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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान लोक सेवा आयोग यानी आरपीएससी के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा से एसओजी की पूछताछ में कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं मिल पाई थी, लेकिन जब ईडी (ED) ने उनकी पूछताछ की, तो कई महत्वपूर्ण राज सामने आए। कटारा ने स्वीकार किया कि उसने आरपीएससी सदस्य बनने के लिए डूंगरपुर के तत्कालीन कांग्रेस जिला अध्यक्ष दिनेश खोड़निया से 1.20 करोड़ रुपए की डील की थी।
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कैसे हुई यह डील?
कटारा ने बताया कि उसने कांग्रेस नेता दिनेश खोड़निया से आरपीएससी सदस्य बनने की इच्छा जताई थी और इसके बदले में उसने 20 लाख रुपए हर साल देने का वादा किया था। इस डील के तहत खोड़निया ने कटारा को आरपीएससी सदस्य बनाने की सिफारिश की और छह महीने बाद उसे आरपीएससी सदस्य नियुक्त किया गया।
फर्जीवाड़े के आरोप
कटारा ने यह भी स्वीकार किया कि उसने आरएएस, कृषि अधिकारी और कॉलेज लेक्चरर के इंटरव्यू के दौरान अभ्यर्थियों से पैसे लिए थे। इन पदों के लिए भर्ती में अनैतिक लाभ देने के बदले 40 लाख रुपए लिए गए थे। हालांकि वह यह नहीं बता पाए कि कितने अभ्यर्थियों से कितनी राशि ली गई थी।
दिनेश खोड़निया ने किया इनकार
जब बाबूलाल कटारा ने दिनेश खोड़निया का नाम लिया, तो खोड़निया ने इससे इंकार किया। उन्होंने कहा कि कटारा की बातें झूठी और निराधार हैं। खोड़निया ने यह भी दावा किया कि उनसे किसी भी प्रकार की सिफारिश नहीं की गई और ना ही किसी प्रकार का पैसों का लेन-देन हुआ।
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कटारा और खोड़निया की पुरानी दोस्ती
कटारा ने बताया कि वह और दिनेश खोड़निया एक साथ कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आपसी जान-पहचान के कारण उनकी नजदीकियां बढ़ी। जब आरपीएससी में सदस्य पद पर वैकेंसी आई, तो खोड़निया के संपर्क में आने के बाद कटारा ने इसके लिए प्रयास किया और अंततः उसे यह पद मिल गया।
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कटारा की नियुक्ति का इतिहास
कटारा की नियुक्ति 1987 में डूंगरपुर जिले के पीपलादा स्कूल में तीसरी श्रेणी के शिक्षक के रूप में हुई थी। इसके बाद वह आरपीएससी के माध्यम से बांसवाड़ा में स्कूल लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुए थे और धीरे-धीरे अपनी सेवा को विभिन्न सरकारी पदों पर विस्तारित किया।
खास बातें
- पूर्व आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा ने आरपीएससी सदस्य बनने के लिए दिए 1.20 करोड़ और कांग्रेस नेता दिनेश खोड़निया से सिफारिश ली थी।
- दिनेश खोड़निया ने कटारा के आरोपों को निराधार और झूठा बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी प्रकार की सिफारिश नहीं की और न ही किसी प्रकार का पैसा लिया।
- कटारा की नियुक्ति 1987 में डूंगरपुर जिले के पीपलादा स्कूल में शिक्षक के रूप में हुई थी। उन्हें आरपीएससी के द्वारा बांसवाड़ा में स्कूल लेक्चरर के पद पर नियुक्त किया गया।
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