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कड़क प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली आईएएस निधि सिंह ने कॉर्पोरेट जगत की चमक-दमक छोड़कर प्रशासनिक सेवा का रास्ता चुना। अच्छे पैकेज और आरामदायक करियर की जगह उन्होंने लोगों की जिदगी में बदलाव लाने का सपना देखा और अपनी कड़ी मेहनत और लगन से इस सपने को पूरा कर दिखाया। चुनौतियों को अवसर में बदलने की उनकी क्षमता, जमीनी जुड़ाव और मानवीय संवेदनाओं ने उन्हें आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना दिया है।
बीटेक के बाद की UPSC की तैयारी
आईएएस निधि सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। उनका जन्म 9-11-1987 को कानपुर में हुआ था। उनके पिता सरकारी नौकरी में थे, जिसके चलते उन्हें बचपन से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने और नई परिस्थितियों को अपनाने का मौका मिला। उनकी माँ गृहिणी हैं। निधि चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर आती हैं। शिक्षा के प्रति उनका लगाव शुरू से ही गहरा रहा। दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई उन्होंने जालंधर से पूरी की और इसके बाद कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
निधि हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रही हैं। बीटेक के बाद उनका प्लेसमेंट पुणे स्थित विप्रो कंपनी में हुआ, जहाँ उन्होंने लगभग तीन साल तक काम किया। लेकिन, इसी दौरान उन्हें एहसास हुआ कि कॉर्पोरेट सेक्टर उनके मन मुताबिक नहीं है। तभी उन्होंने तय किया कि वे सरकारी सेवा में जाकर देश और समाज के लिए काम करेंगी।
जॉब करते हुए ही उन्होंने पहले एसएससी की तैयारी शुरू की और उनका चयन भी हो गया। करीब डेढ़ साल तक उन्होंने नौकरी की, लेकिन साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी जारी रखी। 2017 में पहले प्रयास में चयन भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में हो गया। बावजूद इसके उनका सपना था कि वे आईएएस बनें। इसलिए नौकरी करते हुए भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और दूसरे प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 289 हासिल कर अपने सपने को साकार कर लिया।
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पिता का सपना था बेटी बने IAS
निधि बताती हैं कि उनके पिता ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थे। जब निधि का एसएससी में चयन हुआ तो उनके पिता ने कहा कि अब तुम्हें यूपीएससी की तैयारी करनी चाहिए और तुम इसमें जरूर सफल होगी। यही शब्द उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बने। उन्होंने महसूस किया कि यही उनकी असली मंजिल है। जब आखिरकार उनका आईएएस के लिए चयन हुआ तो सबसे ज्यादा खुश उनके पिता ही हुए।
आसान नहीं था यूपीएससी का सफर
निधि की यात्रा आसान नहीं रही। उन्होंने 8-9 घंटे की जॉब के साथ तैयारी की। दिन में काम करने के बाद शाम और रात ही उनके पास पढ़ाई का समय होता था। कई बार उन्हें सिर्फ 4–5 घंटे की नींद में गुजारा करना पड़ता था। घर से दूर रहकर नौकरी और पढ़ाई को संतुलित करना बेहद कठिन था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे हमेशा सेल्फ-मोटिवेटेड रहीं और हर चुनौती का डटकर सामना किया।
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शादी के बाद दी परीक्षा
निधि मानती हैं कि सफलता पाने के लिए मेहनत, लगन और साहस के साथ-साथ परिवार का सहयोग भी जरूरी होता है। अपने दूसरे प्रयास के समय तक उनकी शादी हो चुकी थी। इस बीच तैयारी और परीक्षा का दबाव था, लेकिन उनके पति ने हर कदम पर उनका साथ दिया। प्रशासनिक सेवा में नहीं होने के बाद भी वो उनकी हर समस्या को सुनते और समझते हैं।
रिवीजन और राइटिंग प्रैक्टिस थी रणनीति
निधि अपनी रणनीति साझा करते हुए बताती हैं कि उन्होंने तैयारी के दौरान रिवीजन पर सबसे ज्यादा जोर दिया। जितना भी पढ़तीं, उसे बार-बार दोहरातीं। मॉक टेस्ट देना उनकी तैयारी का अहम हिस्सा था। उनका वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र (Sociology) था, जिसके लिए उन्होंने कोचिंग ली, जबकि बाकी सभी विषयों की पढ़ाई उन्होंने खुद से की। वो कहती हैं-जितना लिखने की प्रैक्टिस करेंगे उतना ही खुद को परीक्षा के लिए तैयार महसूस करेंगे।
बेकिंग और गार्डनिंग का है शौक
पढ़ाई और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच निधि अपने शौक को भी समय देती हैं। उन्हें किताबें पढ़ने, घूमने के अलावा बेकिंग और गार्डनिंग का शौक है। छुट्टी के दिनों में वे इन हॉबीज के लिए समय निकालकर खुद को रिलैक्स्ड महसूस करती हैं।
निडर रहकर काम करने वाली अधिकारी हैं
निधि सिंह की कार्यशैली से उनकी दृढ़ता और निडर व्यक्तित्व झलकता है। पहली ही पोस्टिंग में बड़नगर एसडीएम रहते हुए उन्होंने पानी निकासी के अवरोध हटवाने के लिए सख्त कदम उठाए, जिससे उनकी तेजतर्रार छवि सामने आई। विरोध का सामना करने के बावजूद उन्होंने पीछे हटने के बजाय दृढ़ संकल्प के साथ काम पूरा कराया। भोपाल नगर निगम में कार्यकाल के दौरान भी वे चर्चा में रहीं। उन पर जन प्रतिनिधियों की बातें न सुनने और कॉल रिसीव न करने के आरोप लगे, हालांकि निधि ने स्पष्ट किया कि वे हर कॉल का जवाब देती हैं और यदि तत्काल फोन उठाना संभव न हो तो बाद में कॉल बैक जरूर करती हैं।
सही के साथ खड़े रहना है सबसे बड़ी ताकत
निधि मानती हैं कि प्रशासनिक क्षेत्र में अधिकारी को हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दबाव चाहे कितना भी हो, उन्हें केवल वही करना चाहिए जो सही हो।मेरा मकसद सिर्फ अपने काम को अच्छे से करना है। वो कहती हैं- आम जनता के लिए काम करना और उन्हें न्याय दिलाना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। जब लोग खुश होकर दुआ देते हैं तो वही सबसे बड़ा संतोष होता है।
करियर एक नज़र
नाम: निधि सिंह
जन्म: 09-11-1987
जन्मस्थान: कानपुर, उत्तरप्रदेश
एजुकेशन: बी टेक
बैच: 2019
केडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
निधि सिंह वर्तमान में ग्वालियर में संयुक्त आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त के पद पर कार्यरत हैं। इसके पहले वो भोपाल निगम निगम में अपर आयुक्त के पद पर थीं। उनकी पहली पोस्टिंग बड़नगर में एसडीएम के रूप में थी।
FAQ
आईएएस निधि सिंह की कहानी यह बताती है कि दृढ़ संकल्प, कठिन मेहनत और लगन से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। उनकी कार्यशैली, निडरता और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें एक प्रेरणादायक अधिकारी के रूप में स्थापित किया है।
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