विधायक पुत्री का विकलांग सर्टिफिकेट : अफसर नहीं दे रहे आरटीआई में सूचना, किसके इशारे पर हो रहा काम?

राजस्थान में ब्यावर से भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की पुत्री कंचन चौहान के विकलांग सर्टिफिकेट मामले में आरटीआई से भी सूचना नहीं दी जा रही है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या किसी के इशारे पर मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है? नहीं तो फिर सच क्या है?

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Mukesh Sharma
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Jaipur. राजस्थान में ब्यावर से भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत के खौफ के कारण आरटीआई में सूचना तक नहीं मिल पा रही है। यह सूचना विधायक पुत्री के विकलांगता सर्टिफिकेट को लेकर है। दरअसल, यह मामला विधायक शंकर सिंह की पुत्री कंचन चौहान से जुड़ा है। वह भीलवाड़ा के करेड़ा में तहसीलदार हैं। आरोप है कि उन्होंने यह नौकरी फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट से हासिल की है। इस मामले की जांच भी चल रही है।

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फणीश का दावा-डरे हुए हैं पीएमओ 

शिकायतकर्ता फणीश सोनी का कहना है कि उसने विधायक पुत्री कंचन चौहान के विकलांग सर्टिफिकेट की कॉपी पाने के लिए ब्यावर के सरकारी अमृतकौर अस्पताल में आरटीआई लगाई। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) डॉ. एसएस चौहान ने सर्टिफिकेट की कॉपी उपलब्ध कराने से मना कर दिया। 

सोनी ने बताया कि उनकी अपील पर स्वास्थ्य निदेशक ने ब्यावर पीएमओ को 7 दिन में कंचन चौहान का विकलांगता सर्टिफिकेट देने के आदेश दिए, लेकिन वह यह आदेश लेकर पीएमओ डॉ. चौहान के पास पहुंचे तो वे रुआंसे हो गए। वे बार-बार कहते रहे कि यदि उन्होंने ​सर्टिफिकेट की कॉपी दी, तो वे लोग मुझे मारेंगे। सोनी ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा कि पीएमओ भयभीत थे और कहते रहे कि वह तो एक डॉक्टर हैं। उन्होंने कभी गुंडागर्दी नहीं सीखी, इसलिए वह असहाय महसूस कर रहे हैं। 

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पीएमओ बोले-ऐसा कुछ नहीं कहा

हालांकि सोनी की बातों को पीएमओ डॉ. चौहान ने गलत बताया। उन्होंने 'द सूत्र' से कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा, जिस तरह फणीश प्रचारित कर रहे हैं। उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो है, लेकिन इसकी भी सीमा तय है। हो सकता है मुझे कानूनी एक्शन लेना पड़े। इस बारे में उन्होंने मीडिया को कुछ बी बताने से मना कर दिया।

मीडिया को कुछ नहींं बता सकते

आरटीआई में सोनी की मांगी गई सूचना देने या नहीं देने पर डॉ. चौहान का कहना था कि वह इस बारे में कानूनी रूप से मीडिया को कुछ नहींं बता सकते। उनका कहना है कि उनके लिए विभाग का काम जरूरी है। उधर, आरटीआई मांगने वाले फणीश का तर्क है कि आरटीआई लगाने की सूचना पर चार महीने पहले विधायक ने पीएमओ की प्रिंसिपल पत्नी का तबादला ब्यावर से दूर किसी अन्य जिले में करवा दिया था। इसलिए पीएमओ दबाव में हैं और डरे हुए भी हैं। 

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यह है विधायक पुत्री का पूरा मामला

ब्यावर निवासी फणीश सोनी ने 12 अगस्त को विधायक रावत की पुत्री कंचन चौहान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कंचन पर फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी पाने का आरोप लगाया गया। इस संबंध में सीएम पोर्टल पर ​शिकायत की गई। विशेष योग्यजन निदेशालय ने 21 अगस्त, 2025 को राजस्व बोर्ड अजमेर को जांच के लिए लिखा गया। फणीश का आरोप है कि कंचन चौहान आरएएस 2018 में चयनित अभ्यर्थी हैं। 

इस तरह मिली पोस्टिंग

कंचन की पहली पोस्टिंग 27 दिसंबर, 2021 को गुलाबपुरा (भीलवाड़ा) में नायब तहसीलदार के तौर पर हुई। वह करीब एक साल से करेड़ा में तहसीलदार के रूप में पोस्टेड हैं। इससे पूर्व वह महिला व बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर थीं। उनके पति भी सरकारी नौकरी में ग्राम सेवक के पद पर हैं।

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बधिर होने का सर्टिफिकेट लगाया

फणीश के अनुसार, कंचन चौहान का आरएएस में दिव्यांग श्रेणी के आरक्षित कोटे से चयन हुआ था। उसने श्रवण बाधित यानी बधिर होने का सर्टिफिकेट लगाया था। अजमेर के एक डॉक्टर ने कंचन चौहान को श्रवण बाधित होने का सर्टिफिकेट जारी किया था। सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर वीआरएस ले चुके हैं।

इसलिए सर्टिफिकेट पर उठा सवाल

शिकायतकर्ता फणीश सोनी का कहना है कि कंचन ने 2013 और 2016 की आरएएस भर्ती में भी आवेदन किया था। तब दिव्यांग होने का सर्टिफिकेट नहीं लगाया। सवाल है कि बाद में वह दिव्यांग कैसे हो गई, जबकि तहसीलदार बनने से पहले वह महिला व बाल विकास विभाग में कार्यरत थीं। 

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पहले सर्टिफिकेट नहीं लगाया

वहां उसने श्रवण बाधित यानी बहरे होने होने का सर्टिफिकेट नहीं लगाया था। हालांकि महिला व बाल विकास विभाग ने भी उन्हें इस संबंध में कोई सूचना देने से इनकार कर दिया। फणीश ने कंचन के नवोदय स्कूल और उदयपुर यूनिवर्सिटी से मिले एजुकेशनल डॉक्यूमेंट के साथ ही उनकी बधिरता किस साल से है, इसकी जांच की भी मांग की है। 

विकलांग सर्टिफिकेट की एसओजी में जांच

कंचन के विकलांगता सर्टिफिकेट मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर एसओजी जांच कर रही है। एसओजी ने कंचन को एक सितंबर, 2025 को जांच के लिए बुलाया था। वह हाजिर भी हुई थीं, लेकिन एसएमएस अस्पताल में जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित नहीं होने से वह वापस चली गई थीं। इसके बाद मेडिकल बोर्ड का गठन होने पर उन्हें तीन सितंबर को बुलाया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुई थीं।

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फणीश सोनी पर हो चुका है हमला

फणीश सोनी का कहना है कि कंचन का मामला उठाने पर 26 नवंबर को उन पर हमला हो चुका है। तब वह कोर्ट से अपनी बहन के घर जा रहे थे। रास्ते में उन पर पांच बदमाशों ने हमला किया था। बदमाशों ने उन्हें रोककर लाठी और सरियों से मारना शुरू किया, तो वह अपनी स्कूटी छोड़कर भागे थे। 

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एफआईआर पर 5 हमलावर गिरफ्तार

इस मामले में सोनी की एफआईआर पर पुसिल ने 5 हमलावरों को गिरफ्तार भी किया था। बाद में इनकी जमानत भी हो चुकी है। फणीश का दावा है कि वह इस समय कहीं छिपे हुए हैं, क्योंकि उन्हें विधायक समर्थकों की ओर से जानलेवा हमले की पूरी आशंका है। उन्होंने इस संबंध में ब्यावर एसपी और संबंधित अधिकारियों को शिकायत दे रखी है। 

विधायक शंकर सिंह बोले-नो कमेंट्स

ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत से मोबाइल पर पुत्री कंचन के सर्टिफिकेट मामले में पक्ष जानना चाहा, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उधर, विधायक पुत्री कंचन चौहान से उनके मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उनसे व्हाटसएप पर मैसेज करके उनका वर्जन मांगा गया, फिर भी जवाब नहीं आया। 'द सूत्र' को जब भी उनका जवाब​ मिलेगा, उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।

तीन सवाल

विधायक पुत्री का विकलांग सर्टिफिकेट फर्जी या असली?
अफसर नहीं दे रहे आरटीआई में सूचना।
आखिर किसके इशारे पर हो रहा काम?

राजस्थान भाजपा विधायक एफआईआर आरटीआई एसओजी ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत विधायक पुत्री का विकलांग सर्टिफिकेट अफसर नहीं दे रहे आरटीआई में सूचना विधायक पुत्री कंचन चौहान
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