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सरकारी दफ्तरों की सुस्त रफ्तार, बाजार में मुनाफाखोरी, शराब माफिया का आतंक और जनता की अनसुनी फरियादें, ये सब तब तक चलते हैं जब तक प्रशासन में कोई ऐसा अफसर न आए, जो सिस्टम को हिला कर रख दे।
आईएएस संजीव श्रीवास्तव ऐसे ही अफसर हैं, जिनकी कार्यशैली हर किसी से अलग है। वो न सिर्फ दफ्तर में बैठकर आदेश जारी करते हैं, बल्कि खुद मैदान में उतरकर कार्रवाई भी करते हैं, कभी भेष बदलकर, तो कभी खुलकर।
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में जन्मे संजीव सामान्य परिवार से थे। बचपन से उनके मन में देश सेवा की लगन थी। पहले स्कूलिंग पूरी की। फिर शुरू मेहनत का दौर। लंबा संघर्ष हुआ। कई बार मन किया कि ये सब छोड़ दें, पर उन्होंने हार नहीं मानी।
43 की उम्र में वे राज्य प्रशासिनक सेवा में चयनित हुए। फिर कई जिलों में अपने काम का लोहा मनवाया। 2018 में उन्हें आईएएस अवॉर्ड हुआ।
जब शराब माफिया पर मारी रेड
जिले में पदस्थ कई अफसरों के लिए अवैध शराब के धंधे पर कार्रवाई सिर्फ एक फाइल का हिस्सा होती है, पर संजीव ने इसे असलियत में बदल दिया। उन्हें जानकारी मिली कि कुछ ठिकानों पर शराब का अवैध गोदाम चल रहा है। आमतौर पर अफसर पुलिस टीम को भेजकर रेड करवा देते हैं, पर आईएएस संजीव श्रीवास्तव खुद वहां पहुंच गए। रात के अंधेरे में दबिश दी, तहखाने खुलवाए, स्टॉक की जांच कराई और पूरी खेप जब्त कर ली। जिन माफियाओं को लगा था कि वे सत्ता के संरक्षण में हैं, उनके होश उड़ गए।
मुंह पर रुमाल बांधकर दुकानदारों की लूट पकड़ी
मैदानी पदस्थापना के दौरान संजीव श्रीवास्तव ने कई नवाचार किए हैं। जब वे कलेक्टर बने जिले में पहुंचे तो पता चला कि मुनाफाखोरी और ग्राहकों से धोखाधड़ी की शिकायतें बढ़ रही हैं। दुकानदारों को पता था कि अफसर आएगा तो वो साफ-सुथरी रसीद दिखाकर मामला रफा-दफा कर देगा। लेकिन इस बार जो ग्राहक दुकान पर आया, वो कोई आम आदमी नहीं, बल्कि खुद संजीव श्रीवास्तव थे। उन्होंने मुंह पर रुमाल बांधा और दुकानदार से सामान खरीदा, जब बिल मांगा तो गोलमोल जवाब मिला। बस फिर क्या था, तुरंत कार्रवाई की। कई दुकानदारों के खिलाफ केस दर्ज हुए और बाजार में मुनाफाखोरी पर लगाम लग गई।
टूट गई टांग, पर टूर पर निकले स्टूल के साथ
सामान्य अफसर अगर चोटिल हो जाए, तो आराम करने चले जाते हैं। लेकिन संजीव श्रीवास्तव उन लोगों में से नहीं हैं, जो तकलीफ के आगे झुक जाएं। कुछ समय पहले उनके पैर में गंभीर चोट आई, लेकिन उन्होंने काम बंद नहीं किया। स्टूल लेकर सरकारी दौरों पर निकले और जरूरी बैठकों की अध्यक्षता की। उनका ये जज्बा प्रशासनिक अफसरों और कर्मचारियों के लिए भी मिसाल बन गया।
विवादों से भी नाता, जब हाईकोर्ट ने फटकारा
आईएएस संजीव श्रीवास्तव बेखौफ अफसर हैं। भिण्ड में पदस्थापना के दौरान रेत माफिया ने उन पर हमला किया। पत्थर फेंके, फायरिंग हुई, पर संजीव डटे रहे। आखिरकार उन्होंने माफिया को दबोच ही लिया। पिछले दिनों ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आईएएस संजीव श्रीवास्तव के काम पर सवाल उठाते हुए अवमानना का दोषी माना था। कोर्ट ने कहा था कि कलेक्टर ने पुरानी सुनवाई से कोई सबक नहीं सीखा और उनकी कार्रवाई मात्र दिखावा है।
हाईकोर्ट ने कहा, भिंड कलेक्टर ने सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की। अब ऐसा अधिकारी फील्ड में रहना चाहिए या नहीं, यह प्रदेश के मुख्य सचिव तय करें। आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए गए थे। यह पूरा मामला पीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं होने को लेकर था।
पिछले दिनों ही एक महिला तहसीलदार ने महिला आयोग से आईएएस संजीव श्रीवास्तव की शिकायत की थी। आरोप है कि आईएएस श्रीवास्तव ने महिला अफसर को 4 महीने में 10 से ज्यादा नोटिस थमाए थे।
कॅरियर एक नजर
नाम: संजीव श्रीवास्तव
जन्म दिनांक: 27-06-1968
जन्म स्थान: रायसेन जिला, मध्यप्रदेश
एजुकेशन: B.E., M.B.A., PGDCA
बैच: SCS; 2011 (मध्यप्रदेश)
पदस्थापना
2 मई 2025 की स्थिति में आईएएस संजीव श्रीवास्तव भिंड कलेक्टर हैं। इससे पहले वे बतौर कलेक्टर उमरिया जिले की कमान भी संभाल चुके हैं। वे डिप्टी कलेक्टर बैतूल, आवंटन अधिकारी सम्पदा निदेशालय, एसडीएम छतरपुर, जिला उप प्रबंधक डीपीआईपी रायसेन, एसडीएम बैतूल, उप सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, उप सचिव श्रम, उप सचिव जनजाति कार्य, उप सचिव चिकित्सा शिक्षा, उप सचिव गृह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी उमरिया, मप्र राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड और आयुक्त रोजगार एवं उप सचिव खेल एवं युवा कल्याण भोपाल में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
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