/sootr/media/media_files/2025/09/28/tiger-2025-09-28-17-39-41.jpg)
Photograph: (the sootr)
राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघों का दूसरे क्षेत्रों में पलायन लगातार जारी है। इस बार रणथंभौर के मशहूर बाघिन टी-107 का शावक बाघ टी-2512 रणथंभौर से निकलकर कोटा के खातोली रेंज में पहुंच गया है। यहां बाघ के मूवमेंट की मॉनिटरिंग के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक शिखा मेहरा ने छह सदस्यीय टीम का गठन किया है, जो लगातार बाघ की निगरानी कर रही है।
राजस्थान में माइनिंग लॉबी हावी: सुप्रीम कोर्ट चिंतित, रणथंभौर टाइगर रिजर्व पर सुनवाई जारी
रणथंभौर प्रदेश की टाइगर नर्सरी
रणथंभौर को प्रदेश की टाइगर नर्सरी के रूप में जाना जाता है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है और यहां की बदौलत ही राज्य के अन्य टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में रणथंभौर में लगभग 78 बाघ, बाघिन और शावक हैं, जबकि इस रिजर्व की क्षमता केवल 50 से 55 बाघों की है।
मुकुंदरा-रामगढ़ में शिफ्ट होंगे 7 बाघ-बाघिन, रणथंभौर-सरिस्का की तरह पर्यटक करेंगे दीदार
बाघों के लिए टेरेटरी की कमी
रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने के कारण अब उनके लिए पर्याप्त टेरेटरी नहीं रह गई है। यह स्थिति बाघों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। बाघों को टेरेटरी की तलाश में कभी-कभी रणथंभौर से बाहर जाकर अन्य इलाकों में प्रवेश करना पड़ता है। इस बार बाघ टी-2512 ने रणथंभौर से निकलकर कोटा क्षेत्र में कदम रखा है।
सर्विलांस सिस्टम पर उठ रहे सवाल
रणथंभौर के बढ़ते बाघों के पलायन के बावजूद राज्य में स्थापित सर्विलांस सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 65 करोड़ की लागत से स्थापित सर्विलांस सिस्टम के बावजूद बाघों का लगातार पलायन और उनके मूवमेंट की सही निगरानी नहीं हो पा रही है। इससे यह भी सवाल उठता है कि इस सिस्टम को और अधिक प्रभावी कैसे बनाया जा सकता है।
बाघों के मूवमेंट पर टीम का गठन
जैसे ही बाघ टी-2512 के रणथंभौर से बाहर निकलने की सूचना मिली, प्रधान मुख्य वन संरक्षक शिखा मेहरा ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह टीम बाघ की निरंतर निगरानी में लगी हुई है। इसके अलावा, रणथंभौर और कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की टीम भी बाघ की तलाश कर रही है। वन विभाग की टीम अब कोटा के खातोली रेंज की पार्वती नदी के आसपास बाघ के पगमार्क की तलाश कर रही है, क्योंकि इसी इलाके में बाघ का मूवमेंट देखा गया है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व: ड्राइवर और गाइड यदि पर्यटकों को जंगल में अकेला छोड़कर गए तो होगी कार्रवाई
कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहा रास्ता
बाघ टी-2512 के द्वारा अपनाया गया रास्ता बाघों के लिए एक कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इस रास्ते का उपयोग भविष्य में अन्य बाघों द्वारा भी किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि रणथंभौर से बाहर निकलने वाले बाघों के लिए यह एक प्राकृतिक मार्ग बन सकता है।