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Dr. Ram Manohar Lohia death anniversary: आज हम बात कर रहे हैं भारतीय राजनीति के उस दिग्गज की जिसने अपनी पूरी जिंदगी गरीब, पिछड़े और दबे-कुचले लोगों की आवाज बनकर जी। तारीख थी 12 अक्टूबर 1967 जब दिल्ली के एक अस्पताल में डॉ. राममनोहर लोहिया का 57 वर्ष की छोटी सी उम्र में निधन हो गया।
यह सिर्फ एक नेता की मृत्यु नहीं थी, यह भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय और प्रखर चिंतन के एक युग का अचानक थम जाना था। लोहिया जी को अक्सर "असहमति का प्रतीक" कहा जाता था। उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया बल्कि आजादी के बाद देश की सत्ताधारी नीतियों पर भी लगातार सवाल उठाए।
उनकी आवाज जितनी मजबूत थी, उनके सिद्धांत उतने ही अडिग थे। उनका निधन उस समय हुआ, जब देश में एक नए तरह के समाजवाद की जरूरत महसूस की जा रही थी। उनका जाना भारतीय राजनीति के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी जिसे भरना आसान नहीं था।
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कौन थे डॉ. राम मनोहर लोहिया
डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर (फैजाबाद) में हुआ था। वह सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक गहरे विचारक और क्रांतिकारी भी थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बेहतरीन रही।
उन्होंने जर्मनी से फिलॉसफी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी। उनके शोध का विषय 'नमक सत्याग्रह' था, जिससे पता चलता है कि देश की आज़ादी के प्रति उनका समर्पण कितना गहरा था। आजादी की लड़ाई में लोहिया जी ने महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया।
उनकी पहचान उनके स्वतंत्र चिंतन के कारण बनी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो हमेशा सच्चाई और समानता के लिए खड़े रहे, भले ही इसके लिए उन्हें सबसे बड़े नेताओं से भी टक्कर लेनी पड़ी हो।
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आजादी की लड़ाई का विद्रोही चेहरा
डॉ. राममनोहर लोहिया सिर्फ एक नेता नहीं थे बल्कि वे एक गहरे दार्शनिक और बेबाक स्वतंत्रता सेनानी थे।
जर्मनी से मिली वैचारिक मजबूती
लोहिया जी ने अपनी पढ़ाई जर्मनी में की थी, जहां उन्होंने 1933 में 'नमक सत्याग्रह' पर शोध करके डॉक्टरेट (पीएच.डी.) की उपाधि हासिल की। यहां उन्हें पश्चिमी समाजवादी विचारों को गहराई से समझने का मौका मिला, जिसने उनके चिंतन को एक नई दिशा दी। जब वे भारत लौटे, तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर ही कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की नींव रखी। वे मानते थे कि स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य केवल अंग्रेजों को भगाना नहीं, बल्कि एक समतावादी समाज की स्थापना करना भी होना चाहिए।
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अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका
सन् 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में लोहिया जी की रोल मेमोरेबल है। जब गांधी जी समेत बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, तब डॉ. लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने भूमिगत रहकर आंदोलन की कमान संभाली। उन्होंने रेडियो प्रसारणों के जरिए पूरे देश में आजादी की ज्वाला को जिंदा रखा। उनका विद्रोही तेवर और संघर्ष की भावना ही उन्हें एक सच्चे क्रांतिकारी बनाती थी।
लोहिया का सप्त क्रांति और नया समाजवाद
आजादी मिलने के बाद, लोहिया जी ने महसूस किया कि सत्ता सिर्फ गोरे अंग्रेजों से निकलकर काले अंग्रेजों के हाथ में आ गई है और गरीब की स्थिति नहीं बदली है। उन्होंने अपनी पूरी ताक़त सामाजिक असमानता के खिलाफ लगा दी।
असमानता के खिलाफ सप्त क्रांति
Dr. Ram Manohar Lohia ने समाज में मौजूद सात तरह की असमानताओं को खत्म करने के लिए 'सप्त क्रांति' (Seven Revolutions) का नारा दिया। यह उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है:
स्त्री-पुरुष की समानता के लिए क्रांति।
जाति (रंग) पर आधारित असमानता के खिलाफ क्रांति।
आर्थिक असमानता (आय और संपत्ति) के खिलाफ क्रांति।
रंगभेद पर आधारित असमानता के खिलाफ क्रांति।
हथियारों के खिलाफ और सत्याग्रह के पक्ष में क्रांति।
रूढ़िवाद और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ क्रांति।
विश्व सरकार (सीमाओं का बंधन खत्म) के खिलाफ क्रांति।
लोहिया जी का समाजवाद पश्चिमी देशों से अलग था। वह मार्क्सवाद या पूंजीवाद दोनों के आलोचक थे। उनका मानना था कि भारत को अपने पिछड़ेपन को खत्म करने के लिए अपनी मिट्टी से उपजे समाजवादी विचार को अपनाना होगा, जहां जाति, वर्ग और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो।
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भाषा और तीन आना बनाम पंद्रह आना
लोहिया जी हमेशा हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की वकालत करते थे, उनका मानना था कि आजाद भारत में अंग्रेजी का प्रभाव मेन्टल स्लेवरी को दर्शाता है। उनका सबसे चर्चित नारा था 'तीन आना बनाम पंद्रह आना'।
उन्होंने संसद में यह साबित करने की कोशिश की थी कि देश की बड़ी आबादी तीन आने (15 पैसे) में गुजारा कर रही है जबकि शासन का अधिकारी बहुत अधिक खर्च कर रहा है। यह नारा आजादी के बाद गरीबी पर सबसे बड़ा सवाल था।
लोहिया जी की विरासत
डॉ. राममनोहर लोहिया 12 अक्टूबर 1967 को दुनिया से चले गए लेकिन उनकी विचारधारा आज भी जिंदा है। उनके विचारों ने कई बड़े राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया है। भारत की राजनीति में पिछड़ों को आरक्षण दिलाने की लड़ाई हो या सत्ता के विकेंद्रीकरण का विचार, लोहिया जी की छाप हर जगह दिखती है।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि सत्ता से ज्यादा सिद्धांत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने कभी भी पद या कुर्सी की परवाह नहीं की बल्कि हमेशा उस न्यायपूर्ण समाज के लिए संघर्ष किया, जिसका सपना उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान देखा था। लोहिया जी एक ऐसे चिंतक थे जिनकी आवाज हर पीढ़ी को असमानता के खिलाफ खड़ा होना सिखाती रहेगी।
Reference Link:
wikipedia
Government Archives and Parliamentary Records
Official biographies and academic research
- Memoirs of senior journalists and historians
12 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 12 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 12 अक्टूबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
1398: लिथुआनिया के ग्रैंड ड्यूक वियातुतास द ग्रेट और ट्युटोनिक नाइट्स के ग्रैंड मास्टर कोनराड वॉन जुंगिंगन ने सलिनास की संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत समोगाइटिया को नाइट्स को सौंपने का तीसरा प्रयास किया गया।
1492: क्रिस्टोफर कोलंबस कैरिबियन के एक द्वीप पर पहुँचे, यह मानते हुए कि वह ईस्ट इंडीज तक पहुँच गया है; इस घटना ने अमेरिका के यूरोपीय उपनिवेशीकरण की एक श्रृंखला शुरू की।
1711: कैरेल छठी को हैब्सबर्ग रोमन कैथोलिक सम्राट का ताज पहनाया गया।
1730: ईसाई VI ने डेनमार्क के राजा के रूप में फ्रेडरिक IV का स्थान लिया।
1776: ब्रिटिश ब्रिगेड ने ब्रॉन्क्स में थोरग नेकस रोड की सुरक्षा करना शुरू किया।
1792: अमेरिका की खोज के 300 साल बाद, न्यू यॉर्क सिटी में संयुक्त राज्य में पहला कोलंबस दिवस समारोह आयोजित हुआ।
1792: अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलम्बस को मेरीलैंड के बाल्टीमोर में पहला स्मारक समर्पित किया गया।
1798: फ्रांस के कब्जे के खिलाफ फ्लेमिश विद्रोह (बोएरेनक्रिज) आरंभ हुआ।
1799: जेने जेनेविव लेब्रासे अप्पेरूट (Janne Genevieve Labrosse) 900 मीटर (3,000 फीट) की ऊँचाई से गर्म हवा के गुब्बारे से पैराशूट कूदने वाली पहली महिला बनीं।
1815: नेपल्स के पूर्व राजा जोआचिम मूरत को मृत्यु की सज़ा सुनाई गई।
1822: ब्राजील के पेड्रो-I को ब्राजील का संवैधानिक सम्राट घोषित किया गया।
1847: जर्मन आविष्कारक और उद्योगपति वर्नर वॉन सीमेंस ने सीमेंस एंड हैल्स्के की स्थापना की, जो बाद में यूरोप की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी सीमेंस एजी बनी।
1850: पहली महिला चिकित्सा विद्यालय (महिला मेडिकल कॉलेज ऑफ पेन्स) खोला गया।
1854: लिंकन यूनिवर्सिटी की आश्मुन संस्थान के रूप में स्थापना हुई।
1871: ब्रिटिश सरकार ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट लागू किया, जिसके तहत 160 स्थानीय समुदायों को अपराधी जाति घोषित कर दिया गया।
1879: ब्रिटिश सैनिकों ने काबुल और अफगानिस्तान पर कब्जा किया।
1892: संयुक्त राज्य अमेरिका की प्लेज ऑफ अलजाइनेस को पहली बार शिकागो में विश्व के कोलंबियन एक्सपोजिशन के उद्घाटन के साथ सार्वजनिक स्कूलों में इस्तेमाल किया गया।
1898: मतीउर में पहली नगर परिषद की स्थापना हुई।
1901: अमरीकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने राष्ट्रपति भवन का नाम एक्जीक्यूटिव मेनसन से बदल कर व्हाइट हाउस कर दिया।
1909: ब्राजील के कूर्टिबा शहर में फुटबाल टीम की स्थापना हुई।
1910: जॉन डी ने न्यूयॉर्क में रॉकफेलर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च का अपना पहला 75 बेड का अस्पताल खोला।
1915: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, मित्र देशों के सैनिकों को बेल्जियम के कब्जे से बचने में मदद करने के लिए ब्रिटिश नर्स एडिथ कैवेल को एक जर्मन फायरिंग दस्ते ने मार डाला।
1917: प्रथम विश्व युद्ध में पासचेन्डेले की पहली लड़ाई में न्यूज़ीलैंड के सैनिकों को 2,735 हताहतों का सामना करना पड़ा, जिसमें 845 मौतें भी शामिल हैं; यह एक दिन में देश का सबसे बड़ा नुकसान था।
1928: बोस्टन के चिल्ड्रेनहॉर्ट्स में फिलिप ड्रिंकर और उनके सहयोगियों द्वारा डिज़ाइन किया गया एक 'आयरन लंग' मेडिकल वेंटिलेटर, पहली बार पोलियोमाइलाइटिस के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया।
1937: फेडरल एजेंटों ने कोलंबस दिवस पर बांगोर, मेन में एक गोलीबारी में अल ब्रैडी और उसके गिरोह के सदस्यों को मार डाला।
1945: द एलाइड कंट्रोल काउंसिल द्वारा नाजी पार्टी को फैलाने के लिए कहा गया और चेतावनी दी गई कि किसी भी रूप में इसकी बहाली का कोई भी प्रयास आपराधिक अपराध माना जाएगा।
1945: कम्युनिस्टों ने शांगडांग अभियान पर जीत हासिल की।
1960: जापान सोशलिस्ट पार्टी के नेता इंजीरो आसनुमा की हत्या एक लाइव टीवी पर एक समुराई तलवार का इस्तेमाल करके की गई।
1964: विश्व में पहली बार सोवियत संघ ने बिना स्पेस सूट पहनाए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा।
1966: चिकित्सा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दो अमेरिकी डॉक्टरों, फ्रांसिस पेटन राउतंड और चार्ल्स बी हगिंस को कैंसर से जूझने के लिए उनके समर्पण हेतु प्रस्तुत किया गया।
1968: स्पेन ने इक्वेटोरियल गिनी को स्वतंत्र घोषित किया और यह दिन इस देश का राष्ट्रीय दिवस घोषित हुआ।
1968: XIX ओलंपियाड का 19 वां ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल, मैक्सिको सिटी, मैक्सिको में शुरू हुआ।
1982: थोरबॉर्न फ्लाल्डिन स्वीडन के प्रधानमंत्री बने।
1984: अनंतिम आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने ब्रेटन, इंग्लैंड में ग्रैंड होटल में एक बम विस्फोट किया, जिसमें प्रधान मंत्री मार्गरेट थैचर और उनके मंत्रिमंडल की हत्या करने की असफल कोशिश हुई।
1991: इराक के परमाणु कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित किया गया।
1992: मिस्र की राजधानी काहिरा के दक्षिण में 5.8 MB का भूकंप आया, जिसमें लगभग 545 लोग मारे गए और 6,500 से अधिक घायल हो गए।
1997: अल्जीरिया के सिदी दाऊद शहर के फॉल्स रोड ब्लॉक पर नरसंहार में 43 लोगों की हत्या की गई।
1998: अमेरिकी संसद ने ऑनलाइन कॉपीराइट विधेयक को पारित किया।
1999: पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार के खिलाफ सैन्य तख्तापलट का नेतृत्व किया।
2000: दो आत्मघाती हमलावरों ने यमन के अदन में अमेरिकी नौसेना के विध्वंसक यूएसएस कोल पर हमला किया, जिसमें उसके चालक दल के 17 सदस्यों की मौत हो गई, जबकि 39 अन्य घायल हो गए।
2000: अंतरिक्ष यान ‘डिस्कवरी’ का फ्लोरिडा से प्रक्षेपण हुआ।
2002: बाली के एक नाइटक्लब में आतंकवादी हमले में 202 लोगों की मौत हुई।
2004: पाकिस्तान ने गौरी-1 मिसाइल का परीक्षण किया।
2005: पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने मानव अंतरिक्ष यान शेनझो 6 को फी जुनलॉन्ग और नीह हिशेंग के साथ लॉन्च किया, जिन्होंने इसमें पांच दिन बिताए।
2008: केरल की एक नन अल्फोंसा मुत्तथुपदथु, रोमन कैथोलिक चर्च की पहली भारतीय महिला संत बनकर एक मिसाल पेश की।
2010: फेसबुक को ग्रीनपीस का एक पत्र मिला, जिसमें आधे मिलियन हस्ताक्षर थे, जो कंपनी को कोयला आधारित बिजली से अपने संबंधों को काटने के लिए कह रहे थे।
2013: टाइफून नारिहिट्स फिलीपींस से टकराने पर दो लाख लोग बिजली की हानि का सामना करते हैं और पांच लोग मारे जाते हैं।
2014: सामाजिक कार्यकर्ता इवो मोरालेस लगातार तीसरी बार बोलीविया के राष्ट्रपति के रूप में चुने गए।
भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
1871: 160 जनजातीय या सामाजिक समुदायों के सदस्यों की गतिविधियों की गिरफ्तारी, नियंत्रण, और निगरानी करने के लिए कानून प्रवर्तन को व्यापक अधिकार देते हुए, द क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट ब्रिटिश भारत में लागू हुआ।
1967: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक समाजवादी राजनेता डॉ राममनोहर लोहिया का निधन हुआ।
1988: भारत के त्रिपुरा में बिरचंद्र मनु नरसंहार हुआ।
1988: श्रीलंकाई नागरिक युद्ध के दौरान, भारतीय सैनिकों ने जाफना विश्वविद्यालय पर एक असफल हमला किया, जो तमिल टाइगर्स के सैन्य मुख्यालय के रूप में कार्य करता था।
2008: केरल की सिस्टर अल्फोंसा भारत की पहली महिला संत बनीं।
2009: भारत ने उड़ीसा के पूर्वी राज्य में अपनी स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम दूरी की मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। Ram Manohar Lohia Thoughts
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