जयपुर की 86 अवैध कॉलोनियां : खाली जमीन को कब्जे में नहीं लेने पर अवमानना कार्यवाही की चेतावनी

राजस्थान हाई कोर्ट ने 20 अगस्त को दिए थे सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश। राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के लिए अवाप्त जमीन पर अवैध रूप से कॉलोनियां बसाने का खेल। यहां समझें पूरा मामला।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. जयपुर की सांगानेर तहसील में राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की अवाप्त जमीन पर बसी 86 अवैध कॉलोनियों में खाली पड़ी जमीन पर कब्जा नहीं लेने और अवैध रूप से बने निर्माणों को हटाने के राजस्थान हाई कोर्ट के 20 अगस्त, 2025 के निर्देश की सात दिन में पालना नहीं होने पर मुख्य सचिव सुधांश पंत, यूडीएच सचिव देवाशीष पुष्टि, जेडीए सचिव निशांत जैन और हाउसिंग बोर्ड आयुक्त डॉ. रश्मि को अवमानना कार्यवाही शुरू करने के नोटिस दिए गए हैं।

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निर्माण ध्वस्त किए जाएं

यह नोटिस याचिकाकर्ता पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से एडवोकेट पूनमचंद भंडारी, अभिनव भंडारी व डॉ. टीएन शर्मा ने दिए हैं। नोटिस में कहा है कि अगले सात दिन में समस्त खाली भूखंडों पर कब्जा लेने तथा निर्माण ध्वस्त किए जाएं अन्यथा उनके विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की जाएगी।  

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मिलीभगत से बना दी कॉलोनियां

उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार ने 12 मार्च, 2025 को उक्त 86 कॉलोनियों के अवैध कब्जों को नियमित करने का आदेश दिया था। यह जमीन मूलत: राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के लिए अवाप्त हुई थी और बोर्ड को कब्जा भी दे दिया था, लेकिन नियमित रूप से निगरानी नहीं होने के कारण भू-माफियाओं ने मिलीभगत से कॉलोनियां बना दी थीं। 

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बिजली कनेक्शन भी ले लिए

इनमें से कई कॉलोनियों में आज भी बड़ी तादाद में जमीन रिक्त पड़ी हैं। जेडीए और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए 12 मार्च, 2025 को आदेश जारी करवा लिया। इस आदेश के बाद आनन-फानन में प्लॉट्स की बाउंड्री बनकर कोठरीनुमा कमरे बना बिजली कनेक्शन ले लिए गए।

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सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सरकार के 12 मार्च, 2025 के आदेश को पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था ने पीआईएल के जरिए चुनौती दी। हाई कोर्ट ने 20 अगस्त, 2025 को इन कॉलोनियों पर हुए निर्माण को अतिक्रमण मानते हुए ध्वस्त करने और पूरी जमीन को कब्जे में लेने के आदेश दिए थे।

राजस्थान सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट इससे पूर्व भी 17 दिसंबर, 2024 को सभी राज्यों को अवैध कब्जों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कह चुका था। 

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हाई कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्प्णी

पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की पीआईएल पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एसपी शर्मा की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा था कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को नियमित कैसे किया जा सकता है? उन्होंने कहा था कि जवाब पेश होने के बाद उन अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी और एसीबी को भी उनके खिलाफ जांच के लिए कहा जाएगा, जिनके पदस्थापन के दौरान यह अवैध निर्माण हुए।

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