वसुंधरा राजे दिल्ली जाएंगी या रहेंगी राजस्थान में, आखिर क्यों नहीं हो रहा फैसला, जानिए पूरी स्टोरी

वसुंधरा राजे का भविष्य भाजपा में क्या होगा? राजस्थान में उनकी भूमिका को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राजे को राजस्थान छोड़ने की सलाह दी है। अब फैसला वसुंधरा राजे को करना है।

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Kamlesh Keshote
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. भाजपा राजस्थान के संगठन विस्तार के बाद भजनलाल मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं पर फिलहाल विराम लग गया है। लेकिन सियासी गलियारों में  पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर बड़ा सवाल ज्यादा उठ रहा है। सवाल यह है कि अब भाजपा में वसुंधरा की राजनीतिक हैसियत क्या होगी। 

पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन दिनों भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार तलाश रहा है। ऐसे में वसुंधरा को भी राजस्थान छोड़ने की सलाह दी गई है। गेंद वसुंधरा राजे के पाले में हैं। सूत्र बताते हैं कि वसुंधरा ने इस बारे में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। वसुंधरा आगे क्या करने वाली हैं, यह सवाल राजस्थान भाजपा के लिए ही नहीं, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए भी बड़ा सवाल बना हुआ। 

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रणकपुर में अमित शाह से नहीं की मुलाकात 

सूत्र बताते हैं कि हाल ही में वसुंधरा राजे असम के राज्यपाल ओम माथुर की पारिवारिक शादी में शामिल होने रणकपुर गई थी। वहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी थे। लेकिन वसुंधरा ने शाह से मुलाकात नहीं की। वे शाह के जाने के बाद समारोह स्थल पर पहुंची। इसी शादी में अमित शाह की भाजपा नेता सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ से मुलाकात के सियासी गलियारों में खूब मायने निकाले गए। बताया जाता है कि अमित शाह ने शादी में मंच पर सतीश पूनिया को एक तरफ ले जाकर चर्चा की। इसके बाद राजेंद्र राठौड़ को गाड़ी में साथ बैठाकर हैलीपेड तक ले गए। इसके बाद दोनों नेताओं की पार्टी में बड़ी भूमिका को लेकर चर्चा तेज हो गई।

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विजया राजे की बेटी हैं वसुंधरा 

वसुंधरा राजे जनसंघ संस्थापक सदस्य विजयाराजे सिंधिया की बेटी हैं। विजयाराजे ने न सिर्फ जनसंघ के लिए काम किया, बल्कि उनके परिवार ने पार्टी को खड़ा करने में पैसा भी लगाया था। ऐसे में पार्टी हाईकमान वसुंधरा की अनदेखी नहीं कर सकता है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के साथ ही आरएसएस भी वसुंधरा की भूमिका को लेकर मंथन कर रहा है। लेकिन बताया जाता है कि वह राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी हुई हैं।

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अंता उपचुनाव में भाजपा की हार या जीत ?

राजस्थान में हाल ही में हुए अंता विधानसभा उपचुनाव के परिणामों को लेकर भी सियासी गलियारों में चर्चा तेज है। इस उपचुनाव में कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया जीतने में कामियाब रहे। सवाल उठता है कि भाजपा सत्ता में रहने के बावजूद यह चुनाव क्यों हार गई। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इस चुनाव के लिए जी—जान लगा दी थी। अंता उनके बेटे सांसद दुष्यंत सिंह का गृह क्षेत्र है। पार्टी ने दुष्यंत को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया था। इसी सीट से वसुंधरा के करीबी कंवरपाल मीणा 2023 में चुनाव जीते थे। एक आपराधिक मामले में सजा होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। अब सियासी गलियारों में सवाल उठ रहा कि क्या वसुंधरा को कमजोर करने के लिए अंता में भाजपा की हार का चक्रव्यूह रचा गया था।

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वसुंधरा की सक्रियता से बढ़ी पार्टी की टेंशन 

राजस्थान में वसुंधरा राजे को जनाधार वाली नेता माना जाता है। जनता के बीच उनकी गहरी पैठ हैं। वे ऐसी एकमात्र नेता हैं, जो सभी जातियों को एक साथ साधती हैं। प्रदेश के कई समरोह और पार्टी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में उनकी लोकप्रियता चर्चा का विषय रही है। ऐसे में उनकी अब जनता के बीच सक्रियता लगातार पार्टी को अखर रही है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि पार्टी हाईकमान उनकी सक्रियता और चुप्पी से परेशान है।

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पार्टी के भीतर रहकर सादगी का परिचय 

वसुंधरा के करीबी लोगों का मानना है कि वह पार्टी के भीतर रहकर सादगी का परिचय देती हैं। विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा ने एक बार भी पार्टी विरोधी बयान नहीं दिया है। हालांकि, वे कई मौकों पर दार्शनिक अंदाज में अपनी उपेक्षा का जिक्र करती रही हैं। उनकी स्पीच सीधे तौर पर जनता को प्रभावित करती है। इसका उनको फायदा भी मिल रहा है। 

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सवाल: क्या होगा वसुंधरा का भविष्य 

वसुंधरा का भविष्य भाजपा में क्या होगा। यह सवाल 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार अपनी जगह कायम है। दो साल बीतने के बाद भी अभी तक उनकी भूमिका तय नहीं हुई है। पिछले दिनों अजमेर मेंं एक इंटरव्यू के दौरान वसुंधरा का दर्द छलक उठा। उन्होंने कहा कि आगे क्या करना है, उन्हें समझ नहीं आ रहा है। अब वे खुद को शरद पवार और कमलनाथ की जगह महसूस करने लगी है।

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