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भारत में सिविल सेवा परीक्षा केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास की यात्रा है। इसी यात्रा को साकार किया है किसान की बेटी मिशा सिंह ने, जिन्होंने अपने वकालत के पेशे को छोड़कर प्रशासन का रास्ता चुना।
दो बार असफल होने के बावजूद तीसरे प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर आईएएस बनकर दिखाया और आज वो भारत की हर उस बेटी के लिए प्रेरणा हैं जो अपने आत्विश्वास और संघर्ष से कोई भी मुकाम हासिल कर सकती हैं।
किसान परिवार में हुआ जन्म
मिशा सिंह का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के अलीगंज क्षेत्र में हुआ था। पिता आनंद सिंह किसान हैं और मां विनोद कंवर गृहणी। उत्तरप्रदेश में ही पली-बढ़ी मिशा ने बचपन से ही कुछ अलग करने का सपना देखा हालांकि उस समय तक उन्होंने आईएएस बनने का नहीं सोचा था। उनकी शुरुआती शिक्षा माउंट कार्मेल और जयपुरिया स्कूल से हुई।
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तीसरे प्रयास में हासिल की 64वीं रैंक
पढ़ाई में शुरू से ही होशियार रहीं मिशा डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ से एलएलबी (LLB) की पढ़ाई की। कानून की पढ़ाई के दौरान उन्होंने महसूस किया कि सिस्टम में रहकर समाज की समस्याओं को बेहतर ढंग से हल किया जा सकता है। इसी सोच के साथ उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।
हालांकि, शुरुआती दो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दिल्ली जाकर लॉ में पीजी डिप्लोमा करते हुए उन्होंने तैयारी जारी रखी और तीसरे प्रयास में UPSC परीक्षा 2015 में ऑल इंडिया रैंक 64 हासिल की।
हार्ड वर्क के साथ स्मार्ट वर्क है जरूरी
मिशा मानती हैं कि असफलता किसी यात्रा का अंत नहीं, बल्कि सुधार का अवसर होती है। उन्होंने हर असफलता के बाद अपने प्रदर्शन का विश्लेषण किया, कमजोरियों को पहचाना और तैयारी की रणनीति बदली।
आईएएस मिशा सिंह अनुसार, UPSC की तैयारी में हार्ड वर्क के साथ स्मार्ट वर्क जरूरी है, वरना आप जानकारी में उलझ जाएंगे। वे कहती हैं- मैंने हर अटेम्प्ट के बाद अपनी गलतियों को समझा। यही एनालिसिस मेरी सबसे बड़ी ताकत बना। अगली बार वो गलतियां नहीं करना ही मेरी सफलता का कारण बनीं।
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क्या थी तैयारी की रणनीति
न्यूज़पेपर और करेंट अफेयर्स: वे नियमित रूप से अखबार पढ़ती थीं और हर मुद्दे का बैकग्राउंड समझने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करती थीं।
स्वयं के नोट्स: उन्होंने हर विषय के लिए अपने नोट्स तैयार किए, जिससे रिवीजन में मदद मिली।
रिवीजन और मॉक टेस्ट: मिशा का मानना है कि UPSC के लिए स्मार्ट स्टडी ज़रूरी है। तैयारी देखने के लिए मॉक टेस्ट देना जरूरी है।
इंटरनेट का सही उपयोग: उन्होंने ऑनलाइन लेक्चर्स और सरकारी रिपोर्ट्स का गहराई से अध्ययन किया।
प्रशासनिक काम में मिलती है वैरायटी
आईएएस मिशा सिंह बताती हैं कि प्रशासनिक सेवा में आने का सबसे बड़ा कारण वैरायटी है- यह सेवा आपको हर दिन कुछ नया सीखने, करने और समाज की मदद करने का मौका देती है। वकालत में जो कुछ सीखा उसको यहां सही तरीके से कार्यान्वित करने का मौका मिलता है।
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ट्रांसडेंजर्स के लिये बनवाए शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शाजपुर में आईएएस मिशा सिंह ने एक नया नवाचार शुरू किया था। उनकी इस पहल से यह प्रदेश का पहला जिला बना जहां ट्रांसजेंडर के लिए भी शौचालय की व्यवस्था की गई है। अमूमन थर्ड जेंडर पुरुष और स्त्री के शौचालय में जाने से विवाद की स्थिति बनती थी। थर्ड जेंडर को सम्मानित करने की दिशा में उनका यह प्रयास सराहनीय है। इसके साथ ही उन्होंने स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था करवायी है।
करियर एक नजर
नाम: मिशा सिंह
जन्म: 08-03-1988
स्थान: अलीगंज, उत्तरप्रदेश
एजुकेशन: बीए, एलएलबी
बैच: 2016
कैडर: मध्य प्रदेश
पदस्थापना
मिशा वर्तमान में रतलाम कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इसके पहले वो कुछ कुछ दिन दमोह कलेक्टर के रूप में कार्यरत थीं। वो जबलपुर, शाजापुर और उमरिया में अपर कलेक्टर के रूप में भी काम कर चुकी हैं। वो रायसेन में एसडीएम भी रह चुकी हैं।
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एक किसान परिवार की बेटी से लेकर एक कलेक्टर तक का उनका सफर इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। उनकी ईमानदार और जमीनी कार्यशैली के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों में उनका विशेष सम्मान है।
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