सीजेआई बीआर गवई समेत सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश आएंगे रणथम्भौर, जानें क्या है मामला

भारत के प्रधान न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश राजस्थान में रणथम्भौर की यात्रा पर आ रहे हैं। इस यात्रा के दौरान न्यायपालिका से जुड़े मुद्दों पर चिंतन होने की संभावना है।

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Nitin Kumar Bhal
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भारत के प्रधान न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (Bhushan Ramkrishna Gavai) सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश परिवार सहित 3 दिवसीय दौरे पर रणथम्भौर (Ranthambore) आ रहे हैं। यह यात्रा शुक्रवार को शुरू होकर रविवार तक चलेगी। हालांकि इसे निजी यात्रा के रूप में बताया जा रहा है, लेकिन इस दौरान न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चिंतन करने की पूरी संभावना है। यह घटना सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा रणथम्भौर आने का पहला मौका है, और इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है।

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सीजेआई जस्टिस बी.आर. गवई। Photograph: (TheSootr)

रणथम्भौर यात्रा का महत्व

रणथम्भौर, राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक किलों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का रणथम्भौर किला (Ranthambore Fort) और रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambore National Park) पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। लेकिन इस यात्रा का उद्देश्य केवल पर्यटन नहीं है, बल्कि न्यायपालिका से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना भी हो सकता है।

यह यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India) और सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों का एक साथ जाना एक अद्वितीय घटना है। 

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सीजेआई की रणथंभौर यात्रा के पीछे की वजह क्या है?

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की रणथम्भौर यात्रा को निजी यात्रा के रूप में बताया जा रहा है, लेकिन इसकी प्रकृति को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि इस दौरान न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हो सकता है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब सुप्रीम कोर्ट में कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हो रही है। इससे यह भी संकेत मिल सकता है कि शीर्ष न्यायाधीशों को अपने कर्तव्यों के अतिरिक्त, एक दूसरे के साथ विचार-विमर्श और चिंतन करने का अवसर मिलेगा।

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जस्टिस बीआर गवई कौन हैं?

  • जस्टिस बीआर गवई का परिचय:

    • जस्टिस बीआर गवई 14 मई 2025 से भारत के उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश हैं।

    • वह भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) हैं।

  • दलित समुदाय से संबंधित:

    • जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं।

    • उनसे पहले, जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में पहले दलित CJI बने थे।

  • व्यक्तिगत जीवन और शिक्षा:

    • जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था।

    • उन्होंने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की थी।

  • कानूनी करियर:

    • 16 मार्च 1985 को जस्टिस गवई ने बार में प्रवेश किया।

    • 1987 तक, वह बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व एडवोकेट जनरल और जज राजा एस भोंसले के साथ काम करते रहे।

    • इसके बाद, उन्होंने मुख्य रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की।

    • इस दौरान, वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील भी रहे।

  • महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ:

    • अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक, उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

    • 17 जनवरी 2000 से, वह सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में कार्यरत रहे।

  • न्यायिक पदोन्नति:

    • 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।

    • 12 नवंबर 2005 को वह बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने।

  • उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति:

    • 24 मई 2019 को जस्टिस बीआर गवई को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।

  • कार्यकाल:

    • मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक होगा।

सीजेआई की रणथंभौर यात्रा का शेड्यूल क्या है?

सीजेआई बीआर गवई की रणथम्भौर यात्रा की योजना पहले ही तैयार कर ली गई है, और अब प्रशासन को यात्रा की तैयारी करने के निर्देश दिए गए हैं। उच्च स्तर पर अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे इस यात्रा के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को पूर्ण सहयोग प्रदान करें। चूंकि यह यात्रा निजी मानी जा रही है, इस कारण इसके बारे में गोपनीयता बनाए रखी जा रही है, और किसी प्रकार की सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के बीच समन्वय और टीमवर्क

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का एक साथ यात्रा पर जाना, एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है कि न्यायपालिका के भीतर बेहतर समन्वय और टीमवर्क को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह हो सकता है कि न्यायपालिका के सबसे बड़े अंग के सदस्य एक दूसरे से मिलकर न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा करें।

न्यायाधीशों के व्यक्तिगत विचारों और कार्यशैली को साझा करने से न्यायपालिका के भीतर बेहतर समझ और तालमेल हो सकता है। इसके अलावा, न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चिंतन और मंथन की संभावना को देखते हुए, यह यात्रा एक सकारात्मक कदम हो सकती है।

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रणथंभौर क्या है?

  • रणथंभौर का स्थान:

    • यह किला और बाघ अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।

  • स्थापना का इतिहास:

    • 1955 में इसे सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था।

    • 1973 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।

    • 1 नवंबर 1980 को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।

  • वन्यजीव और जैव विविधता:

    • यहाँ बाघों के अलावा तेंदुए, लकड़बग्घे, हिरण, सियार और 340 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

    • यह स्थान जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

  • विशेषताएँ:

    • अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के संगम पर स्थित है।

    • यहाँ के विविध जंगल, जल स्रोत और रणथंभौर किले की ऐतिहासिक संरचनाएँ प्रकृति और इतिहास का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती हैं।

  • रणथंभौर किला:

    • यह किला 10वीं शताब्दी का है और कभी जयपुर के महाराजाओं की शिकारगाह हुआ करता था।

    • किले के अंदर भगवान गणेश का प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ लोग शादी-विवाह के पहले निमंत्रण कार्ड भेजते हैं।

  • संरचना:

    • किला रन और थंभ नाम की पहाड़ियों के बीच स्थित है।

    • इसे प्राकृतिक खाईयों द्वारा सुरक्षित किया गया है।

  • विश्व धरोहर:

    • यूनेस्को ने 21 जून 2013 को इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

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क्या न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए हो रही है यात्रा?

जब भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का एक साथ किसी स्थान पर जाना होता है, तो यह किसी बड़ी बैठक या चिंतन सत्र का संकेत हो सकता है। न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चिंतन करने के लिए यह एक उपयुक्त अवसर हो सकता है। इसके अलावा, इस प्रकार की यात्रा से न्यायपालिका के भीतर बेहतर तालमेल और समन्वय बढ़ सकता है।

यात्रा का उद्देश्य न्यायपालिका के अंदर विचार-विमर्श को बढ़ावा देना और न्यायिक सुधारों को लागू करने की दिशा में एक कदम उठाना हो सकता है। इसके अलावा, यह यात्रा न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता और उसके प्रभावी कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अवसर हो सकती है।

FAQ

1. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों का रणथम्भौर यात्रा का उद्देश्य क्या है?
यह यात्रा निजी बताई जा रही है, लेकिन इसमें न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चिंतन और विचार-विमर्श होने की संभावना है।
2. सीजेआई की रणथम्भौर यात्रा के लिए प्रशासन ने क्या तैयारी की है?
प्रशासन को उच्च अधिकारियों द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि यात्रा के लिए सभी आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाए और पूरी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
3. सीजेआई की रणथम्भौर यात्रा के दौरान न्यायपालिका के सुधारों पर चर्चा होगी?
इस यात्रा के दौरान न्यायपालिका से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श और चिंतन होने की संभावना है, जिससे न्यायिक सुधारों पर ध्यान दिया जा सकता है।

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