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Photograph: (the sootr)
राजस्थान यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसे कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने विरोध किया। विरोध के दौरान एनएसयूआई के छात्रों ने स्टेज पर चढ़कर पोडियम गिरा दिया और बैनर उखाड़ दिए। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया, साथ ही आरएसएस के स्वयंसेवकों ने भी छात्रों को खदेड़ने के लिए लाठियां भांजी। यह घटना यूनिवर्सिटी कैंपस में राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के प्रति असहमति को उजागर करती है।
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एनएसयूआई ने किया विरोध
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने कहा कि विश्वविद्यालय के परिसर में शस्त्र पूजन जैसे कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा सकती। उनका मानना है कि अगर ऐसे कार्यक्रम यूनिवर्सिटी के बाहर होते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कैंपस के भीतर इस प्रकार के आयोजन से छात्रों की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। जाखड़ ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर (वीसी) पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और इसी कारण वे आरएसएस को कैंपस में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दे रहे हैं।
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गहलोत और सचिन पायलट का विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी इस घटना का विरोध किया है। गहलोत ने सोशल मीडिया पर एनएसयूआई के छात्रों पर लाठीचार्ज और विश्वविद्यालय में शस्त्र पूजन के आयोजन की निंदा की। पायलट ने इसे शिक्षण संस्थानों को राजनीतिक केंद्र बनाने की कोशिश बताया और इसे अनुचित करार दिया। पायलट ने कहा कि पुलिस के सामने आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने एनएसयूआई के छात्रों के साथ मारपीट की, जो प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।
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राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS द्वारा शस्त्र पूजा का कार्यक्रम रखना ही आपत्तिजनक है। शिक्षा के स्थान को इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना कैसे उचित माना जा सकता है? जब NSUI के कार्यकताओं ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने बल प्रयोग किया। इसके साथ ही, RSS के… pic.twitter.com/Ew6d2doKen
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 30, 2025
विवाद पर गहराई से विचार
यह घटना केवल एक शस्त्र पूजन के विरोध की नहीं, बल्कि शिक्षा और राजनीति के बीच के टकराव को भी उजागर करती है। राजस्थान यूनिवर्सिटी में इस प्रकार के कार्यक्रमों की अनुमति देने के फैसले ने विश्वविद्यालयों के स्वतंत्रता और राजनीति से मुक्त रहने की अवधारणा को चुनौती दी है। इन घटनाओं ने प्रदेश में सरकार, विपक्ष और शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
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अगले कदम पर नजर
राजस्थान यूनिवर्सिटी में शस्त्र पूजन कार्यक्रम के विरोध के बाद जो हिंसा और लाठीचार्ज हुआ, उसने सरकार, पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच की नीतियों को सार्वजनिक किया। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इस विवाद पर कोई ठोस कदम उठाएंगे और क्या ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे।