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आज के दिन की कहानी: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस कुर्सी पर आप आराम से बैठकर सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हैं। वहां तक पहुंचने में हमें कितने लाख साल लगे होंगे? आज की कहानी ऐसी ही मजेदार और क्रांतिकारी है।
एक जमाना था जब दुनिया मानती थी कि सब कुछ जैसा आज है, वैसा ही हमेशा से रहा है। तभी 24 नवंबर 1859 को एक साहसी ब्रिटिश साइंटिस्ट ने दुनिया के सामने एक ऐसी किताब पेश की। इसने धार्मिक मान्यताओं की नींव हिला दी। स्कूल की किताबों का सिलेबस बदल डाला।
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24 नवंबर का इतिहास
आज हम 24 नवंबर के इतिहास की उस तारीख को याद कर रहे हैं, जब विज्ञान की दुनिया में एक भूकंप आ गया था। इस दिन एक ब्रिटिश प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) की किताब 'On the Origin of Species by Means of Natural Selection' पब्लिश हुई थी।
ये किताब सिर्फ एक प्रकाशन नहीं थी। ये मानव इतिहास और जीवन की उत्पत्ति के बारे में हमारी पूरी सोच को बदलने वाली एक क्रांति थी। इस किताब में डार्विन ने विकासवाद के सिद्धांत को दुनिया के सामने रखा।
इस सिद्धांत ने सदियों से चली आ रही पुरानी मान्यताओं को चुनौती दी। यह किताब इतनी विस्फोटक थी कि पहले ही दिन इसकी सारी कॉपियां बिक गईं। बाकी दुनिया सदियों तक ये बहस करती रही कि हम असल में कौन हैं। आइए जानें...
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कौन थे चार्ल्स डार्विन
चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) एक ब्रिटिश प्रकृतिवादी और साइंटिस्ट थे जिन्होंने दुनिया की सोच हमेशा के लिए बदल दी। वह अपनी HMS बीगल (HMS Beagle) जहाज की लंबी यात्रा (1831-1836) के लिए मशहूर हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गैलापागोस द्वीप समूह में जीवों का गहन अध्ययन किया।
24 नवंबर 1859 को उनकी ऐतिहासिक किताब 'On the Origin of Species' पब्लिश हुई। इस किताब में उन्होंने विकासवाद का सिद्धांत और प्राकृतिक चयन का क्रांतिकारी विचार दिया।
यह थ्योरी बताता है कि जीव अपने माहौल के अनुसार खुद को ढालकर लाखों सालों में विकसित होते हैं। उनके इस विचार ने विज्ञान को एक नई दिशा दी और उन्हें आधुनिक जीव विज्ञान का जनक माना जाता है।
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प्राकृतिक चयन
डार्विन ने अपनी किताब 'On the Origin of Species by Means of Natural Selection, or the Preservation of Favoured Races in the Struggle for Life' में एक क्रांतिकारी सिद्धांत पेश किया। इस सिद्धांत को प्राकृतिक चयन कहा जाता है। प्राकृतिक चयन का मतलब है कि प्रकृति खुद तय करती है कि कौन जीवित रहेगा और कौन नहीं।
जो जीव अपने माहौल में बेहतर तरीके से ढल जाते हैं, वे जिंदा रहते हैं और अपनी अगली पीढ़ी को जन्म देते हैं। इसे ही 'Survival of the Fittest' भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक जंगल में गहरे रंग के कीड़े पत्थरों में छिप जाते हैं, तो उन्हें शिकारी कम देख पाते हैं।
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इस तरह, गहरे रंग वाले कीड़े ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी वही गुण आगे बढ़ाते हैं। डार्विन ने बताया कि लाखों-करोड़ों सालों में इसी धीरे-धीरे होने वाले बदलाव से एक प्रजाति पूरी तरह नई प्रजाति में बदल जाती है। उन्होंने समझाया कि मनुष्य भी इसी प्रक्रिया से बंदर जैसे पूर्वजों से विकसित हुआ है।
डार्विन की यह किताब, आज भी विज्ञान की सबसे प्रभावशाली किताबों में से एक है। इसने न केवल जीव विज्ञान को बदला, बल्कि मानव अस्तित्व और जीवन की उत्पत्ति के बारे में हमारे सोचने का तरीका भी हमेशा के लिए बदल दिया।
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प्रकाशन और विवाद: क्यों मचा था तहलका
जब 24 नवंबर 1859 को यह किताब पब्लिश हुई, तो पहले ही दिन इसकी 1250 प्रतियां तुरंत बिक गईं। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा विवाद भी खड़ा हो गया।
उस समय लोग धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास करते थे कि ईश्वर ने दुनिया को छह दिनों में बनाया है। डार्विन का सिद्धांत सीधे तौर पर सृष्टि उत्पत्ति की उस पारंपरिक समझ को चुनौती दे रहा था।
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कई लोगों ने डार्विन को आलोचना का शिकार बनाया और उनका मज़ाक भी उड़ाया गया। लेकिन विज्ञान जगत ने धीरे-धीरे डार्विन के तर्कों और सबूतों को मान्यता दी।
आज विकासवाद का सिद्धांत आधुनिक जीव विज्ञान की आधारशिला माना जाता है। चार्ल्स डार्विन की इस एक किताब ने हमें मानव इतिहास में हमारी वास्तविक जगह को समझने में मदद की।
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डार्विन की महान यात्रा और विकासवाद की नींव
चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) ने अपना जीवन प्रकृति को समझने में लगा दिया। उनकी कहानी शुरू होती है 1831 में। जब उन्होंने एचएमएस बीगल नामक जहाज से एक लंबी समुद्री यात्रा शुरू की।
यह यात्रा पांच साल तक चली। डार्विन ने दक्षिण अमेरिका और गैलापागोस द्वीप समूह जैसे दूर-दराज के स्थानों पर पशु-पक्षियों और जीवाश्मों का गहन अध्ययन किया।
उन्होंने देखा कि एक ही प्रजाति के जीव अलग-अलग भौगोलिक वातावरण में अलग तरह से विकसित हुए हैं। गैलापागोस में उन्होंने फिंच नाम की चिड़िया की चोंच के आकार में अंतर देखा।
उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि जीव वातावरण के अनुसार खुद को बदलते हैं। इसी अध्ययन ने उन्हें विकासवाद के सिद्धांत (Theory of Evolution) की नींव रखने के लिए प्रेरित किया।
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टेंशन में क्यों आए थे डार्विन
डार्विन ने यह रेवोल्यूशनरी आईडिया अपनी HMS Beagle जहाज की लंबी यात्रा के दौरान गैलापागोस द्वीप समूह में समझा था। उन्होंने वहां की छोटी फिंच चिड़िया की चोंचें देखीं और सोचा, "अरे वाह! अगर माहौल बदलने से इनकी चोंच बदल सकती है, तो हम इंसान क्यों नहीं बदल सकते?"
डार्विन ने अपने सिद्धांत को 20 साल तक दबा कर रखा था। क्योंकि उन्हें पता था कि उनकी यह 'बंदर थ्योरी' चर्च और समाज को पसंद नहीं आएगी। उन्होंने सोचा, "यार, कहीं मुझे पागल न समझ लें!
References
- Darwin, C. (1859). On the Origin of Species by Means of Natural Selection, or the Preservation of Favoured Races in the Struggle for Life. John Murray.
- Desmond, A., & Moore, J. (1991). Darwin. W. W. Norton & Company.
- American Museum of Natural History (AMNH) resources on Charles Darwin and Evolution.
- National Geographic articles on the Theory of Evolution.
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24 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 24 नवंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 24 नवंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1227: पोलैंड के हाई ड्यूक लेसज़ेक द व्हाइट की शिकार के दौरान हत्या कर दी गई।
1434: लंदन में थेम्स नदी का पानी बर्फ के बड़े टुकड़ों के रूप में जम गया था।
1542:एंग्लो-स्कॉटिश युद्धों में इंग्लैंड ने सोल्वे मॉस की लड़ाई जीत ली और 1200 स्कॉटिश कैदियों को पकड़ा।
1642: हाबिल तस्मान की अगुवाई में डच अभियान दल वर्तमान तस्मानिया, ऑस्ट्रेलिया पहुँचा।
1759: इटली में विसूवियस पर्वत शिखर पर भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ।
1827:फ़्रांस के चैंबर ऑफ डेप्युटीज के चुनाव में किंग चार्ल्स एक्स के समर्थकों को बहुमत नहीं मिला।
1831: ब्रिटेन के प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री माइकल फेरेडे ने बिजली की खोज की।
1859: ब्रिटिश प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन की प्रसिद्ध पुस्तक 'प्रजाति की उत्पत्ति' (On the Origin of Species) पहली बार प्रकाशित हुई।
1863: अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान, यूनियन बलों ने लुकआउट माउंटेन पर कब्ज़ा किया।
1877:अन्ना सेवेल का प्रभावशाली पशु कल्याण उपन्यास 'ब्लैक ब्यूटी' पहली बार प्रकाशित हुआ।
1877: डिप्टी कमिश्नर बनने वाले पहले हिंदुस्तानी कवासाजी जमाशेदजी पेटिगरा का जन्म हुआ।
1903: क्लाइड कोलमैन ने ऑटोमोबाइल इलेक्ट्रिक स्टार्टर का पेटेंट कराया।
1922: आयरिश नागरिक युद्ध के दौरान आयरिश राष्ट्रवादी रॉबर्ट एर्स्किन चाइल्डर्स को निष्पादित किया गया।
1950: संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर एक बड़े समुद्री चक्रवात 'स्टॉर्म ऑफ द सेंचुरी' ने प्रहार किया।
1961:विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को संयुक्त राष्ट्र के अस्थायी कार्यक्रम में शामिल किया गया।
1963: व्यवसायी जैक रूबी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के कथित हत्यारे ली हार्वे ओसवाल्ड को गोली मारकर घायल कर दिया।
1969:अपोलो 12 अंतरिक्ष यान प्रशांत महासागर में गिरकर पृथ्वी पर सुरक्षित लौट आया।
1974: वैज्ञानिकों ने इथियोपिया में 32 लाख साल पुराने मानव कंकाल 'लुसी' की खोज की।
1976: पूर्वी तुर्की में आए ओलादिरन-मुरादी भूकंप से कम से कम 4,000 लोगों की जान चली गई।
1988: लोकसभा सांसद लालदूहोमा को दल-बदल कानून के तहत पहली बार अयोग्य घोषित किया गया।
2007: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ आठ वर्षों के निर्वासन के बाद स्वदेश पहुँचे।
2012: बांग्लादेश के ढाका में एक कपड़े की फैक्ट्री में आग लगने से कम से कम 117 लोगों की मौत हो गई।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1944: मशहूर भारतीय फिल्म अभिनेता और फिल्म निर्देशक अमोल पालेकर का जन्म हुआ।
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