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आज के दिन की कहानी: आज हम आपको एक ऐसी महान महिला की कहानी सुना रहे हैं। उनका नाम है रुक्माबाई, जिनका जन्म 1882 में हुआ था। वह भारत की पहली महिला प्रैक्टिसिंग डॉक्टर बनी थीं।
रुक्माबाई का जीवन संघर्ष और साहस की एक मिसाल है। उन्होंने सिर्फ मेडिकल की पढ़ाई ही नहीं की, बल्कि रूढ़िवादी समाज को भी चुनौती दी।
उनका जन्म एक मराठा परिवार में हुआ, जो उस समय काफी प्रगतिशील था। यह वो दौर था जब औरतों को घर की चारदीवारी से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी।
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शुरुआती जीवन और वो भयानक मुकदमा
रुक्माबाई के पिता बहुत जल्दी गुजर गए थे। उनकी मां ने बाद में बॉम्बे (अब मुंबई) के मशहूर डॉक्टर सखाराम अर्जुन से शादी कर ली। रुक्माबाई की शादी बचपन में ही दादाजी भीकाजी से कर दी गई थी। शादी के समय रुक्माबाई सिर्फ ग्यारह साल की थीं और दादाजी उनसे कुछ साल बड़े थे।
जब रुक्माबाई बड़ी हुईं, तो उन्होंने अपने ससुराल जाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इस बचपन की शादी को नहीं मानती हैं। दादाजी भीकाजी ने फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया।
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यह मुकदमा 1880 के दशक में बहुत मशहूर हुआ था। इसे "रुक्माबाई बनाम दादाजी भीकाजी 1885" केस के नाम से जाना जाता है। इस केस ने समाज में एक बड़ी बहस छेड़ दी थी।
यह लड़ाई सिर्फ रुक्माबाई की नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं की आजादी की थी। यह केस बाल विवाह के खिलाफ एक बहुत बड़ी आवाज बनकर उभरा था।
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कानूनी लड़ाई और ऐतिहासिक फैसला
अदालत में यह मामला कई सालों तक चला। रुक्माबाई ने हार नहीं मानी और कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं। उन्होंने खुले तौर पर कहा कि वह दादाजी भीकाजी के साथ नहीं रहेंगी।
उस समय का हिंदू कानून ऐसी शादियों को मानता था। निचली अदालत ने रुक्माबाई के खिलाफ फैसला सुनाया था। उन्हें अपने पति के पास जाने का या जेल जाने का विकल्प दिया गया।
रुक्माबाई ने जेल जाना स्वीकार कर लिया, पर ससुराल नहीं गईं। उनके इस साहस ने पूरे देश का ध्यान खींचा था। आखिरकार, इस केस को लेकर इंग्लैंड की प्रिवी काउंसिल तक बात गई। 1888 में, दादाजी भीकाजी ने रुक्माबाई के साथ समझौता कर लिया। रुक्माबाई को इस शादी से आजादी मिल गई।
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शिक्षा की ओर उड़ान: डॉक्टर बनने का संकल्प
इस कानूनी लड़ाई ने रुक्माबाई को एक मजबूत इरादे वाली महिला बना दिया। उन्होंने ठान लिया था कि वह पढ़ाई करेंगी। उनकी यह इच्छा रानी विक्टोरिया (Queen Victoria) तक पहुंची थी।
रानी विक्टोरिया ने खुद रुक्माबाई की मदद की थी। रुक्माबाई इंग्लैंड गईं और वहां लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वीमेन (London School of Medicine for Women) में दाखिला लिया।
1894 में, उन्होंने अपनी मेडिकल की डिग्री पूरी कर ली। वह भारत की उन शुरुआती महिलाओं में थीं, जिन्होंने वेस्टर्न मेडिसिन की पढ़ाई की थी। इस तरह, वह भारत की पहली महिला प्रैक्टिशनर डॉक्टर बनीं।
डॉक्टर रुक्माबाई का योगदान और सेवा
भारत लौटने के बाद, डॉक्टर रुक्माबाई ने अपना जीवन महिलाओं की सेवा में लगा दिया। उस समय महिलाओं के लिए महिला डॉक्टर मिलना बहुत मुश्किल था।
उन्होंने सबसे पहले सूरत (गुजरात) के एक अस्पताल में काम शुरू किया। बाद में वह पूना (अब पुणे) के एक सरकारी अस्पताल में भी सेवारत रहीं।
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उन्होंने लगभग चालीस साल तक महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम किया। उनका मुख्य फोकस मातृ स्वास्थ्य और स्वच्छता पर था। रुक्माबाई ने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए भी कई लेख लिखे।
रुक्माबाई सिर्फ एक डॉक्टर नहीं थीं, वह महिला सशक्तिकरण की एक जीती-जागती मिसाल थीं। उन्होंने दिखाया कि समाज की चुनौतियों के बावजूद शिक्षा और करियर बनाना संभव है। उनका यह ऐतिहासिक योगदान आज भी हमें प्रेरणा देता है।
References:
- Gopal, S. (1995). 'Justice' in colonial India: The case of Rukhmabai
- Burton, A. M. (1998). Dwelling in the Archive: Women Writing House, Home, and History in Late Colonial India
- Chakrabarti, B. (2018). Rukhmabai: A Life of Struggle
- The Hindu (Historical Archives) on Rukhmabai's legal battle and medical career
22 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 22 नवंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 22 नवंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1635: जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के कुछ घंटों बाद, लिंडन बी. जॉनसन ने अमेरिका के 36वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
ताइवान पर डच औपनिवेशिक ताकतों ने ताइवान के आदिवासियों के खिलाफ शांति अभियान चलाया।
1707: राजकुमार जोहान विलेम फ्रिसो ने फ्रीसलैंड के वायसराय के रूप में शपथ ली।
1718: प्रसिद्ध समुद्री डाकू ब्लैकबर्ड उत्तरी कैरोलिना के तट पर ब्रिटिश नौसैनिकों के साथ युद्ध में मारा गया।
1739: जेनकींस की युद्ध: ब्रिटिश समुद्री सेना ने स्पेनिश शहर पोर्तोबेलो पर हमला किया।
1808: दुनिया की मशहूर ट्रेवल कंपनी थॉमस कुक एंड संस के संस्थापक थॉमस कुक का जन्म हुआ।
1830:चार्ल्स ग्रे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने।
1831: खूनी लड़ाई के बाद, विद्रोही रेशम श्रमिकों ने फ्रांस के ल्योन शहर को अपने कब्जे में ले लिया।
1877: पहला कॉलेज लैक्रोस खेल न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और मैनहट्टन कॉलेज के बीच खेला गया।
थॉमस एडिसन ने ग्रामोफ़ोन का आविष्कार किया।
1933: चीन के फुजियान शहर में फ़ुज़ियान पीपुल्स सरकार घोषित की गई।
1955:कर्नल टॉम पार्कर ने एल्विस प्रेस्ली को आरसीए रिकॉर्ड्स पर साइन किया।
1967: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फ़िलिस्तीन के बारे में प्रस्ताव 242 को सर्वसम्मति से पारित किया।
1975: फ्रांसिस्को फ्रेंको की मृत्यु के बाद, जुआन कार्लोस I को स्पेन का राजा घोषित किया गया।
1977:ब्रिटिश एयरवेज ने लंदन से न्यूयॉर्क शहर तक सुपरसोनिक कॉनकॉर्ड सेवा का उद्घाटन किया।
1986:माइक टायसन ने लास वेगास में ट्रेवर बरबिक को हराकर अपना पहला मुक्केबाजी खिताब जीता।
1995:टॉय स्टोरी रिलीज हुई, यह केवल कंप्यूटर-जनरेटेड इमेजरी का उपयोग करके बनाई गई पहली फीचर फिल्म थी।
2005: जर्मनी की सीडीयू पार्टी की एंजेला मर्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का पहला मॉड्यूल Zarya लॉन्च किया गया।
2010: जर्मनी में 400 वर्षों में पहला समुद्री डाकू परीक्षण शुरू हुआ, जिसमें 10 सोमाली समुद्री डाकुओं पर मुकदमा चलाया गया।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1997:डायना हेडन ने विश्व सुंदरी (मिस वर्ल्ड) का खिताब जीता।
2013:चक्रवात हेलेन ने आंध्र प्रदेश राज्य पर हमला किया, जिससे कम से कम छह लोगों की मौत हुई और भारी बिजली कटौती हुई।
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