श्राद्ध पक्ष : वीडियो कॉलिंग से विदेशों में बैठे लोग भी कर रहे पितरों को याद, तकनीक का समावेश

राजस्थान के अजमेर स्थित पुष्कर में श्राद्ध कर्म अब वीडियो कॉलिंग से भी हो रहे हैं, जिससे विदेश में बैठे लोग भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर पा रहे हैं। यहां परंपरा में तकनीक का समावेश हो रहा है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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हर साल राजस्थान के अजमेर स्थित पुष्कर (Pushkar) में श्रद्धालु अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म (Shraddh Ceremony) करते हैं। श्राद्ध पक्ष का यह अवसर विशेष रूप से पितृ पक्ष में आता है, जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह धार्मिक क्रिया करते हैं। इस बार तकनीकी युग के कारण दूर बैठे श्रद्धालु भी पुष्कर में वीडियो कॉलिंग के माध्यम से अपने पितरों का श्राद्ध कर्म कर रहे हैं।

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कैसे हो रहा है श्राद्ध कर्म वीडियो कॉलिंग से?

पुष्कर के तीर्थ पुरोहित अब वीडियो कॉलिंग (Video Calling) के माध्यम से श्रद्धालुओं से संपर्क कर उन्हें पितृपक्ष के कर्म में शामिल कर रहे हैं। इसके द्वारा न केवल श्रद्धालु अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और नारायण बलि (Narayan Bali) जैसे कर्म कर पा रहे हैं, बल्कि वे दान (Charity) और दक्षिणा (Donation) भी ऑनलाइन दे रहे हैं।

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विदेश में बैठे श्रद्धालु भी कर रहे हैं श्राद्ध

पुष्कर में मौजूद ब्रह्म सरोवर के जल को पवित्र माना जाता है और यहां की पूजा परंपराएं बड़ी गहरी धार्मिक महत्व रखती हैं। ऐसे में जो लोग विदेशों में रहते हैं, वे भी अब तकनीकी मदद से घर बैठे अपनी श्रद्धा अर्पित कर रहे हैं।

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श्राद्ध के प्रमुख कर्म

तर्पण
पिंडदान
नारायण बलि
दान और दक्षिणा

पुष्कर का महत्व और श्रद्धा से जुड़े कार्य

पुष्कर को तीर्थराज (Tirthraj) माना जाता है, जहां ब्रह्मा के सरोवर का जल अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यह जगह पितरों के लिए विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। यहां के 52 घाटों पर श्रद्धालु श्रद्धा (Faith) से विभिन्न धार्मिक क्रियाएं करते हैं।

सोशल मीडिया से जुड़ रहे श्रद्धालु

पुष्कर में कुछ तीर्थ पुरोहितों के सोशल मीडिया पेज भी हैं, जो दुनियाभर से श्रद्धालुओं से जुड़ते हैं। यह पेज नियमित रूप से श्राद्ध कर्म करने वाले श्रद्धालुओं को वीडियो कॉलिंग द्वारा इस पवित्र कार्य में शामिल करते हैं।

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सोशल मीडिया से संपर्क

सोशल मीडिया पेज
वीडियो कॉलिंग
ऑनलाइन दान और दक्षिणा

श्रद्धा और सही गोत्र का महत्व

पंडित रविकांत शर्मा बताते हैं कि श्राद्ध कर्म में श्रद्धा और सही गोत्र का होना अत्यंत आवश्यक है। केवल पैसे देने से श्राद्ध कर्म फलीभूत नहीं होता है, अगर श्रद्धालु के मन में सही श्रद्धा ना हो तो इसका कोई लाभ नहीं होता।

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दान-दक्षिणा भी हो रहे ऑनलाइन

पंडित रोशन पाराशर के अनुसार, अब श्रद्धालु अपने दान और दक्षिणा को भी ऑनलाइन (Online) अदा कर सकते हैं। इसके लिए वे फूड पैकेट्स (Food Packets) का खर्च भी ऑनलाइन ही वहन करते हैं, जिससे ब्राह्मणों को भोजन दिया जा सकता है।

FAQ

1. वीडियो कॉलिंग के जरिए श्राद्ध कर्म कैसे किया जाता है?
वीडियो कॉलिंग के माध्यम से तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं से संपर्क करते हैं और उन्हें पितरों के लिए श्राद्ध कर्म में शामिल कराते हैं।
2. क्या विदेश में रहने वाले लोग भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं?
हाँ, वीडियो कॉलिंग के माध्यम से विदेश में रहने वाले श्रद्धालु भी पुष्कर में श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
3. श्राद्ध कर्म में सही गोत्र का क्या महत्व है?
सही गोत्र का होना श्राद्ध कर्म को प्रभावी बनाता है, और इसे बिना श्रद्धा के नहीं किया जाना चाहिए।

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