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रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन की इस धमकी ने दुनिया में world war 3 की तरफ धकेल दिया है
1 जून 2025 को, यूक्रेन ने रूस पर ऑपरेशन स्पाइडर वेब के तहत एक बड़ा ड्रोन हमला किया। इसने युद्ध के समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया। इस हमले में 117 अत्याधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। इससे रूस के पांच प्रमुख एयरबेसों के 40 से ज्यादा बमवर्षक विमान नष्ट हो गए। रूस को लगभग 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है और रूस गुस्से में है। यह हमला साबित करता है कि छोटे देश भी अब आधुनिक तकनीक के जरिए बड़े देशों की सैन्य ताकत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है- ऑपरेशन स्पाइडर वेब
यूक्रेन ने यह हमला रूस के अंदर 4000 किलोमीटर दूर स्थित एयरबेसों पर किया, जो अब तक असंभव माना जाता था। इन हमलों ने रूस की लंबी दूरी की मिसाइल क्षमता को गहरा झटका दिया है, क्योंकि इन बमवर्षकों का इस्तेमाल यूक्रेन पर मिसाइल हमलों में किया जाता था।
रूस की सैन्य ताकत पर गंभीर असर
इस हमले ने रूस की सैन्य ताकत पर बड़ा असर डाला है। रूस को अब अपनी सैन्य रणनीति और एयर डिफेंस प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। यदि रूस अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत नहीं करता, तो भविष्य में ऐसे हमलों से निपटना और मुश्किल हो सकता है।
शांति वार्ता के बीच हुआ हमला
यह हमला ऐसे समय में हुआ जब रूस और यूक्रेन के बीच इस्तांबुल में शांति वार्ता का दूसरा दौर चल रहा था। हमले के अगले ही दिन वार्ता बिना किसी ठोस नतीजे के समाप्त हो गई। यह घटना इस बात का संकेत है कि युद्ध और कूटनीति दोनों एक साथ चल रहे हैं, लेकिन ऐसे हमले शांति प्रक्रिया को और जटिल बना सकते हैं।
पुतिन ने इसे "अभूतपूर्व उकसावा" बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। यह चेतावनी पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकेत है कि रूस अपनी सैन्य प्रतिक्रिया में बढ़ोतरी कर सकता है, जिससे स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
शुरू हो गया ड्रोन युद्ध का नया युग
ऑपरेशन स्पाइडर वेब यह साबित करता है कि अब युद्ध पारंपरिक रूप से नहीं लड़ा जाएगा। अब युद्ध में छोटे, सस्ते और स्मार्ट ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनसे बड़े देशों को भारी नुकसान हो सकता है। इन ड्रोन की सटीकता ने पारंपरिक सुरक्षा तंत्र को नाकाम कर दिया है। इसके अलावा, ड्रोन और AI के विकास से युद्ध और भी अधिक तकनीकी, स्वायत्त और कम मानवीय हस्तक्षेप वाला हो सकता है।
ड्रोन युद्ध का विस्तार
यूक्रेन और रूस दोनों अब और भी एडवांस्ड, AI आधारित और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर-प्रतिरोधी ड्रोन विकसित कर रहे हैं। ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब छोटे देश भी अपनी तकनीक के दम पर बड़े देशों को गहरे नुकसान पहुंचा सकते हैं। भविष्य में, ड्रोन, AI और ऑटोमेशन युद्ध के मुख्य हथियार बन सकते हैं, जो युद्ध की दिशा और रणनीति को पूरी तरह से बदल सकते हैं।
परमाणु हथियारों का खतरा
यदि भविष्य में ऐसे ड्रोन हमले रूस के परमाणु हथियारों या उनके वाहक विमानों तक पहुंचते हैं, तो तनाव और बढ़ सकता है। इससे वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा और रूस-नाटो संबंधों में नई जटिलताएं आ सकती हैं। ऐसे हमले वैश्विक संघर्ष को और भी खतरनाक बना सकते हैं।
तो क्या AI और ड्रोन से होगा युद्ध
ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने रूस और यूक्रेन के युद्ध में एक नया मोड़ ला दिया है। यह सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं था, बल्कि यह युद्ध के भविष्य का इशारा था। अब युद्ध सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आधुनिक तकनीक के जरिए किसी भी देश की सैन्य ताकत को लक्ष्य बनाना संभव हो गया है। भविष्य में ड्रोन और AI आधारित युद्ध उपकरणों की भूमिका बढ़ेगी, जिससे युद्ध और भी अप्रत्याशित और घातक हो सकते हैं।
पारंपरिक युद्ध के तरीके | ऑपरेशन स्पाइडर वेब के बाद बदलाव |
---|---|
सीमाओं पर आमने-सामने टकराव | दुश्मन के क्षेत्र में दूर गुप्त हमला |
भारी-भरकम हथियार, टैंक, मिसाइल | सस्ते, छोटे, स्मार्ट ड्रोन |
मानव-आधारित कमांड और नियंत्रण | AI व ऑटोमेशन आधारित ऑपरेशन |
एयर डिफेंस और खुफिया तंत्र पर निर्भरता | एयर डिफेंस और इंटेलिजेंस को चकमा देना |
लंबी तैयारी और भारी लॉजिस्टिक्स | कम समय में, कम लागत पर बड़ा हमला |
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने मई 2024 में परमाणु युद्ध की आशंका जताई थी, और अब यह खतरा और भी गहरा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस इस वक्त अपने परमाणु विकल्पों को पूरी तरह से नकार नहीं सकता, हालांकि इस समय परमाणु हमले की संभावना कम है।
अब दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज पर है?
दरअसल वर्तमान हालात चिंताजनक हैं। हालांकि अभी तीसरा विश्व युद्ध एक काल्पनिक संभावना ही है, लेकिन संघर्ष अगर बढ़ता है, तो दुनिया अमेरिका और रूस के गुटों में बंटी हो सकती है। तटस्थ देश शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रयास करेंगे, लेकिन ड्रोन, AI और साइबर हमले युद्ध के प्रमुख हथियार बन सकते हैं। इस सबके बीच, रूस-यूक्रेन संघर्ष, इज़राइल-हमास संघर्ष, चीन-ताइवान तनाव, और पाकिस्तान-भारत सीमा विवाद जैसे मुद्दे वैश्विक सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं।
तीन गुटों में ऐसे बंट सकती है दुनिया
गुट | मुख्य सदस्य | समर्थक | रणनीति |
---|---|---|---|
अमेरिका-नाटो गुट | अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इटली, पोलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया | यूक्रेन, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात | NATO के सैन्य संसाधनों, तकनीकी श्रेष्ठता और वैश्विक गठजोड़ पर निर्भरता। अमेरिका नेतृत्व करेगा और सहयोगियों को सैन्य सहायता देगा। |
रूस-चीन गुट | रूस, चीन, उत्तर कोरिया, ईरान, बेलारूस | सीरिया, वेनेजुएला, क्यूबा | रूस की सैन्य ताकत और चीन की आर्थिक शक्ति का संयोजन। एशिया, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश। |
तटस्थ देश | भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, मैक्सिको | — | सीधे युद्ध से बचना, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से शांति वार्ता को बढ़ावा। भारत की "स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी" नीति से संतुलन। |
दुनिया में कहां क्या चल रहा जो बड़ा रहा वर्ल्ड वॉर-3 की संभावना
बढ़ते वैश्विक तनाव
रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-गाजा संघर्ष, अमेरिका-चीन के बीच ताइवान को लेकर तनाव, और उत्तर कोरिया की परमाणु गतिविधियां, इन सभी ने दुनिया में अस्थिरता और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है।
जनता भी मान रही
हाल ही में किए गए एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में अमेरिका और यूरोप के 41% से 55% लोगों ने माना कि अगले 5-10 वर्षों में वर्ल्ड वॉर-3 हो सकता है। 68% से 76% लोगों को लगता है कि इसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होगा।
ये हो सकते हैं वैश्विक संकट का कारण
इतिहास से लें सबक
कोल्ड वॉर और क्यूबा मिसाइल संकट
1962 के क्यूबा मिसाइल संकट को अब तक वर्ल्ड वॉर-3 के सबसे करीब का क्षण माना जाता है, जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु युद्ध लगभग शुरू हो गया था।
कोरियाई युद्ध और अन्य घटनाएं:
कई बार दुनिया पहले भी ऐसे मोड़ पर पहुंची है, जब वैश्विक युद्ध की संभावना बनी थी, लेकिन कूटनीतिक प्रयासों से टल गई।
क्यों महत्तवपूर्ण है साल 2025
भविष्यवाणियां और चेतावनियां: कई भविष्यवक्ताओं (जैसे बाबा वेंगा, नास्त्रेदमस) ने 2025 में बड़े युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी की है, जिससे आमजन में डर और चर्चा बढ़ी है।
सरकारों की तैयारी: यूरोपीय देशों ने नागरिकों को आपातकालीन किट और जरूरी सामान स्टॉक करने की सलाह दी है, जिससे खतरे की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पहले और दूसरे विश्व युद्ध से तुलना
प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918): मित्र राष्ट्र (ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका) vs. केंद्रीय शक्तियाँ (जर्मनी, ऑस्ट्रिया)।
द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945): मित्र राष्ट्र (अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन) vs. धुरी राष्ट्र (जर्मनी, इटली, जापान)।
तीसरे विश्व युद्ध का परिदृश्य कुछ ऐसा होगा: यह परमाणु हथियारों, साइबर युद्ध, और अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से अलग होगा, जो इसे पिछले युद्धों से कहीं अधिक खतरनाक बना सकता है।
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