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आज के दिन की कहानी: ये कहानी शुरू होती है एक ऐसे शहर से जो सपनों की नगरी नहीं, बल्कि सत्ता की नगरी है दिल्ली। तारीख थी 2 नवंबर 1965, जब एक साधारण से परिवार में एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम शाहरुख खान रखा गया। उनके पिता, ताज मोहम्मद खान, एक स्वतंत्रता सेनानी थे। मां लतीफ फातिमा पढ़ी-लिखी महिला थीं।
अभिनेता शाहरुख खान का बचपन दिल्ली के राजिंदर नगर और पंचशील पार्क जैसे इलाकों में बीता। एक आम मिडिल-क्लास जिंदगी, जहां फिल्मों के पोस्टर दिखते तो थे, लेकिन फिल्मी दुनिया से कोई दूर-दूर तक नाता नहीं था।
दिल्ली के सेंट कोलंबा स्कूल की पढ़ाई और फिर हंसराज कॉलेज से इकोनॉमिक्स की डिग्री। असली एक्टिंग का कीड़ा उन्हें तब काटा, जब वे जामिया मिलिया इस्लामिया में मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहे थे और साथ-साथ थिएटर कर रहे थे।
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कौन हैं शाहरुख खान
लेकिन जैसे हर सुपरहीरो की कहानी में एक मोड़ आता है, वैसे ही शाहरुख की जिंदगी में भी आया। माता-पिता को खोने के बाद, 1991 में शाहरुख ने एक बड़ा फैसला लिया।
जेब में सिर्फ कुछ हजार रुपए और दिल में ढेर सारे सपने लेकर, इस दिल्ली के लड़के ने मायानगरी मुंबई का रुख किया। यह वो दौर था जब बॉलीवुड में खानदान का राज चलता था। शाहरुख खान जैसे आउटसाइडर के लिए जगह बनाना लगभग नामुमकिन था।
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टीवी का जमाना: जब घर-घर पहुंची पहली झलक
मुंबई आकर, शाहरुख ने बड़े पर्दे से पहले छोटे पर्दे पर अपना जादू चलाया। उनका पहला बड़ा ब्रेक था टीवी सीरियल 'फौजी' (1989)। इस सीरियल में कमांडो अभिमन्यु राय का किरदार निभाकर, वह रातोंरात नेशनल क्रश बन गए।
इसके बाद 'सर्कस' जैसे सीरियलों में भी उन्होंने अपनी एक्टिंग का दम दिखाया। यह वो समय था जब पूरा इंडिया उन्हें 'टीवी स्टार' के रूप में जानता था।
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जब नेगेटिव रोल ने बनाया सुपरस्टार
1992 में, फिल्म 'दीवाना' से उनका बॉलीवुड डेब्यू हुआ। यह फिल्म जबरदस्त हिट हुई। शाहरुख को बेस्ट मेल डेब्यू का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।
लेकिन असली कहानी तब शुरू हुई जब शाहरुख ने हीरो बनने की ट्रेडिशनल रेस छोड़कर एंटी-हीरो का चोला पहना। उस जमाने में कोई भी नया हीरो विलेन का रोल नहीं लेना चाहता था, लेकिन शाहरुख ने रिस्क लिया:
डर (Darr - 1993):
इस फिल्म में उनका 'क...क...किरण' वाला साइको लवर का रोल इतना डरावना और इंटेंस था कि लोग डर गए।
बाजीगर (Baazigar - 1993):
एक ऐसा हीरो जो हीरोइन को मारकर रिवेंज लेता है! यह रोल भारतीय सिनेमा के लिए एक शॉक था।
अंजाम (Anjaam - 1994):
यहां भी उनका जुनूनी आशिक का किरदार दर्शकों को हिला गया।
इन नेगेटिव किरदारों ने शाहरुख को रातोंरात सुपरस्टार बना दिया और यह साबित कर दिया कि यह एक्टर सिर्फ रोमांस ही नहीं, बल्कि इंटेंस ड्रामा भी कर सकता है।
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DDLJ और किंग ऑफ रोमांस का जन्म
फिर आया 1995 और भारतीय सिनेमा का इतिहास हमेशा के लिए बदल गया। फिल्म आई 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (DDLJ)। राज मल्होत्रा का किरदार शरारती, दिलदार और अपने प्यार के लिए दुनिया से लड़ जाने वाला ने लोगों के दिलों में ऐसी जगह बनाई कि शाहरुख को हमेशा के लिए 'रोमांस किंग' का ताज मिल गया।
उनके सिग्नेचर पोज दोनों हाथ फैलाकर खड़ा होना प्यार और चाहत का ग्लोबल सिंबल बन गया। DDLJ की सक्सेस के बाद, 'दिल तो पागल है', 'कुछ कुछ होता है' और 'कभी खुशी कभी गम' जैसी फिल्मों ने उन्हें ग्लोबल आइकॉन बना दिया।
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बॉलीवुड के बादशाह: सिर्फ अभिनेता नहीं, एक ब्रांड
आज, शाहरुख खान सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं। वह एक ग्लोबल ब्रांड हैं। उनकी सफलता सिर्फ एक्टिंग तक सीमित नहीं है:
प्रोडक्शन हाउस:
उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट शुरू की, जिसने बॉलीवुड को टेक्नोलॉजी और वीएफएक्स के मामले में एक नई दिशा दी।
बिजनेस माइंड:
वह IPL टीम कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के सह-मालिक बनकर, स्पोर्ट्स और बिजनेस की दुनिया में भी छा गए।
ग्लोबल Fan Base:
उनकी फैन फॉलोइंग सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि जर्मनी, मिस्र, इंडोनेशिया और अमेरिका तक है। उन्हें कई बार दुनिया के सबसे अमीर अभिनेताओं में गिना गया है।
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शाहरुख खान के करियर की टॉप 10 फिल्में
दीवाना (Deewana - 1992): यह उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म थी जिसने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और उन्हें सर्वश्रेष्ठ मेल डेब्यू का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिलाया।
डर (Darr - 1993): शाहरुख खान की फिल्म में उन्होंने एक जुनूनी, नकारात्मक किरदार (एंटी-हीरो) निभाया, जिसमें उनका 'क...क...किरण' डायलॉग आज भी आइकॉनिक है।
बाजीगर (Baazigar - 1993): एक और नकारात्मक भूमिका, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के नायकों की पारंपरिक छवि को तोड़ा और साबित किया कि वह किसी भी किरदार में जान डाल सकते हैं।
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (DDLJ - 1995): इस कल्ट क्लासिक फ़िल्म ने उन्हें 'किंग ऑफ रोमांस' का खिताब दिलाया और भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाली फिल्म बनी।
कुछ कुछ होता है (Kuch Kuch Hota Hai - 1998): दोस्ती और प्यार की इस कहानी ने युवाओं के बीच जबरदस्त पकड़ बनाई और शाहरुख की रोमांटिक हीरो की छवि को और मजबूत किया।
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कभी खुशी कभी गम (K3G - 2001): करण जौहर की इस मल्टी-स्टारर पारिवारिक ड्रामा में उनका इमोशनल परफॉरमेंस और स्टाइल बहुत पॉपुलर हुआ।
देवदास (Devdas - 2002): शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के क्लासिक नॉवेल पर आधारित इस भव्य फिल्म में उन्होंने एक गहन और त्रासदीपूर्ण किरदार निभाया, जिसे आज भी सराहा जाता है।
स्वदेस (Swades - 2004): एक एनआरआई वैज्ञानिक की कहानी, जो अपनी जड़ों से जुड़ने भारत लौटता है। यह उनकी सबसे क्रिटिकली अक्लेम्ड और यथार्थवादी फिल्मों में से एक है।
चक दे इंडिया (Chak De! India - 2007): इस स्पोर्ट्स ड्रामा में एक हॉकी कोच के रूप में उनके दमदार अभिनय ने उन्हें 'रोमांस किंग' की छवि से बाहर निकाला और राष्ट्रीय पुरस्कारों तक पहुंचाया।
पठान (Pathaan - 2023): यह फिल्म महामारी के बाद आई और एक जबरदस्त ब्लॉकबस्टर साबित हुई, जिसने उन्हें एक्शन हीरो के रूप में पुनः स्थापित किया और बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए।
02 नवंबर का दिन सिर्फ एक अभिनेता के जन्म का नहीं, बल्कि एक अद्भुत गाथा का प्रतीक है। उन्होंने केवल अपनी दमदार परफॉरमेंस, मेहनत के दम पर बॉलीवुड के सिंहासन पर बादशाहत कायम की। शाहरुख खान ने दुनिया के सबसे बड़े फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह खुद बनाई और खुद को 'किंग खान' साबित किया।
References:
- Indian Express Archives on Shah Rukh Khan's journey and DDLJ's impact.
- Red Chillies Entertainment official website and production history.
- Historical interviews and biographical accounts of Shah Rukh Khan's life and early struggles in Mumbai.
- Filmfare and other media reports on his awards and initial 'Anti-Hero' roles.
2 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 2 नवंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 2 नवंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
1712: सूरीनाम सरकार ने फ्रांसीसी अपहरणकर्ता जैक्स कसरर्ड को बड़ी फिरौती (682,800) दी थी।
1721: महान पीटर को रूस का पहला सम्राट घोषित किया गया, जिससे रूसी साम्राज्य की स्थापना हुई।
1772: बोस्टन में अंग्रेजी-विरोधी 'कमेटी ऑफ कॉरस्पॉन्डैंस' का गठन किया गया था।
1795: कुराकाओ सरकार ने रविवार को दासों से काम कराना बंद कर दिया।
1835: अमेरिका के फ्लोरिडा में दूसरा सेमीनोले युद्ध (फ्लोरिडा युद्ध) शुरू हुआ था।
1852: फ्रैंकलिन पियर्स अमेरिका के 14वें राष्ट्रपति चुने गए थे।
1884: तिमिसोरा (रोमानिया) बिजली की रोशनी से प्रकाशित सड़कों वाला यूरोप का पहला शहर बना।
1889: डकोटा टेरिटरी विभाजित होकर नॉर्थ डकोटा और साउथ डकोटा दो नए राज्य बने।
1914: ब्रिटेन ने साइप्रस को अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया।
1917: ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर बालफोर ने फिलिस्तीन में यहूदी मातृभूमि के लिए 'बालफोर घोषणा' जारी की।
1936: दुनिया के पहले हाई-डेफिनेशन टेलीविजन कार्यक्रम का प्रसारण बीबीसी ने किया।
1949: नीदरलैंड ने इंडोनेशिया को एक स्वायत्त राज्य के रूप में मान्यता दी।
1950: प्रसिद्ध लेखक और नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का 97 वर्ष की आयु में निधन हुआ।
1953: पाकिस्तान आधिकारिक रूप से एक इस्लामिक गणराज्य बन गया।
1963: दक्षिण वियतनाम के राष्ट्रपति एनगो दीन्ह दीम की तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई।
1964: सऊदी अरब के राजा सऊद को उनके सौतेले भाई ने राजशाही से हटा दिया था।
1965: अमेरिकी क्वेकर नॉर्मन मॉरिसन ने वियतनाम युद्ध के विरोध में पेंटागन के सामने खुद को आग लगा ली।
1984: अमेरिका में 1962 के बाद पहली बार किसी महिला वेल्मा बारफिल्ड को फांसी की सजा दी गई।
2004: डच फिल्म निर्देशक थियो वान गॉग की हत्या मोहम्मद ब्योरी ने कर दी।
2008: लुईस हैमिल्टन फॉर्मूला वन वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीतने वाले इतिहास के सबसे युवा और पहले अश्वेत ड्राइवर बने।
2014: पाकिस्तान के लाहौर में हुए आत्मघाती बम विस्फोट में 60 लोग मारे गए और 110 घायल हुए।
भारत में महत्वपूर्ण घटनाएं
1834: आज ही के दिन 'एटलस' नाम का जहाज भारतीय मजदूरों को लेकर मॉरिशस पहुंचा था, जिसे वहां अप्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
1965 : अभिनेता शाहरूख खान का जन्मदिन।
2005: दुनिया के सबसे बड़े रेडियो दूरबीन (स्क्वायर किलोमीटर एरे) की स्थापना पर फैसला लेने के लिए लगभग 80 रेडियो खगोलविद पुणे, भारत में एक साथ आए।
2012: भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ श्रीराम शंकर अभयंकर का निधन हुआ।
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