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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के जयपुर में एक 18 वर्षीय युवक रोहन शर्मा ने ब्रेन डेड (Brain Dead) होने के बाद अपने अंगदान के फैसले से समाज के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की। एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) में भर्ती इस युवक के परिवार ने कठिन परिस्थिति में अंगदान का निर्णय लिया, जिससे तीन अलग-अलग मरीजों को नया जीवन मिला।
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क्या था पूरा मामला?
रोहन शर्मा, जो गोविंदगढ़ तहसील के चीथवाड़ी गांव का निवासी था, 24 अगस्त को एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए भर्ती हुआ था। इलाज के दौरान उसे ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद, अस्पताल प्रशासन ने रोहन के परिवार को अंगदान की महत्ता समझाई और परिवार ने इस साहसिक कदम के लिए सहमति दी।
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ब्रेन डेड होने के बाद अंगदान का फैसला
रोहन शर्मा को 27 अगस्त को ब्रेन डेड घोषित किया गया था। इस स्थिति के बाद डॉक्टरों ने परिवार को अंगदान के बारे में समझाया और इसके लाभ के बारे में बताया। परिवार ने यह निर्णय लिया कि रोहन के अंग दूसरों के जीवन को बचाने के लिए उपयोगी होंगे। रोहन की दोनों किडनी और लिवर को तीन मरीजों को ट्रांसप्लांट किया गया, जिनसे उन्हें नया जीवन मिला।
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तीन लोगों को मिली नई जिंदगी
एसएमएस अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम नोडल ऑफिसर डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि रोहन के अंगों को तीन अलग-अलग मरीजों में ट्रांसप्लांट किया गया है। दोनों किडनी और लिवर का प्रत्यारोपण करके तीन मरीजों को नया जीवन दिया गया। रोहन के परिवार ने इस फैसले को लिया, ताकि उनकी मृत्यु व्यर्थ न हो और वह दूसरों की मदद कर सकें।
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सफल अंगदान प्रक्रिया
इस सफल अंगदान प्रक्रिया में कई चिकित्सा विशेषज्ञों और टीम का योगदान था। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम नोडल ऑफिसर डॉ. मनीष अग्रवाल, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. गिरधर गोयल, डॉ. चित्रा सिंह (ऑप्टिमाइजेशन प्रभारी) और कोऑर्डिनेटर प्रभारी रामप्रसाद मीणा ने इस प्रक्रिया को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
मानवता का उदाहरण
रोहन शर्मा और उसके परिवार का अंगदान का निर्णय न केवल तीन मरीजों को नया जीवन देने में सहायक हुआ, बल्कि यह समाज में मानवता और परोपकार का एक बेहतरीन उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। परिवार का यह साहसिक कदम अन्य लोगों को भी इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।
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