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आज भी अधिकतर लोग यह मानते हैं कि छोटे शहरों से निकलकर आईएएस बनना आसान नहीं है। लेकिन विंध्य की बेटी रजनी सिंह ने इस सोच को गलत साबित कर दिया।
सतना जैसे छोटे शहर के साधारण परिवार से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी को पास करना और आईएएस अधिकारी बनना उनकी मेहनत, संघर्ष और अदम्य साहस का परिणाम है।
रजनी सिंह की कहानी केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि यह हजारों-लाखों युवाओं, खासकर छोटे कस्बों और गांवों की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है
साधारण परिवार से असाधारण सपनों तक
13 दिसंबर 1985 को सतना में जन्मी रजनी सिंह का बचपन बिल्कुल सामान्य माहौल में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतना के सरस्वती स्कूल से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए जबलपुर चली गईं, जहां से उन्होंने इंजीनियरिंग (बीई) की डिग्री हासिल की।
उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने तय किया कि वे प्रशासनिक सेवा में जाएंगी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दिल्ली चली गईं और यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं।
रजनी सिंह की शादी आईएएस राघवेंद्र सिंह से हुई है, जो वर्तमान में जबलपुर कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। दोनों ही पति-पत्नी प्रशासनिक सेवा में अपनी-अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
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असफलता से मिली सीख
रजनी सिंह का सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा चार बार दी। पहले तीन प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। हर असफलता से सीखकर उन्होंने अपनी रणनीति बदली और चौथे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 55 हासिल कर आईएएस बन गईं।
यह उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प का प्रमाण है कि लगातार असफलताओं के बावजूद उन्होंने अपने सपनों का पीछा नहीं छोड़ा।
बनना चाहती थी आईपीएस
रजनी सिंह बचपन से ही तेज-तर्रार स्वभाव की रही हैं। पांच साल की उम्र से वे कहा करती थीं कि बड़ी होकर एसपी बनेंगी और अपराधियों को सबक सिखाएंगी। उस समय जिले में पदस्थ आईपीएस अफसर आशा गोपालन उनकी आदर्श थीं। यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी उन्होंने हर प्रयास में अपनी पहली पसंद आईपीएस सेवा को दी। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। तीन प्रयासों की असफलता के बाद चौथे प्रयास में उन्होंने पहली पसंद आईएएस सेवा को दी और सफलता हासिल की। हालांकि, वे आज भी मानती हैं कि आईपीएस नहीं बन पाने का उन्हें मलाल है।
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विवादों में भी घिरीं रजनी सिंह
जहां एक ओर रजनी सिंह अपनी कार्यकुशलता के लिए जानी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें विवादों का सामना भी करना पड़ा। वर्ष 2016 में बीना में एसडीएम रहते हुए उन्होंने एक आधार कार्ड केंद्र पर छापा मारा और कई उपकरण जब्त किए। लेकिन यह मामला अदालत तक पहुंचा। आरोप यह लगा कि जब्त किए गए उपकरण तहसील कार्यालय में जमा नहीं किए गए। नतीजतन, बीना सिविल न्यायालय ने सुनवाई में पाया कि आदेशों का पालन समय पर नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने रजनी सिंह और अन्य अधिकारियों पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया और जमानती वारंट जारी किया।
करियर एक नजर
नाम: रजनी सिंह
जन्म: 13-12-1985
जन्मस्थान: सतना, मध्य प्रदेश
एजुकेशन: बी ई
बैच: 2013
केडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
वर्तमान में रजनी सिंह नरसिंहपुर की कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इसके पहले वे झबुआ कलेक्टर रही हैं। उन्होंने इंदौर में अपर आयुक्त (कमर्शियल टैक्स) का दायित्व संभाला और साथ ही पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (वेस्ट डिस्कॉम) की मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहीं। उनकी पहचान एक ऐसी अधिकारी के रूप में दल जो काम में पारदर्शिता और सख्ती पर जोर देती हैं। वे मानती हैं कि प्रशासनिक व्यवस्था तभी सफल हो सकती है जब योजनाएं जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से लागू हों।
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आज आईएएस रजनी सिंह की गिनती उन अफसरों में होती है जो कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़े। उनकी कहानी यह साबित करती है कि छोटे शहरों के सपने भी बड़े होते हैं, और यदि मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। छोटे कस्बे से निकलकर, असफलताओं से जूझकर और अंततः यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को जीतकर उन्होंने यह संदेश दिया है कि—असफलताएं सफलता की सीढ़ी हैं, बस उन्हें पार करने का साहस होना चाहिए। वे आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं और इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि परिस्थितियां चाहे जैसी हों, लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता मेहनत और आत्मविश्वास से बनता है।
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