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आज के दिन की कहानी:साल 1983 भारत के इतिहास में एक बेहद खास जगह रखता है। इसी साल भारत ने पहली बार कॉमनवेल्थ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट मीटिंग (CHOGM) की मेजबानी की थी। यह समिट नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। इसने भारत को ग्लोबल स्टेज पर एक नई पहचान दी। इस समिट में दुनियाभर के 40 से ज्यादा देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने हिस्सा लिया था।
उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, जिन्होंने इस पूरे आयोजन में लीडिंग रोल निभाया था। यह इवेंट 23 से 29 नवंबर तक चला था, जो एक हफ्ते तक चर्चा का केंद्र बना रहा।
उस समय भारत की गिनती दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकत के रूप में होती थी। इस समिट को कामयाबी से प्लांड करना अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत के बढ़ते प्रभाव का सबसे बड़ा सबूत था।
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ग्लोबल मुद्दों पर भारत का मजबूत रुख
ये कॉमनवेल्थ समिट सिर्फ एक फॉर्मल मीटिंग नहीं थी। बल्कि कई बड़े ग्लोबल मुद्दों को सुलझाने का मंच था। इस सम्मेलन में अमेरिका द्वारा ग्रेनाड पर हमला, दक्षिण अफ्रीका और क्यूबा की सेना द्वारा नामीबिया पर कब्जा।
अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु प्रतिस्पर्धा जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। इंदिरा गांधी ने इस मंच का रंगभेद के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाने के लिए किया। उन्होंने कॉमनवेल्थ देशों से दक्षिण अफ्रीका पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपील की थी।
इसके अलावा, उस समय पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी। समिट में विकासशील देशों की आर्थिक चुनौतियों पर भी खुलकर चर्चा हुई। भारत ने ग्लोबल इकोनॉमी को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया था। इस समिट का समापन गोवा में हुआ था।
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इंदिरा गांधी का नेतृत्व और कॉमनवेल्थ घोषणा
इंदिरा गांधी ने इस समिट में अध्यक्ष की भूमिका निभाई थी। उनका नेतृत्व इस समिट की सफलता का एक बड़ा कारण बना। उन्होंने सभी राष्ट्र प्रमुखों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मीटिंग के आखिर में एक दिल्ली घोषणा जारी की गई थी।
तय किया गया कि कॉमनवेल्थ देश आपसी सहयोग और विश्व शांति को बढ़ावा देंगे। ये घोषणा भारत की विदेश नीति की बड़ी जीत थी। इस आयोजन ने भारत को गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) के एक मजबूत लीडर के रूप में स्थापित किया।
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गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) क्या है
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement - NAM) दुनिया के उन देशों का एक बड़ा ग्रुप है जो कोल्ड वॉर के टाइम पर बने थे। कोल्ड वॉर के दौरान दुनिया दो मेन पावर ब्लॉक में बंटी थी: USA और USSR।
NAM का सीधा मतलब था कि ये देश न USA के ग्रुप में शामिल होंगे और न USSR के। इसका मेन मकसद अपनी आजादी और विदेश नीति को किसी भी बड़ी शक्ति के प्रभाव से फ्री रखना था।
भारत इसके फाउंडिंग मेंबर्स में से एक था। NAM का मेन टारगेट शांति (Peace), सुरक्षा (Security) और आपसी सहयोग (Mutual Cooperation) को बढ़ावा देना रहा है। ये आज भी डेवलपिंग कन्ट्रीज की एक जरूरी आवाज है।
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भारत के लिए इस समिट का महत्व
1983 का यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक था।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा:
पहली बार CHOGM की मेजबानी करना भारत की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा (International Prestige) का प्रतीक था।
कूटनीतिक जीत:
रंगभेद जैसे गंभीर मुद्दों पर कड़ी वैश्विक सहमति बनाना भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी।
ग्लोबल मंच:
इस समिट ने भारत को अपनी आवाज और नीतियों को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से रखने का मौका दिया।
सहयोग:
इससे कॉमनवेल्थ देशों के साथ भारत के आर्थिक और राजनीतिक संबंध और मजबूत हुए। यह समिट भारत की 'सॉफ्ट पावर' को दुनिया के सामने लाने में सफल रहा।
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इस समिट भारत के लिए इंटरनेशनल स्टेज पर अपनी पहचान बनाने का एक सुनहरा मौका था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक विश्व नेता के रूप में अपनी मजबूत छाप छोड़ी। दिल्ली (Commonwealth Convention) में इस तरह के बड़े इवेंट को सफलतापूर्वक आयोजित करना, भारत की संगठनात्मक शक्ति को दिखाता था।
कॉमनवेल्थ समिट 1983 को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी बहुत कवर किया था। इस इवेंट ने भारत को दुनिया के नक्शे पर एक प्रमुख आवाज के रूप में स्थापित कर दिया।
Reference
- Commonwealth Secretariat: (यह कॉमनवेल्थ के आधिकारिक रिकॉर्ड से जुड़ा है)
- India's Foreign Policy Archives: (भारतीय विदेश नीति के ऐतिहासिक दस्तावेजों से संबंधित)
- Historical Records of CHOGM Meetings: (कॉमनवेल्थ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट मीटिंग्स के रिकॉर्ड से)
- Academic Papers on 1983 Summit and Apartheid: (1983 के शिखर सम्मेलन और रंगभेद पर अकादमिक शोध पत्रों से)
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23 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 23 नवंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 23 नवंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1165: पोप एलेक्जेंडर तृतीय निर्वासन समाप्त कर रोम वापस लौटे।
1499: किंग हेनरी सप्तम के शासनकाल में पर्किन वॉर्बेक को कथित पलायन के प्रयास के बाद फाँसी दी गई।
1705: निकोलस रोवे का नाटक "युलिसेस" का लंदन में पहली बार मंचन (प्रीमियर) हुआ।
1723: कैरोलिना प्रांत, न्यू बर्न के रूप में न्यूबेर्न में शामिल हुआ।
1733: डेनमार्क के वेस्ट इंडीज में अकवामू के अफ्रीकी दासों ने अपने मालिकों के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
1808: टूडेला की लड़ाई में फ्रेंच मार्शल लेंस ने एक स्पैनिश सेना को हरा दिया।
1810: अंग्रेजी अभिनेत्री सारा बूथ ने थिएटर रॉयल, कोवेन्ट गार्डन में अपना हॉलीवुड करियर शुरू किया।
1848: महिला मेडिकल शैक्षिक सोसाइटी की स्थापना बोस्टन में की गई।
1863: पहली बार रंगीन फोटो बनाने की प्रक्रिया के लिए पेटेंट प्रदान किया गया।
1867: मैनचेस्टर शहीद को मैनचेस्टर, इंग्लैंड में फाँसी पर लटका दिया गया था।
1876: पोर्फिरियो डीआज को मेक्सिको का राष्ट्रपति बनाया गया।
1876: गबन के आरोप में गिरफ्तार न्यूयॉर्क शहर के राजनेता विलियम 'बॉस' ट्वीड को अमेरिकी अधिकारियों को सौंप दिया गया।
1890: नीदरलैंड के राजा विलियम तृतीय का निधन हुआ।
1890: इटली में पहली बार आम चुनाव आयोजित किए गए।
1892: लोमानी कांगो युद्ध में बेल्जियम ने अरबों को हराया, जिसमें करीब 3000 लोग मारे गए।
1909: राइट बंधुओं ने विमानों के उत्पादन के लिए 10 लाख डॉलर की पूंजी से कंपनी बनाई।
1924: एडविन हबल ने साक्ष्य प्रकाशित किया कि ऑन्ड्रोमेडा नेबुला एक अलग आकाशगंगा है।
1927: ऑटोमेटेड म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट कंपनी ने पहला ज्यूक बॉक्स तैयार किया।
1934: एबिसिनिया संकट के लिए जिम्मेदार इथियोपियाई सीमा आयोग ने वॉल्वाल में इतालवी गैरीसन का सामना किया।
1946: वियतनाम के हैफ्योंग शहर में फ्रांसीसी नौसेना के जहाज में आग लगने से 6000 लोग मारे गए।
1963: दुनिया के सबसे लंबे समय तक चलने वाले फिक्शन शो 'डॉक्टर हू' का पहला एपिसोड बीबीसी पर प्रसारित हुआ।
1971: चीन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की सुरक्षा परिषद का सदस्य बना।
1980: इटली में आए भीषण भूकंप के कारण 2600 लोगों की मौत हो गई थी।
1984: लंदन के व्यस्त ऑक्सफोर्ड सर्कस स्टेशन पर आग लगने से लगभग 1000 लोग फंस गए थे।
1992: आईबीएम ने साइमन को पेश किया, जिसे पहला स्मार्टफोन माना जाता है।
2005: पूर्वोत्तर चीन में सोंगहुआ नदी पर रासायनिक कारखाने में विस्फोट से पानी में जहरीले बेंजीन का रिसाव हुआ।
2005: एलेन जॉनसन सरलीफ लाइबेरिया की आम चुनाव जीतकर अफ्रीका की पहली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई महिला प्रमुख बनीं।
2006: रूसी पूर्व जासूस अलेक्जेंडर लिटविनेंको की लंदन में जहर खाने के बाद मौत हो गई।
2007: एक इजरायली मनोचिकित्सक पर रूस, हमास और ईरान को वर्गीकृत जानकारी देने का आरोप लगा।
2008: मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार रूस के इंगुशेतिया गणराज्य में गृह युद्ध जैसे हालात थे।
2009: लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस द्वारा गलती से मारे गए जीन चार्ल्स डी मेनेजेस के परिवार को मुआवजा मिला।
2009: फिलीपींस में आगामी चुनाव के कारण लोगों की भीड़ पर हमला हुआ, जिसमें कम से कम 57 लोगों की मौत हो गई।
2009: फिलीपींस में 32 मासूम मीडियाकर्मीयों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
2010: कांतास ने घोषणा की कि एयरबस ए380 सुपर जंबोज की सेवा फिर से शुरू होगी।
2010: उत्तर कोरिया ने येओनप्योंग द्वीप पर बमबारी की, जिसमें चार कोरियाई सैनिक मारे गए।
2011: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने रूस के फंसे फोबोस-ग्रंट जांच के साथ संपर्क बनाने का दावा किया।
2011: अरब स्प्रिंग के विरोध के बाद, यमन के राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह ने सत्ता हस्तांतरित की।
2012: मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी द्वारा खुद को व्यापक शक्तियां देने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन हुए।
2013: सीरियाई सरकार ने उत्तरी सीरियाई शहर अलेप्पो के चारों ओर हवाई हमलों में 40 लोगों की जान ले ली।
2014: केन्याई सुरक्षाबलों ने सोमालिया में अल-शबाब के 100 सदस्यों को मार गिराया।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1967: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज गैरी कर्स्टन का जन्म हुआ, जिनकी कोचिंग में भारतीय टीम ने 2011 में क्रिकेट विश्व कप जीता था।
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