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आज के दिन की कहानी: साल 1947 में जब देश आजाद हुआ, तो दुनिया की निगाहें हम पर थीं। आजादी की खुशी तो बहुत थी लेकिन साथ ही एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी थी कि इस विशाल देश को कैसे चलाया जाए? लोगों ने कहा, "यह देश, जहां ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं, जहां हजारों भाषाएं हैं, सड़कें भी नहीं हैं... लोकतंत्र यहां टिक नहीं पाएगा।"
जब हमें आजादी मिली, तो भारत ने फैसला किया कि हम लोकतंत्र अपनाएंगे, जहां हर नागरिक को अपनी सरकार चुनने का हक होगा। अब चुनौती यह थी कि यह काम किया कैसे जाए? हमारा देश इतना बड़ा, इतना फैला हुआ, जहां 17 करोड़ से ज्यादा लोग थे।
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दुनिया के कई बड़े देश कह रहे थे, "भारत में लोकतंत्र फेल हो जाएगा!"। लेकिन हमारे नेताओं पंडित जवाहरलाल नेहरू और देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने ठान लिया था कि चुनाव तो होगा और दुनिया देखेगी।
यह सिर्फ एक चुनाव नहीं था, यह 17 करोड़ लोगों की आस्था और आजादी का सबसे बड़ा इम्तिहान था। इसकी शुरुआत 25 अक्टूबर 1951 को हुई।
तैयारी की कहानी: तीन साल की मेहनत
सोचिए, 1951 का आम चुनाव (General Elections India) सिर्फ एक दिन का काम नहीं था। इसकी तैयारी में लगभग तीन साल लग गए थे। यह हमारे इतिहास का सबसे मुश्किल और शानदार प्रोजेक्ट था।
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चुनौती नंबर 1: मतदाता सूची
सबसे पहले तो, मतदाता सूची बनानी थी। यानी यह तय करना था कि कौन-कौन वोट दे सकता है। संविधान ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise) का नियम लागू किया।
यानी 18 साल से ऊपर का हर नागरिक, चाहे अमीर हो या गरीब, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, वोट देगा। लेकिन यहां एक अजीब समस्या आई। लाखों महिला मतदाताओं ने फॉर्म भरते समय अपना नाम नहीं बताया।
उन्होंने लिखा, "इनकी पत्नी" या "उनकी बेटी"। सुकुमार सेन ने साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा, "हर मतदाता की अपनी पहचान होनी चाहिए।" यह फैसला महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम था।
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चुनौती नंबर 2: चुनाव चिह्न और साक्षरता
ज्यादातर लोग पढ़ नहीं सकते थे, इसलिए चुनाव आयोग ने एक जबरदस्त तरीका निकाला: चुनाव चिह्न। हर पार्टी और उम्मीदवार को एक खास निशान दिया गया, जैसे कांग्रेस को हल जोतता किसान और दूसरे दलों को लालटेन, दीपक, या बैलगाड़ी।
हर मतदाता को पहले एक पोस्टर दिखाया जाता था, जिसमें उसका निशान बना होता था, ताकि वह पहचान सके कि उसे किसे वोट देना है।
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चुनौती नंबर 3: बैलेट बॉक्स का आविष्कार
यह सबसे अनोखी बात थी। हर उम्मीदवार के लिए एक अलग रंग का बैलेट बॉक्स रखा गया था। इस पर उसका चुनाव चिह्न बना था। अनपढ़ लोग भी निशान देखकर सही बक्से में अपना वोट डाल सकें यह उस समय का एक मास्टरस्ट्रोक था। इस तरह, भारत ने साबित कर दिया कि निरक्षरता लोकतंत्र के रास्ते में बाधा नहीं बन सकती।
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1951-52: जब वोटिंग शुरू हुई
आखिरकार, 25 अक्टूबर 1951 को पहले आम चुनाव (First General Election) की शुरुआत हुई। यह वोटिंग लगभग चार महीने तक चली, जो फरवरी 1952 में जाकर खत्म हुई।
सीटें: चुनाव 489 सीटों के लिए हुए थे।
पार्टियां: 53 राजनीतिक दलों और सैकड़ों निर्दलीय उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया।
शपथ: सुकुमार सेन ने शपथ ली थी कि वह हर मतदाता तक पहुंचेंगे, चाहे वह हिमालय की बर्फ हो या राजस्थान का रेगिस्तान। जहां सड़कें नहीं थीं, वहां पोलिंग पार्टियां पैदल गईं। जहां साधन नहीं थे, वहां ऊंट और हाथी का इस्तेमाल हुआ। यह लोकतंत्र के प्रति हमारे देश की अटूट आस्था का प्रमाण था।
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सुकुमार सेन (Sukumar Sen) भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त (First Chief Election Commissioner) थे। वह एक असाधारण सिविल सेवक थे, जिन्होंने 21 मार्च 1950 से लेकर 1958 तक इस पद पर कार्य किया।
उन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक प्रयोग 1951-52 के पहले आम चुनाव को सफलतापूर्वक आयोजित करने का श्रेय दिया जाता है। उस समय देश की लगभग 85% जनता अनपढ़ थी।
सेन ने चुनाव चिह्न और अलग-अलग रंग के बैलेट बॉक्स जैसी अभिनव तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे हर मतदाता अपनी सरकार चुन सका। उन्होंने ही महिला मतदाताओं की व्यक्तिगत पहचान सुनिश्चित करने का ऐतिहासिक फैसला भी लिया था। उनका काम आज भी भारतीय लोकतंत्र की नींव माना जाता है।
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तो रिजल्ट में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) ने शानदार जीत हासिल की और पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री बने।
यह चुनाव सिर्फ एक जीत-हार नहीं था। यह दुनिया को दिखाने का एक मौका था कि भारत (India) आजाद है और वह अपने लोगों की आवाज (Voice of People) को सबसे ऊपर रखता है।
References
- Election Commission of India (ECI) Official Records: (Provides dates, voter turnout, and technical details of the 1951-52 elections.)
- Indian Constitutional History and Debates (Constituent Assembly): (Confirms the adoption of Universal Adult Franchise and the challenges faced.)
- Biography/Works of Sukumar Sen, First Chief Election Commissioner: (Details the anecdotes regarding election symbols, the rejection of "Wife of" entries, and the logistical challenges.)
- Academic Papers/Books on Indian Democracy and 1951 Elections: (Provides contextual analysis and quotes about the global view of the election experiment.)
25 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 25 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 25 अक्टूबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
1147: पुर्तगाल की सेनाओं ने चार महीने की घेराबंदी के बाद मूरों से लिस्बन पर कब्ज़ा कर लिया।
1415: इंग्लैंड के हेनरी पंचम ने सौ साल के युद्ध के दौरान 'एगिनकोर्ट की लड़ाई' में फ्रांसीसी घुड़सवारों को हराया।
1616: डच जहाज 'एरेन्चट' के खोजकर्ता डर्क हार्टोग ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर शार्क बे तक पहुँचे।
1711: इटली के प्राचीन ऐतिहासिक नगरों पॉम्पी (Pompeii) और हरकुलेनम के अवशेषों का पता चला।
1747: एडमिरल सर एडवर्ड हॉक के तहत ब्रिटिश बेड़े ने केप फिनिस्टरर की दूसरी लड़ाई में फ्रांसीसी बेड़े को हराया।
1760: जॉर्ज तृतीय ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के राजा बने।
1812: यूएसएस कॉन्स्टिट्यूशन ने एचएमएस मैसेडोनियन पर कब्ज़ा कर लिया, यह अमेरिका लाया गया पहला ब्रिटिश युद्धपोत था।
1828: लंदन में सेंट कैथरीन डॉक्स का उद्घाटन हुआ।
1854: क्रीमियन युद्ध: लॉर्ड कार्डिगन ने बालाक्लाव के जंगल में अपनी घुड़सवार सेना का नेतृत्व किया।
1861: टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई।
1870: अमेरिका में पहली बार पोस्टकार्ड का प्रयोग किया गया।
1875: ताचिकोवस्की के पियानो कॉन्सर्टो नंबर 1 का पहला प्रदर्शन बोस्टन में हुआ।
1917: बोल्शेविकों (कम्युनिस्टों) के नेता व्लादिमीर इलिच लेनिन ने रूस में सत्ता हथिया ली।
1920: आयरिश नाटककार और राजनीतिज्ञ टेरेंस मैकस्वीनी की 74 दिनों की भूख हड़ताल के बाद जेल में मृत्यु हो गई।
1924: अंग्रेजों ने सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार कर दो साल के लिए जेल भेज दिया।
1924: 'ज़िनोविएव पत्र' प्रकाशित हुआ, जिसने ब्रिटिश आम चुनाव में लेबर पार्टी की हार सुनिश्चित करने में मदद की।
1935: हैती में एक विशाल तूफान आया, जिसमें दो हजार से अधिक लोगों की मौत हुई।
1940: बेंजामिन ओ डेविस, सीनियर अमेरिकी सेना के पहले अफ्रीकी-अमेरिकी जनरल बने।
1944: अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बी यूएसएस टैंग अपने ही टॉरपीडो से डूब गई।
1944: हेनरिक हिमलर ने 'एडलवाइस पाइरेट्स' (एक गैर-सुधारवादी युवा समूह) को सहायता करने वालों को मार डालने का आदेश दिया।
1945: चीन ने मित्र राष्ट्रों की ओर से जापान के बाद ताइवान का प्रशासन संभाला।
1955: टप्पन नामक कंपनी ने पहली बार घरेलू इस्तेमाल के लिए माइक्रोवेव ओवन की बिक्री शुरू की।
1960: न्यूयॉर्क में पहली इलेक्ट्रॉनिक कलाई घड़ी बाज़ार में आई।
1971: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता दी और राष्ट्रवादी चीनी सरकार (ताइवान) को निष्कासित कर दिया।
1972: एफबीआई में पहली महिला एजेंटों को काम पर रखा गया।
1980: बच्चों के अपहरण के नागरिक पहलुओं पर हेग कन्वेंशन पर कार्यवाही संपन्न हुई।
1983: संयुक्त राज्य अमेरिका और कैरेबियाई सहयोगियों ने ग्रेनाडा पर हमला किया।
1984: गैर-ए और गैर-बी हेपेटाइटिस का कारण बनने वाले वायरस की पहचान शोधकर्ताओं द्वारा की गई।
2000: अंतरिक्ष यान डिस्कवरी 13 दिन के अभियान के बाद सुरक्षित धरती पर वापस लौटा।
2001: विंडोज एक्सपी, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के सबसे लोकप्रिय संस्करणों में से एक, लॉन्च हुआ।
2006: सोमालिया के इस्लामिक कोर्ट यूनियन ने इथियोपियाई सैन्य कार्रवाई का जवाब देने के लिए हजारों लोगों की भर्ती शुरू की।
2008: ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि दक्षिण डारफुर में सरकारी समर्थक अरब मिलिशिया के हमले में लगभग 40 नागरिक मारे गए।
2010: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पाकपट्टन में एक बम विस्फोट में कम से कम आठ लोगों की हत्या हुई।
2010: इंडोनेशिया में माउंट मेरापी में विस्फोटों की एक तीव्र श्रृंखला शुरू हुई।
2011: स्पेस टेलीस्कोप ऑब्जर्वेटरी ने सुपरनोवा RCW 86 के असामान्य विस्तार को प्रमाणित किया।
2012: तूफान सैंडी क्यूबा और जमैका से टकराया।
2013: नाइजीरियाई सेना ने आतंकवादी संगठन बोको हराम के 74 आतंकवादियों को मार गिराया।
भारत इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
1951: भारत में पहले आम चुनाव की शुरुआत हुई।
1995: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र के 50वें वर्षगांठ सत्र को संबोधित किया।
2009: भारत ने चीन के इस विरोध का जवाब दिया कि दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने से नहीं रोका जाएगा, क्योंकि वह एक "सम्मानित अतिथि" हैं।
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