रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघों का पलायन जारी, करोड़ों रुपए के सर्विलांस सिस्टम पर उठ रहे सवाल

राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघों के पलायन का सिलसिला जारी है। बाघ टी-2512 ने कोटा क्षेत्र में प्रवेश किया। इसके बाद 65 करोड़ की सर्विलांस प्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैं।

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Amit Baijnath Garg
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राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघों का दूसरे क्षेत्रों में पलायन लगातार जारी है। इस बार रणथंभौर के मशहूर बाघिन टी-107 का शावक बाघ टी-2512 रणथंभौर से निकलकर कोटा के खातोली रेंज में पहुंच गया है। यहां बाघ के मूवमेंट की मॉनिटरिंग के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक शिखा मेहरा ने छह सदस्यीय टीम का गठन किया है, जो लगातार बाघ की निगरानी कर रही है।

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रणथंभौर प्रदेश की टाइगर नर्सरी

रणथंभौर को प्रदेश की टाइगर नर्सरी के रूप में जाना जाता है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है और यहां की बदौलत ही राज्य के अन्य टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में रणथंभौर में लगभग 78 बाघ, बाघिन और शावक हैं, जबकि इस रिजर्व की क्षमता केवल 50 से 55 बाघों की है।

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बाघों के लिए टेरेटरी की कमी

रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने के कारण अब उनके लिए पर्याप्त टेरेटरी नहीं रह गई है। यह स्थिति बाघों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। बाघों को टेरेटरी की तलाश में कभी-कभी रणथंभौर से बाहर जाकर अन्य इलाकों में प्रवेश करना पड़ता है। इस बार बाघ टी-2512 ने रणथंभौर से निकलकर कोटा क्षेत्र में कदम रखा है।

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सर्विलांस सिस्टम पर उठ रहे सवाल

रणथंभौर के बढ़ते बाघों के पलायन के बावजूद राज्य में स्थापित सर्विलांस सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 65 करोड़ की लागत से स्थापित सर्विलांस सिस्टम के बावजूद बाघों का लगातार पलायन और उनके मूवमेंट की सही निगरानी नहीं हो पा रही है। इससे यह भी सवाल उठता है कि इस सिस्टम को और अधिक प्रभावी कैसे बनाया जा सकता है।

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बाघों के मूवमेंट पर टीम का गठन

जैसे ही बाघ टी-2512 के रणथंभौर से बाहर निकलने की सूचना मिली, प्रधान मुख्य वन संरक्षक शिखा मेहरा ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह टीम बाघ की निरंतर निगरानी में लगी हुई है। इसके अलावा, रणथंभौर और कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की टीम भी बाघ की तलाश कर रही है। वन विभाग की टीम अब कोटा के खातोली रेंज की पार्वती नदी के आसपास बाघ के पगमार्क की तलाश कर रही है, क्योंकि इसी इलाके में बाघ का मूवमेंट देखा गया है।

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कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहा रास्ता

बाघ टी-2512 के द्वारा अपनाया गया रास्ता बाघों के लिए एक कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इस रास्ते का उपयोग भविष्य में अन्य बाघों द्वारा भी किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि रणथंभौर से बाहर निकलने वाले बाघों के लिए यह एक प्राकृतिक मार्ग बन सकता है।

FAQ

1. रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघ क्यों पलायन कर रहे हैं?
रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने के कारण टेरेटरी की कमी हो गई है, जिसके चलते बाघों को नए क्षेत्रों में जाकर जगह तलाशनी पड़ रही है।
2. क्या बाघों के मूवमेंट पर निगरानी के लिए कोई सिस्टम है?
राज्य सरकार ने 65 करोड़ की लागत से सर्विलांस सिस्टम स्थापित किया है, लेकिन इस सिस्टम की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि बाघों का मूवमेंट पूरी तरह से ट्रैक नहीं हो पा रहा।
3. बाघ टी-2512 के मूवमेंट पर क्या कार्रवाई की जा रही है?
बाघ टी-2512 के मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम बाघ के पगमार्क और मूवमेंट पर निगरानी रख रही है।

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