पेड़ शिक्षक भैराराम : रेगिस्तान में हरियाली का जादू बिखेरते एक गुरु की हरी क्रांति बन रही मिसाल

राजस्थान का यह पेड़ शिक्षक साबित कर रहा है कि एक व्यक्ति की लगन पूरे समाज और प्रकृति की तस्वीर बदल सकती है। उनका मानना है कि बस! हम अपने जीवन में एक बार हरियाली को जगह दे दें।

author-image
Amit Baijnath Garg
New Update
teacher bhairaram

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

राजस्थान का बाड़मेर जिला धूल, रेत और प्यासे आसमान के लिए पहचाना जाने वाला इलाका, लेकिन इसी रेगिस्तान में पिछले 26 वर्षों से एक शिक्षक हरियाली की मशाल थामे खड़े हैं। नाम है भैराराम भाखर। लोग उन्हें प्यार से कहते हैं पेड़ शिक्षक।

जुलाई, 1999 का समय… जब बाकी छात्र अपनी पढ़ाई और कॅरियर को लेकर चिंतित थे, तब भैराराम ने अपने गांव धोलाकरा में 50 पौधे लगाकर जीवन का असली उद्देश्य खोज लिया। यही पौधे उनके भीतर हरियाली का बीज बन गए, जिसने जीवनभर साथ निभाने की कसम खाई। 

साल 2002 में वे राजस्थान के शिक्षा विभाग में शिक्षक बने। पहली तनख्वाह मिली, तो जश्न मनाने की बजाय उन्होंने सारे पैसे पेड़ लगाने पर खर्च कर दिए और यह परंपरा आज भी जारी है। हर साल एक बड़ी रकम वे पौधों और पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करते हैं। उनकी 90 हजार रुपए की तनख्वाह का बड़ा हिस्सा हरियाली को समर्पित होता है।

छत्तीसगढ़ की रजत जयंती... प्रदेश में हरियाली बनी विकास की असली धुरी, सुरक्षित हुए वन और वन्यजीव

32 हजार किलोमीटर की हरित यात्रा

अपनी बाइक पर सवार होकर भैराराम अब तक 32,000 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। गांव-गांव, ढाणी-ढाणी, स्कूल-कॉलेज तक जाकर वे लोगों को समझाते हैं कि पेड़ सिर्फ ऑक्सीजन के कारखाने नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और आने वाली पीढ़ियों की धरोहर हैं। अब तक 1.6 लाख लोग उनके अभियान से जुड़ चुके हैं।

मध्यप्रदेश में 10 साल में दो हजार करोड़ खर्च कर लगाए 42 करोड़ पौधे, फिर भी घट गई हरियाली, अभियान पर उठे सवाल

पेड़ शिक्षक की कई अनोखी पहल

इस पेड़ शिक्षक की कई अनोखी पहल हैं। इनमें ट्री फ्रेंड अभियान के तहत वे हर साल 50 से 60 पौधे मुफ्त बांटते हैं और जिनको देते हैं, उन्हें पेड़ों का दोस्त बनाकर जिम्मेदारी सौंपते हैं। वहीं फैमिली फॉरेस्ट्री के तहत वे हर परिवार को कम से कम एक पेड़ को अपने सदस्य की तरह पालने की प्रेरणा देते हैं। गांधी पर्यावरण नर्सरी के नाम से वे अपने गांव में औषधीय और आयुर्वेदिक पौधों की नर्सरी चला रहे हैं। 

हरियाली और हरतालिका तीज में क्या है अंतर, जानें इन पावन व्रतों की तारीखें और महत्व

छात्रों को जोड़ने के लिए SAFE अभियान

छात्रों को जोड़ने के लिए खास अभियान सेफ उन्होंने चला रखा है। ग्रेट ट्री रेस्क्यू कैंपेन के तहत वे पुराने और विशाल पेड़ों को बचाने की पहल दिखाते हैं। ग्रेट ट्री पेंशन स्कीम उनकी प्रस्तावित योजना है, ताकि पेड़ों को भी संरक्षण और मान्यता मिल सके। 300 ट्रीज, वन लाइफ (2023) के तहत वे जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई से निपटने के लिए नया संकल्प दिलाते हैं। 

हरियाली तीज आज, ऐसे करें मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा, जानें व्रत के 10 जरूरी नियम

फूलों से महक सकता है रेगिस्तान

भैराराम मानते हैं कि अगर इंसान अपनी आदतों में हरियाली को जगह दे दे, तो रेगिस्तान भी फूलों से महक सकता है। उनकी मेहनत ने हजारों लोगों को पेड़ लगाने और बचाने के लिए प्रेरित किया है। राजस्थान का यह पेड़ शिक्षक साबित कर रहा है कि एक व्यक्ति की लगन पूरे समाज और प्रकृति की तस्वीर बदल सकती है।

FAQ

Q1: भैराराम भाखर को ‘पेड़ शिक्षक’ क्यों कहा जाता है?
भैराराम भाखर को ‘पेड़ शिक्षक’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने पेड़ लगाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार काम किया है और लाखों लोगों को इस दिशा में प्रेरित किया है।
Q2: भैराराम ने पेड़ लगाने की शुरुआत कब की थी?
भैराराम ने 1999 में अपने गांव धोलाकरा में 50 पौधे लगाकर पेड़ लगाने की शुरुआत की थी और तब से अब तक वह इस मिशन में जुटे हुए हैं।
Q3: भैराराम का ‘SAFE अभियान’ क्या है?
SAFE अभियान भैराराम का एक पहल है जिसके तहत वह बच्चों को पेड़ लगाने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक हरियाली से भरपूर पर्यावरण मिल सके।

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

रेगिस्तान पेड़ शिक्षक हरियाली बाड़मेर राजस्थान