मामले में गंभीर आरोपों का सामना कर रहे आरोपियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। बता दें, इस कार्यक्रम का विरोध करते हुए एनएसयूआई (National Students' Union of India) कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और तोड़फोड़ शुरू कर दी।
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शस्त्र पूजन कार्यक्रम में हंगामा
1 अक्टूबर 2025 को राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शस्त्र पूजन कार्यक्रम में RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। कार्यक्रम के दौरान, एनएसयूआई के कार्यकर्ता विरोध करने पहुंचे और मंच पर लगे पोडियम को गिराकर, कार्यक्रम में भाग ले रहे लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया। इसके साथ ही, आरोपियों ने कार्यक्रम स्थल पर खड़ी पुलिस की गाड़ी की लाइट तोड़कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और राजकार्य में बाधा डाली। इस घटना के बाद जयपुर महानगर प्रथम की न्यायिक मजिस्ट्रेट दक्षिण कोर्ट ने आरोपियों की जमानत खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर गंभीर प्रकृति के आरोप हैं और जमानत देना उचित नहीं होगा।
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जमानत खारिज होने का कारण
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों ने कार्यक्रम स्थल पर मंच पर लगे पोडियम को गिराया। पोस्टर फाड़कर कार्यक्रम कर रहे लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया। मौके पर खड़ी पुलिस की गाड़ी की लाइट को तोड़कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर राजकार्य में बाधा डाली। प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ पर पहले से इसी तरह के 6 मुकदमे दर्ज है। ऐसे में इन्हें जमानत देना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता हैं।
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आरोपियों का बचाव
आरोपियों के वकीलों ने अपनी दलील में कहा कि पुलिस ने विनोद जाखड़ और अन्य कार्यकर्ताओं को शांति भंग की आशंका के चलते गिरफ्तार किया था। बाद में, उनके खिलाफ गंभीर अपराध करने का आरोप लगाया गया। वकीलों का कहना था कि पुलिस ने दो अलग-अलग रिपोर्ट बनाईं, जो पूरी तरह से विधि विरुद्ध थीं। आरोपियों ने यह भी कहा कि घटना के समय उनके पास से कोई वस्तु बरामद नहीं हुई, और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया था। उन्होंने जमानत की मांग की, क्योंकि इस मामले में अभी लंबा समय लगेगा और जल्द मामले का निपटारा नहीं हो सकेगा।
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हंगामे के बाद की स्थिति: पुलिस की कार्रवाई
इस मामले में पुलिस ने हंगामा बढ़ता देख, लाठीचार्ज किया। एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई पर RSS के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि पुलिस ने उनकी गाड़ियों के शीशे भी फोड़ दिए। पुलिस का कहना था कि एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने बिना अनुमति के कार्यक्रम स्थल पर घुसने की कोशिश की थी और कार्यक्रम को बिगाड़ने का प्रयास किया। पुलिस ने स्थिति को काबू में लाने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे कुछ छात्रों को चोटें भी आईं। इस बीच, 12 एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
यह तो हद ही हो गई है कि पुलिसवाले चुन-चुनकर NSUI कार्यकताओं की गाड़ियों के शीसे फोड़ रही है। पुलिस स्वयं कानून तोड़ रही है। अगर एक लोकतंत्र में पुलिस इस तरह मुख्य विपक्षी पार्टी के एक अग्रिम संगठन को टारगेट करेगी तो आमजन के साथ तो कैसा व्यवहार करेगी? पुलिस को आखिर ऐसी छूट किसने… pic.twitter.com/kPIIS3xm6x
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 1, 2025
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पुलिस और राजनीतिक संगठनों के आरोप
पुलिस ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने जानबूझकर पुलिस के काम में बाधा डालने की कोशिश की। उन्होंने बिना अनुमति कार्यक्रम स्थल पर घुसने की कोशिश की और इसका विरोध किया। गांधीनगर थाना पुलिस ने इस बारे में जानकारी दी, जिसमें उन्होंने कहा कि एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने परिसर में घुसकर कार्यक्रम को खराब करने की कोशिश की थी। पुलिस ने बढ़ते हुड़दंग को शांत करने के लिए लाठीचार्ज किया। वहीं, एनएसयूआई ने इसे RSS और पुलिस के गठजोड़ के रूप में देखा और इसके खिलाफ विरोध किया।
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कल राजस्थान विश्वविद्यालय में @NSUIRajasthan कार्यकर्ताओं के साथ RSS और पुलिस के द्वारा की गई हिंसा में विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती है। आखिर विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में RSS को शस्त्र पूजन कार्यक्रम की अनुमति क्यों दी? विश्वविद्यालय प्रशासन और वाइस चांसलर RSS के दबाव में…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 1, 2025
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