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Photograph: (thesootr)
एक नवंबर को, केरल Extreme Poverty से मुक्त हो गया। वह ऐसी घोषणा करने वाला पहला राज्य है, जहां के 59,277 परिवारों को अब अति गरीबी का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। 2021 में NITI Aayog ने केरल की गरीबी दर 0.7% आंकी थी, जो देश में सबसे कम थी। केरल सरकार की कल्याणकारी नीतियों ने इस दर को 70 के शुरुआती दशक के 59.8% से वर्तमान स्तर तक घटाने में सफलता पाई है। केरल ने यह कमाल (Kerala success story) कैसे किया, चलिए जानते हैं thesootr Prime में…
पहले 5 पॉइंट में समझें क्या है पूरा मामला
👉 केरल ने 64,006 से ज्यादा गरीब परिवारों की सही पहचान और मदद की।
👉 हर परिवार की जरूरत के अनुसार अलग-अलग प्लान बनाकर जरूरतें पूरी की गईं।
👉 राज्य सरकार ने रहन-सहन, राशन, इलाज और आय के लिए स्पेशल स्कीम चलाई।
👉 हर घर को घर, खाना, रोजगार और जरूरी दस्तावेज देने पर फोकस रहा।
👉 केरल का मॉडल, देश में गरीबी मिटाने का सशक्त उदाहरण है।
कैसे की चरम गरीबी की सही पहचान?
2021 में केरल सरकार ने राज्यभर में एक बड़ा सर्वे किया। 64,006 परिवारों को मुख्य रूप से सबसे गरीब वर्ग में रखा गया। इन सबका डाटा इकट्ठा किया और उनकी खास जरूरतें पहचानी गईं। हर परिवार के लिए अलग माइक्रो-प्लान बनाने का फैसला हुआ।
Kannur जिले के Kuttiattoor पंचायत के अध्यक्ष PP Rejy कहते हैं कि स्थानीय निकायों ने अत्यंत गरीब परिवारों के लिए उनकी जरूरतों को समझने के लिए निरंतर दौरे किए। “इन कदमों में से कई, जैसे दस्तावेज़ उपलब्ध कराना या वार्षिक योजना या योजनाओं के बाहर घर देना, केवल परियोजना के कारण संभव हुआ,”
सामूहिक प्रयास का असर
स्थानीय self-government मंत्री M.B. Rajesh का मानना है कि केरल की मजबूत, विकेंद्रीकृत स्थानीय शासन संरचना के बिना यह проект संभव नहीं होता, क्योंकि स्थानीय निकायों ने प्रारंभिक सर्वे, माइक्रो-योजनाओं की तैयारी और उनके कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई।
केरल का गरीबी हटाओ माइक्रो-प्लान क्यों है खास?
केरल की राज्य सरकार ने हर गरीब परिवार की जरूरत को समझा। जैसे खाने का सामान, मेडिकल सहायता, आय और रहने के लिए घर। इसी हिसाब से हर एक परिवार का अलग प्लान बनाया गया। इसका फायदा यह हुआ कि हर जरूरतमंद तक सही मदद टाइम पर पहुंची।
केरल सरकार ने किस तरह के कदम उठाए? सरकार ने हजारों करोड़ का फंड अलग किया। हर दिन 20 हजार से अधिक गरीब परिवारों को खाना मिला। लगभग 5,400 नए घर बने, 5,500 घरों की मरम्मत कराई गई। 2,700 भूमिहीन परिवारों को रहने की जमीन भी दी गई। अलग-अलग दस्तावेज जैसे राशन कार्ड, आधार भी मुफ्त दिलाया गया। लगभग 4,400 परिवारों को रोजगार सपोर्ट स्कीम में भी शामिल किया गया।
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केरल के मॉडल में क्या रहा खास?
केरल ने सही आंकड़ों और निगरानी की वजह से सफलता पाई। लोकल प्रशासन, पंचायत और सरकारी विभागों ने मिलकर काम किया। हर कदम पर फीडबैक और जमीनी चैकिंग हुई। पहली बार सरकारी भाषा को छोड़ कर रोजमर्रा की भाषा में योजनाएं चलाई गईं। परिवारों के अनुभवों और बदलती स्थितियों के हिसाब से योजनाओं को अपडेट किया गया।
गरीबी से उबरने की कहानियां57 साल की अंबिका देवी कहती हैं- पति के निधन के बाद हमारा घर ढह गया था। EPEP के अंतर्गत घर मिला। साथ में किराना दुकान शुरू करने के लिए ₹50 हजार की फंडिंग भी दी गई। अब पड़ोस के लोग यहां से सामान खरीदते हैं। इससे जीवन-यापन के लिए पर्याप्त आय हो जाती है।
67 वर्ष के दासराज इडुक्की बताते हैं- घर के साथ ही ₹50 हजार की मदद मिलने से मैंने तीन बकरियां खरीद लीं। इससे आय के कुछ स्रोत बने। 28 वर्ष की रेम्या कोल्लम कहती हैं- LIFE प्रोजेक्ट के आधार पर घर मिला। इसके साथ ही Jana Sevana Kendra की हेल्प-डेस्क पर नौकरी भी मिल गई। जिससे बच्चों और सास-ससुर की देखभाल के लिए पर्याप्त आय होने लगी है। कुल मिलाकर, केरल में 21,263 व्यक्तियों को आवश्यक दस्तावेज, 3,913 परिवारों को घर, 5,651 परिवारों के लिए घर मरम्मत, भोजन-सप्लाई और दवाओं की व्यवस्थाएं की गईं- LSGD के आंकड़े बताते हैं कि यह एक समन्वित, बहु-क्रियात्मक कार्यक्रम रहा है (LSGD data) । |
क्या यह कोशिश पूरी तरह सफल रही?
हां, सरकार के मुताबिक अब राज्य में कोई भी परिवार चरम गरीब नहीं रहता। 2025 में केरल गरीबी उन्मूलन की दर सिर्फ 0.7% रही, जो पूरे भारत में सबसे कम है। अधिकतर लोग अब घर, खाना, इलाज और शिक्षा की बेसिक सुविधा पा रहे हैं। मगर, कुछ समूह जैसे आदिवासी समाज को लेकर आलोचनाएं भी हैं। कुछ विरोधी दलों का मानना है कि रातों-रात सब बदलना थोड़ा मुश्किल है।
आगे क्या होगा?
राज्य सरकार ने अगला टारगेट गरीबी मुक्त समाज को बनाए रखने और ज्यादा परिवारों तक मदद पहुंचाने का रखा है। समुदाय और लोकल बॉडी की भागीदारी अब और भी बढ़ाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि poverty free Kerala के लिए पारदर्शी सिस्टम और मॉनिटरिंग से आगे भी सफलता दोहराई जाएगी।
FAQ
स्रोत/रेफरेंस
lsgd.kerala.gov.in, theprint.in, chronicleindia.in
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