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राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति बनाने का वादा किया गया था। इस वादे के तहत सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण से संबंधित एक नई नीति तैयार की जानी थी, जिससे लाखों कर्मचारियों को लाभ हो सकता था। वर्ष 2023 में सरकार के बनने के बाद से इस नीति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। यह स्थिति तब और चर्चा में आ गई जब हाल ही राजस्थान शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्यों के तबादले हुए। राजस्थान में तबादला नीति की आवश्यकता महसूस हुई।
विशेष अनुमति से हुए तबादले
राजस्थान सरकार द्वारा निर्देश दिए गए थे कि सभी विभाग स्थानांतरण नीति तैयार करें, लेकिन अब तक कोई भी विभाग अपनी नीति तैयार कर प्रशासनिक सुधार विभाग को नहीं भेज पाया है। इसके बावजूद, हाल ही में शिक्षा विभाग में विशेष अनुमति से प्रधानाचार्यों के तबादलों ने इस मुद्दे को फिर से हवा दी है।
कालीचरण सराफ ने उठाया मामला
राज्य सरकार ने प्रशासनिक सुधार विभाग को 9 अप्रैल 2024 और 24 मई 2024 को आदेश दिए थे कि सभी विभाग अपनी स्थानांतरण नीति तैयार करें, लेकिन अब तक इसका पालन नहीं किया गया है। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने विधानसभा सत्र में इस बारे में सवाल किया, जिसमें सरकार ने जानकारी दी कि विभागों में कार्यवाही अभी प्रक्रियाधीन है।
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प्रस्तावित तबादला नीति के नियमप्रस्तावित सरकारी कर्मचारी तबादला नीति में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं: कर्मचारी की पोस्टिंग: कर्मचारी की पोस्टिंग न्यूनतम दो वर्ष के लिए होनी चाहिए। रिक्त पदों की सूचना: सभी विभाग 15 जनवरी तक रिक्त पदों का विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर प्रकाशित करेंगे। ऑनलाइन आवेदन: कर्मचारी 1 फरवरी से 28 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। स्थानांतरण आदेश: 30 अप्रैल तक स्थानांतरण आदेश जारी किए जाएंगे। प्राथमिकता: दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता, एकल महिला, पूर्व सैनिक, उत्कृष्ट खिलाड़ी, शहीद के आश्रित कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। विभागीय नियम: जिन विभागों में 2,000 से अधिक कर्मचारी हैं, वे अपनी स्थानांतरण नीति स्वयं तैयार करेंगे। | |
Transfer Policy से क्या होगा लाभ
राज्य सरकार के अधीन आने वाले 10 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को इस नीति से सीधा फायदा हो सकता था। यदि यह नीति समय रहते बन जाती, तो कर्मचारियों को अधिक पारदर्शिता और न्यायपूर्ण स्थानांतरण का लाभ मिलता।
यह नीति क्यों लागू नहीं हो सकी
पिछले साल अप्रैल-मई में सभी विभागों को एक महीने के भीतर अपनी नीति तैयार करने का आदेश दिया गया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। राज्यपाल सचिवालय, विधानसभा सचिवालय और राज्य निर्वाचन आयोग में यह स्थानांतरण नीति लागू नहीं होगी।
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क्या कर्मचारियों के स्थानांतरण में कोई बदलाव हो सकता है
प्रस्तावित नियमों के अनुसार, कर्मचारियों को कम से कम दो वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करना अनिवार्य होगा। यदि किसी कर्मचारी को एक स्थान पर तीन वर्ष हो गए हैं, तो उसे प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित किया जा सकेगा। इसके अलावा, गंभीर शिकायत की स्थिति में किसी भी समय स्थानांतरण किया जा सकता है।
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