/sootr/media/media_files/2025/10/07/sawal-2025-10-07-11-36-44.jpg)
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर में रविवार रात एक बड़ा अग्निकांड हुआ। इस हादसे में आठ मरीजों की मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने एक छह सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया, लेकिन कमेटी की संरचना और इसके कार्य पर अब सवाल उठने लगे हैं। जांच कमेटी की आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि इसमें जरूरी विभागों और अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया।
सवालों में घिरी जांच कमेटी
सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर दुखांतिका को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के आदेश पर 6 सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित हुई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान समिति को अध्यक्ष बनाया गया है। जांच समिति में विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल किए गए। हालांकि, इस कमेटी में एक महत्वपूर्ण अधिकारी, यानी इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को शामिल नहीं किया गया, जो शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं के कारणों की जांच करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।
इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की भूमिका अग्निकांड के मामलों में विशेष रूप से अहम होती है, क्योंकि वह यह सुनिश्चित करता है कि आग लगने के कारणों का सही पता चल सके। सरकारी भवनों में हुई आग की घटनाओं में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की उपस्थिति अनिवार्य है, ताकि साक्ष्य एकत्र किए जा सकें और सही कारणों का पता लगाया जा सके।
ये खबरें भी पढ़ें
क्या है सही प्रक्रिया
एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड की जांच कमेटी में इलेक्ट्रीकल इंस्पेक्टर नहीं है किसी सरकारी भवन में आग लगने की सूचना मिलने के तीन घंटे के भीतर इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को दी जानी चाहिए। इसके बाद, वे घटना स्थल पर पहुंचकर आवश्यक साक्ष्य जुटाते हैं और आग के कारणों का पता लगाने के लिए जांच करते हैं। इस प्रकार की जानकारी और उपस्थिति, अग्निकांड के कारणों को जानने में सहायक होती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के उपायों की योजना बनाने में मदद मिलती है।
एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड, कुछ जरूरी जानकारी
| |
रिपोर्ट कब आएगी
कमेटी के गठन के बाद, चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान ने यह कहा कि राजस्थान सरकार के निर्देशानुसार कमेटी का गठन किया गया है और जल्द ही जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। हालांकि, कमेटी में कुछ अहम अधिकारियों और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को शामिल न करने पर सवाल उठ रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि रिपोर्ट के बाद ही हादसे के वास्तविक कारणों और प्रशासन की लापरवाही पर पूरी जानकारी मिल सके।
ये खबरें भी पढ़ें
राजस्थान में बिजली कंपनियों का खेल : प्रति यूनिट बिजली सस्ती की, लेकिन बढ़ गया बिजली का बिल
राजस्थान की महिलाओं को स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपहार, क्या है इंदिरा गांधी स्मार्ट फोन योजना?
ताकि न हों हादसे
राजकुमार जैन, जो इलेक्ट्रिकल मामलों के विशेषज्ञ हैं, का मानना है कि एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में अग्निकांड के बाद प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि वे अस्पताल की सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर पुनर्विचार करें। इनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, इलेक्ट्रिकल और फायर सेफ्टी ऑडिट, और फायर लोड शामिल हैं। यदि प्रोटेक्शन सिस्टम मजबूत होता, तो शॉर्ट सर्किट से आग नहीं लगती क्योंकि शॉर्ट सर्किट होते ही बिजली की आपूर्ति स्वतः बंद हो जाती।
इसके अतिरिक्त, जिन उपकरणों पर ज्यादा लोड होता है, उनका समय-समय पर रखरखाव जरूरी है, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। फायर लोड की गणना से यह पता चलता है कि यदि किसी भवन में आग लगती है तो उसे किस हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।