उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में सबकी पसंद दक्षिण, जानें पीछे का खेल…

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए NDA  और I.N.D.I.A. दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार के रूप में दक्षिण भारत के नेताओं को मैदान में उतारा है। thesootr Prime में समझें आखिर सभी का प्रेम दक्षिण की ओर ही क्यों उमड़ रहा है… 

author-image
CHAKRESH
New Update
Vice-president-election

Photograph: (thesootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Thesootr Prime : कल्पना कीजिए एक राजनीतिक नाटक जहां दोनों मुख्य किरदार न केवल एक ही खिताब के लिए लड़ रहे हों, बल्कि वे दोनों एक ही क्षेत्र- यानी दक्षिण भारत से हों। यह न केवल दर्शाता है कि दक्षिण भारत की राजनीतिक भूमिका कितनी अहम हो गई है, बल्कि यह दांव भी बताता है कि अब भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय समीकरण और सामाजिक विविधता का कितना महत्व है।

भारत की राजनीतिक रचना में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव आमतौर पर विचारशील और सहमति पर आधारित चुनाव माना जाता है। लेकिन इस बार, जब दोनों पक्ष दक्षिण से ही उम्मीदवार लेकर आए हैं, तो यह संदेश जाता है कि क्यों दक्षिणीय राज्यों के मतदाताओं और राजनीतिक दलों की ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए दक्षिण पर दांव

NDA और BJP की राजनीति: सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और मुख्य विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A.) दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार के रूप में दक्षिण भारत के नेताओं को मैदान में उतारा है। NDA ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु के अनुभवी नेता सीपी राधाकृष्णन को चुना है, जबकि इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। 

इस बार दक्षिण भारत पर दोबारा केंद्रित इसका कारण मात्र प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि राजनीतिक गणित और रणनीति का गहरा खेल है। यह कहानी दक्षिण भारत की बढ़ती राजनीतिक ताकत, क्षेत्रीय संतुलन और सियासी घमासान की कहानी है। thesootr Prime में पढ़िए दोनों दलों की सियासत के पीछे का गुणा-भाग और सियासी प्रपंच…

दक्षिण भारत ही क्यों?

दक्षिण भारत पिछले कई चुनावों में राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाला क्षेत्र बन चुका है। इस बार भी आंध्रप्रदेश के चंद्रबाबू नायडू, मोदी सरकार में बेहद अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों की जनसंख्या और राजनीतिक सक्रियता ने यहां के नेताओं को देश का राष्ट्रीय चेहरा बनने का मौका दिया है। दोनों पक्षों ने उपराष्ट्रपति चुनाव में दक्षिण के मजबूत चेहरे चुने, ताकि इस क्षेत्र के मतदाताओं को संतुष्टि और समर्थन मिल सके।

सीपी राधाकृष्णन: NDA का दांव

CP Radhakrishnan

सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के ओबीसी समुदाय से हैं। उनकी 16 वर्ष की उम्र से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ाव रहा है। वे तमिलनाडु में बीजेपी को मजबूत करने की कोशिशों का प्रमुख चेहरा हैं। दो बार सांसद और महाराष्ट्र के राज्यपाल का अनुभव रखते हुए, उनके पास प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों तरह की कुशलताएं हैं। तमिलनाडु के सियासी हार्टलैंड में रहने के नाते उनकी उपस्थिति BJP के लिए डीएमके और अन्य द्रविड़ीय दलों से मुकाबला करने के लिए रणनीतिक है।

बी. सुदर्शन रेड्डी: विपक्ष की चाल

B Sudarshan Reddy

बी सुदर्शन रेड्डी तेलंगाना से हैं और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं। अपनी निष्पक्ष न्यायिक छवि के साथ, वह विपक्ष की एकता का प्रतीक बन गए हैं। उनकी वैचारिक स्थिरता और दक्षिण भारत में कांग्रेस की मजबूत पकड़ इंडिया गठबंधन को नैतिक और क्षेत्रीय मजबूती देती है।

सीपी राधाकृष्णन, जो तमिलनाडु के गाउंडर (ओबीसी) समुदाय से आते हैं, बीजेपी के लिए एक रणनीतिक चेहरा हैं। राधाकृष्णन दो बार कोयंबटूर से सांसद रह चुके हैं और झारखंड, तेलंगाना, पुडुचेरी, और हाल ही में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में उनका प्रशासनिक अनुभव उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है।

दूसरी ओर, बी. सुदर्शन रेड्डी, जो तेलंगाना से हैं, एक सम्मानित कानूनी हस्ती हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के रूप में उनकी निष्पक्ष छवि और दक्षिण भारत में उनकी स्वीकार्यता इंडिया गठबंधन के लिए एक तुरुप का पत्ता है।

अब समझें, राजनीतिक कारण: दक्षिण पर फोकस के पीछे का गणित...

1. क्षेत्रीय संतुलन और राजनीतिक वास्तविकता

भारत का राजनीतिक परिदृश्य उत्तर-आधारित नहीं रह गया। दक्षिण भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता और राजनीतिक ताकत राष्ट्रीय विमर्श में निर्णायक हो गई है। बीजेपी की पकड़ दक्षिण में कमजोर है, इसलिए वहां के लिए एक स्थानीय और प्रतिष्ठित चेहरा आवश्यक था। विपक्षी गठबंधन भी क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए दक्षिणी नेता को आगे ला रहा है।

2. संख्या बल और वोटिंग गणित

उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के कुल 782 सांसद वोट डालते हैं। बहुमत के लिए 392 वोट जरूरी होते हैं। NDA के पास 422 सांसद हैं, लेकिन गुप्त मतदान में क्रॉस वोटिंग की आशंका रहती है। इसी कारण क्षेत्रीय और जातीय पहचान महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

तमिलनाडु से राधाकृष्णन का होना NDA के लिए दक्षिणी सांसदों और समर्थकों को जोड़ने की रणनीति है। वहीं विपक्ष बी. सुदर्शन रेड्डी के जरिए अपने मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है।

3. दक्षिण में संघ और बीजेपी की रणनीति

बीजेपी तमिलनाडु में द्रविड़ दलों के बीच तीसरे विकल्प के रूप में उभरना चाहती है। राधाकृष्णन जैसे नेता के जरिए बीजेपी धर्मनिरपेक्षता और हिंदुत्व के बीच संतुलन बनाना चाहती है। दूसरी ओर, विपक्ष के लिए सुदर्शन रेड्डी का चयन क्षेत्रीय एकजुटता एवं न्यायपालिका की छवि का उपयोग है।

कांस्पिरेसी और राजनीतिक अटकलें...

नीतीश कुमार की दावेदारी और धनखड़ का इस्तीफा

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारण बताकर इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक गलियारों में कई षड्यंत्र सामने आए। कुछ का मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति के पद पर लाने की योजना थी। हालांकि, NDA ने इस अफवाह को खारिज कर दिया है।

विपक्ष की वैचारिक लड़ाई

इंडिया गठबंधन के लिए सुदर्शन रेड्डी का नाम एक नैतिक दांव है, जिससे वे विपक्षी एकता को दिखाना चाहते हैं। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इसे विचारधारा की लड़ाई करार दिया है।

बीजेपी और संघ का बड़ा खेल

विश्लेषकों के अनुसार, राधाकृष्णन का चयन आरएसएस-बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है, जो तमिलनाडु में हिंदुत्व की पैठ मजबूत करने और द्रविड़ वोटरों को जोड़ने का प्रयास है।

Thesootr Prime के इन कंटेंट को भी अवश्य पढ़ें...

Thesootr Prime: क्या SIR लोकतंत्र से सबसे कमजोर लोग बाहर कर देगा? लोकनीति- CSDS सर्वे में बड़ा खुलासा

Thesootr Prime: कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव ने कैसे उजागर कर दी भाजपा की गुटबाजी

thesootr Prime: यूके में 16 साल की उम्र में वोटिंग करेंगे युवा, भारत में भी वोटिंग की उम्र को लेकर हो चुका है बड़ा फैसला

Thesootr Prime: भारतीयों से क्यों डरे हैं डोनाल्ड ट्रम्प, जो कह रहे-  भारतीयों को न रखें Google और Meta

Thesootr Prime : नॉनवेज मिल्क क्या है जिसे भारत में बेचना चाहता है अमेरिका? क्यों हो रहा विरोध?

निष्कर्ष:

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 केवल एक पद के लिए मुकाबला नहीं है बल्कि भारत के संघीय ढांचे, सामाजिक विविधता, और राजनीतिक कूटनीति का एक विस्तृत खेल है। दक्षिण भारत से दोनों उम्मीदवारों का चयन इस क्षेत्र की राजनीतिक ताकत का प्रतीक है और भविष्य की रणनीतियों को परिभाषित करता है।

यह चुनाव दो अलग-अलग विचारधाराओं, सामाजिक समीकरणों, और क्षेत्रीय हितों के बीच भी एक महत्वपूर्ण टकराव की झलक है। 9 सितंबर 2025 को परिणाम आने पर राजनीति का नया अध्याय खुलने वाला है।

कुछ जरूरी पॉइंट्स से समझें खबर का सारांश...

Vice-president-election

👉 दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत और मतदाता आधार उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक हैं।

👉 NDA ने सीपी राधाकृष्णन को चुना, जो तमिलनाडु से हैं और बीजेपी के मजबूत लीडर हैं।

👉 विपक्ष ने बी. सुदर्शन रेड्डी को चुना, जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं और तेलंगाना से हैं।

👉 चुनाव में क्षेत्रीय संतुलन, संख्याबल और राजनीतिक रणनीतियां निर्णायक भूमिका निभाती हैं।

👉 कांस्पिरेसी में नीतीश कुमार की दावेदारी और धनखड़ का इस्तीफा शामिल है।

FAQ

इस चुनाव में दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से क्यों हैं?
दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत बढ़ने और संसदीय गणित के कारण दोनों प्रमुख गठबंधनों ने दक्षिण के प्रभावशाली नेताओं को चुना है।
सीपी राधाकृष्णन कौन हैं?
वह महाराष्ट्र के राज्यपाल और बीजेपी के तमिलनाडु के अनुभवी नेता हैं।
बी. सुदर्शन रेड्डी की विशेषता क्या है?
वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं, जिनकी निष्पक्षता और न्यायिक छवि मजबूत है।
क्या धनखड़ का इस्तीफा राजनीतिक कारणों से था?
आधिकारिक तौर पर स्वास्थ्य कारण बताया गया, लेकिन इसमें राजनीतिक साजिशों की चर्चा है।
यह चुनाव देश की राजनीति में क्यों महत्वपूर्ण है?
यह संघीय संतुलन, विचारधारा और क्षेत्रीय राजनीति के साथ-साथ सामाजिक विविधता का प्रतीक है।



thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧👩




सांसद तेलंगाना सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 बी सुदर्शन रेड्डी NDA और BJP की राजनीति