एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड : जांच कमेटी पर उठ रहे सवाल, इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर शामिल नहीं

राजस्थान की राजधानी जयपुर के  एसएमएस हॉस्पिटल  के ट्रोमा सेंटर में आग लगने के बाद गठित जांच कमेटी में महत्वपूर्ण अधिकारी की अनुपस्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।

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Gyan Chand Patni
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राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर में रविवार रात एक बड़ा अग्निकांड हुआ। इस हादसे में आठ मरीजों की मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने एक छह सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया, लेकिन कमेटी की संरचना और इसके कार्य पर अब सवाल उठने लगे हैं। जांच कमेटी की आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि इसमें जरूरी विभागों और अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया।

सवालों में घिरी जांच कमेटी

सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर दुखांतिका को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के आदेश पर 6 सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित हुई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान समिति को अध्यक्ष बनाया गया है।  जांच समिति में विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल किए गए। हालांकि, इस कमेटी में एक महत्वपूर्ण अधिकारी, यानी इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को शामिल नहीं किया गया, जो शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं के कारणों की जांच करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।

इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की भूमिका अग्निकांड के मामलों में विशेष रूप से अहम होती है, क्योंकि वह यह सुनिश्चित करता है कि आग लगने के कारणों का सही पता चल सके। सरकारी भवनों में हुई आग की घटनाओं में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की उपस्थिति अनिवार्य है, ताकि साक्ष्य एकत्र किए जा सकें और सही कारणों का पता लगाया जा सके।

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क्या है सही प्रक्रिया

एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड की जांच कमेटी में इलेक्ट्रीकल इंस्पेक्टर नहीं है किसी सरकारी भवन में आग लगने की सूचना मिलने के तीन घंटे के भीतर इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को दी जानी चाहिए। इसके बाद, वे घटना स्थल पर पहुंचकर आवश्यक साक्ष्य जुटाते हैं और आग के कारणों का पता लगाने के लिए जांच करते हैं। इस प्रकार की जानकारी और उपस्थिति, अग्निकांड के कारणों को जानने में सहायक होती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के उपायों की योजना बनाने में मदद मिलती है।

एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड, कुछ जरूरी जानकारी


1. इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की भूमिका का महत्व

इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की अनुपस्थिति पर उठे सवालों ने इस पूरे जांच प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है। अस्पतालों और अन्य सरकारी भवनों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को मामलों में शामिल किया जाए, ताकि आग के वास्तविक कारणों का पता चल सके।

2. फायर सेफ्टी और सुरक्षा के प्रोटोकॉल में सुधार की जरूरत

यह अग्निकांड एक चेतावनी है कि सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अस्पतालों में शॉर्ट सर्किट और आग की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था, जैसे कि आग बुझाने की स्वचालित प्रणालियाँ और उचित वायरिंग, का होना अत्यंत आवश्यक है।

3. नियमों का पालन और उनकी उपेक्षा

एसएमएस अस्पताल में हुई इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि नियमों की उपेक्षा की जा रही है। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अस्पताल प्रशासन को नियमित रूप से सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए और इन्फ्रास्ट्रक्चर की निरंतर निगरानी करनी चाहिए।

4. कहीं न कहीं प्रशासन की जिम्मेदारी

इस हादसे में प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा मानकों के पालन में कमी से यह घटना हुई है। प्रशासन को अब गंभीरता से इस पर विचार करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।

 

रिपोर्ट कब आएगी

कमेटी के गठन के बाद, चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान ने यह कहा कि राजस्थान सरकार के निर्देशानुसार कमेटी का गठन किया गया है और जल्द ही जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। हालांकि, कमेटी में कुछ अहम अधिकारियों और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को शामिल न करने पर सवाल उठ रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि रिपोर्ट के बाद ही हादसे के वास्तविक कारणों और प्रशासन की लापरवाही पर पूरी जानकारी मिल सके।

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ता​कि न हों हादसे

राजकुमार जैन, जो इलेक्ट्रिकल मामलों के विशेषज्ञ हैं,  का मानना है कि एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में अग्निकांड के बाद प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि वे अस्पताल की सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर पुनर्विचार करें। इनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, इलेक्ट्रिकल और फायर सेफ्टी ऑडिट, और फायर लोड शामिल हैं। यदि प्रोटेक्शन सिस्टम मजबूत होता, तो शॉर्ट सर्किट से आग नहीं लगती क्योंकि शॉर्ट सर्किट होते ही बिजली की आपूर्ति स्वतः बंद हो जाती।

इसके अतिरिक्त, जिन उपकरणों पर ज्यादा लोड होता है, उनका समय-समय पर रखरखाव जरूरी है, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। फायर लोड की गणना से यह पता चलता है कि यदि किसी भवन में आग लगती है तो उसे किस हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

FAQ

1. जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में आग लगने का कारण क्या था?
जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में आग लगने का मुख्य कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है।
2. जांच कमेटी में किसे शामिल किया गया और किसे नहीं?
जांच कमेटी में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों, अभियंताओं और नगर निगम के अग्निशमन अधिकारी को शामिल किया गया, लेकिन इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को बाहर रखा गया।
3. जांच में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर का क्यों शामिल होना चाहिए था?
इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर आग के कारणों की सही जांच करने के लिए आवश्यक होते हैं, क्योंकि वे शॉर्ट सर्किट और अन्य इलेक्ट्रिकल समस्याओं का विश्लेषण करते हैं।
4. आग की घटना के बाद क्या सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए?
इस घटना के बाद सुरक्षा मानकों को सुधारने के लिए अस्पताल प्रशासन को फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।

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