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स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम 1775 में शुरू हुआ, जब ब्रिटेन के 13 उपनिवेशों (जैसे न्यूयॉर्क, वर्जीनिया, मैसाचुसेट्स) ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया। उपनिवेशों के लोग ब्रिटेन की नीतियों से नाराज थे। ब्रिटेन ने उन पर बिना उनकी सहमति के कर (टैक्स) लगाए, जिसे "प्रतिनिधित्व के बिना कराधान" कहा गया। साथ ही, ब्रिटेन ने व्यापार पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए, जिससे लोग और गुस्सा हो गए।
1776 में, उपनिवेशों ने स्वतंत्रता की घोषणा की, इसमें उन्होंने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया। इसके बाद युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध में अमेरिकी सेनाएं (जिन्हें कॉन्टिनेंटल आर्मी कहा जाता था) जॉर्ज वॉशिंगटन के नेतृत्व में लड़ीं। फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड जैसे देशों ने अमेरिका की मदद की। खासकर फ्रांस ने हथियार, पैसा और सैनिक दिए, जो युद्ध में बहुत जरूरी थे।
कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां हुईं, जैसे लेक्सिंगटन और कॉनकॉर्ड (1775), सैराटोगा (1777) और यॉर्कटाउन (1781)। सैराटोगा की जीत ने फ्रांस को अमेरिका का खुलकर समर्थन करने के लिए प्रेरित किया। 1781 में यॉर्कटाउन की लड़ाई में ब्रिटिश जनरल कॉर्नवॉलिस की हार ने ब्रिटेन को शांति वार्ता के लिए मजबूर कर दिया। युद्ध की लागत और हार के कारण ब्रिटेन ने फैसला किया कि अब शांति की जरूरत है। इस तरह, पेरिस में शांति वार्ता शुरू हुई।
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (1775-1783)
शांति वार्ता की शुरुआत
1782 में पेरिस में शांति वार्ता शुरू हुई। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड शामिल थे। अमेरिका की ओर से बेंजामिन फ्रैंकलिन, जॉन एडम्स और जॉन जे ने बात की। ये तीनों बहुत अनुभवी और चतुर कूटनीतिज्ञ थे। ब्रिटेन की ओर से डेविड हार्टले और रिचर्ड ओसवाल्ड मुख्य वार्ताकार थे।
वार्ता आसान नहीं थी। हर देश अपने हितों को बचाना चाहता था। अमेरिका चाहता था कि उसे पूरी स्वतंत्रता मिले और उसकी सीमाएँ स्पष्ट हों। ब्रिटेन अपने उपनिवेशों को पूरी तरह खोना नहीं चाहता था और फ्रांस के प्रभाव को कम करना चाहता था। फ्रांस, जो अमेरिका का सहयोगी था, अपने लिए और स्पेन के लिए कुछ क्षेत्रीय लाभ चाहता था।
अमेरिकी प्रतिनिधियों ने चालाकी दिखाई। उन्होंने फ्रांस के साथ पूरी तरह तालमेल रखने के बजाय ब्रिटेन के साथ अलग-अलग बातचीत की। उन्हें डर था कि फ्रांस अपनी मांगों को प्राथमिकता दे सकता है। इस रणनीति से अमेरिका को बेहतर शर्तें मिलीं।
पेरिस की संधि के अहम बिंदु
3 सितंबर, 1783 को पेरिस में संधि पर हस्ताक्षर हुए। इस संधि में 10 अनुच्छेद थे। आइए अब उसके बारे में जानते हैं।
अमेरिका को स्वतंत्रता
ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। यह संधि का सबसे बड़ा बिंदु था, क्योंकि इससे 13 उपनिवेश ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गए।
सीमाएं तय करना
अमेरिका की सीमाएं निर्धारित की गईं। यह क्षेत्र पूर्व में अटलांटिक महासागर से पश्चिम में मिसिसिपी नदी तक फैला था। उत्तर में ग्रेट लेक्स और दक्षिण में फ्लोरिडा की सीमा थी। फ्लोरिडा को स्पेन को वापस दे दिया गया।
मछली पकड़ने का अधिकार
अमेरिकियों को न्यूफाउंडलैंड और कनाडा के तटों पर मछली पकड़ने की अनुमति दी गई। यह न्यू इंग्लैंड के मछुआरों के लिए बहुत जरूरी था।
कर्ज और संपत्ति
संधि में कहा गया कि युद्ध से पहले लिए गए कर्ज चुकाए जाएंगे। साथ ही, ब्रिटेन के प्रति वफादार लोगों (लॉयलिस्ट) की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की सलाह दी गई, लेकिन इस नियम का पूरी तरह पालन नहीं हुआ।
युद्धबंदी और सेना की वापसी
दोनों पक्षों ने युद्धबंदियों को रिहा करने और ब्रिटिश सेना को न्यूयॉर्क सहित अमेरिकी क्षेत्रों से हटाने पर सहमति जताई।
मिसिसिपी नदी का उपयोग
दोनों पक्षों को मिसिसिपी नदी पर जहाज चलाने का अधिकार दिया गया, लेकिन यह बाद में विवाद का कारण बना।
संधि का असर क्या पड़ा
पेरिस की संधि ने कई बड़े बदलाव लाए। साथ ही, इसके कई असर भी देखने को मिले।
अमेरिका का जन्म
इस संधि ने संयुक्त राज्य अमेरिका को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। इससे अमेरिका को अपनी सरकार और संविधान बनाने का मौका मिला।
ब्रिटेन पर असर
ब्रिटेन ने अपने महत्वपूर्ण उपनिवेश खो दिए, लेकिन उसने भारत और अन्य क्षेत्रों में अपने साम्राज्य को बढ़ाकर इस नुकसान की भरपाई की।
फ्रांस का संकट
फ्रांस ने युद्ध में अमेरिका की मदद की, लेकिन इसके लिए उसे भारी कर्ज लेना पड़ा। यह कर्ज बाद में फ्रांसीसी क्रांति (1789) का एक कारण बना।
लॉयलिस्टों का पलायन
करीब 60,000 लॉयलिस्ट, जो ब्रिटेन के प्रति वफादार थे, अमेरिका छोड़कर कनाडा, वेस्ट इंडीज या ब्रिटेन चले गए। इससे कनाडा में ब्रिटिश प्रभाव बढ़ा।
सीमा विवाद
संधि में सीमाएं पूरी तरह स्पष्ट नहीं थीं, जिसके कारण बाद में ब्रिटेन और अमेरिका के बीच विवाद हुए।
दीर्घकालिक महत्व
पेरिस की संधि ने विश्व इतिहास को बदल दिया। इसने कई बड़े बदलाव लाए:
लोकतंत्र की नींव
संधि के बाद अमेरिका ने 1787 में अपना संविधान बनाया, जो आज भी दुनिया के सबसे पुराने लिखित संविधानों में से एक है। यह लोकतंत्र का एक मॉडल बना।
स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरणा
अमेरिका की स्वतंत्रता ने लैटिन अमेरिका और अन्य जगहों पर उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलनों को प्रेरित किया।
विश्व शक्ति का उदय
इस संधि ने अमेरिका को एक बड़े क्षेत्र के साथ एक नया राष्ट्र बनाया, जो बाद में विश्व की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक बना।
Reference
इस लेख में दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है:
Library of Congress: संधि का मूल दस्तावेज और विश्लेषण।
लिंक: https://www.loc.gov/rr/program/bib/ourdocs/paris.html
U.S. Department of State - Office of the Historian: संधि की पृष्ठभूमि।
लिंक: https://history.state.gov/milestones/1776-1783/treaty-paris
National Archives: संधि का ऐतिहासिक संदर्भ।
लिंक: https://www.archives.gov/milestone-documents/treaty-of-paris
Encyclopedia Britannica: संधि और युद्ध का अवलोकन।
लिंक: https://www.britannica.com/event/Treaty-of-Paris-1783
आज की तारीख का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 3 सितंबर का दिन भी इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 3 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व में 3 सितंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं
2014: दवा कंपनी CVS फार्मेसी ने घोषणा की कि वह अपना नाम बदलकर CVS हेल्थ कर देगी और तंबाकू उत्पादों की बिक्री बंद कर देगी।
2013: माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने नोकिया के मोबाइल फोन डिवीजन को 7.2 अरब डॉलर में खरीदा।
2011: एथलेटिक्स की 13वीं विश्व चैंपियनशिप में, उसेन बोल्ट ने 200 मीटर की दौड़ जीती।
2010: इस साल अगस्त महीने के लिए अमेरिका में बेरोजगारी की दर बढ़कर 9.6% हो गई।
2009: बढ़ते तापमान के बीच, ऑस्ट्रेलिया ने अपने सबसे गर्म अगस्त का रिकॉर्ड बनाया।
2008: रिपब्लिकन पार्टी ने एरिजोना के सीनेटर जॉन मैक्केन को 2008 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया।
2005: तूफान कैटरीना से हुए विनाशकारी नुकसान के बाद, कतर ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 100 मिलियन डॉलर की सहायता की पेशकश की।
2004: रूस के बेसलान में एक स्कूल में, दो दिन के गतिरोध के बाद, आतंकवादियों ने लगभग 340 बंधकों को मार डाला।
2001: उत्तरी आयरलैंड के अर्दोयने में, प्रोटेस्टेंट वफादारों ने लड़कियों के लिए एक कैथोलिक स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू किया।
1995: ईबे (eBay) की स्थापना की गई।
1991: अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में एक जलते हुए चिकन प्रोसेसिंग प्लांट में आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई।
1984: दक्षिण फिलीपीन्स में एक भयानक तूफान से लगभग 1,300 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। हवा की गति 185 किलोमीटर प्रति घंटा मापी गई।
1971: कतर को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली।
1968: ब्रिटिश डॉक्टरों ने गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करने वाली महिलाओं में रक्त के थक्के जमने के मामलों में वृद्धि देखी।
1950: एमिलियो नीनो फरिना पहले फॉर्मूला वन विश्व चैंपियन बने।
1943: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, मित्र देशों की सेनाओं ने इटली पर हमला किया।
1942: होलोकॉस्ट के दौरान, पोलैंड के लाचवा यहूदी बस्ती के निवासियों ने नाज़ी सैनिकों के खिलाफ असफल लड़ाई लड़ी।
1941: जर्मन तोपखाने ने लेनिनग्राद पर गोलाबारी शुरू की। इसी दिन, होलोकॉस्ट के दौरान, Auschwitz में सोवियत युद्धबंदियों को मारने के लिए पहली बार कीटनाशक Zyklon B का इस्तेमाल किया गया।
1939: ब्रिटिश प्रधानमंत्री नेविले चेम्बरलेन ने एक रेडियो प्रसारण में जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की, जिसके साथ द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ।
1937: ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया की सबसे लंबी बाड़ की गश्त के लिए ऊंटों का उपयोग करना शुरू किया।
1925: अमेरिकी नौसेना का पहला कठोर हवाई पोत, यूएसएस शेनंडोआ, ओहियो के ऊपर एक तूफान में टूट गया।
1914: अल्बानिया के राजकुमार विलियम को अपने शासन के विरोध के कारण छह महीने बाद देश छोड़ना पड़ा।
1901: ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय ध्वज, कॉमनवेल्थ स्टार और दक्षिणी क्रॉस के साथ, मेलबर्न में रॉयल प्रदर्शनी भवन पर पहली बार फहराया गया।
1838: भविष्य के अमेरिकी उन्मूलनवादी, फ्रेडरिक डगलस, दासता से बच निकले।
1833: बेंजामिन एच.डे ने अमेरिका का पहला सफल समाचार पत्र 'न्यूयॉर्क सन' का प्रकाशन शुरू किया।
1812: इंग्लैंड के लंदन में डिब्बाबंद भोजन बनाने वाली दुनिया की पहली फैक्ट्री खुली।
1791: फ्रांस की संसद ने देश का संविधान पारित किया।
1783: ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने पेरिस की संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसने अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया।
1731: विलियम के.एच. फ्रिसो को फ्रिसलैंड का वायसराय बनाया गया।
1709: स्विस लोगों का पहला बड़ा समूह जर्मन उपनिवेशों तक पहुंचा।
1651: ओलिवर क्रॉमवेल के नेतृत्व में अंग्रेजी संसदीय सेना ने तीसरे अंग्रेजी गृहयुद्ध की अंतिम लड़ाई, वॉर्सेस्टर की लड़ाई जीती।
1189: रिचर्ड द लायनहार्ट को वेस्टमिंस्टर में इंग्लैंड के राजा का ताज पहनाया गया।
863: बीजान्टिन-अरब युद्धों में, बीजान्टिन साम्राज्य ने ललाकॉन की लड़ाई में मेलिटेन के अमीरात को निर्णायक रूप से हराया, जिससे बीजान्टिन उत्थान के युग की शुरुआत हुई।
590: ग्रेगरी प्रथम पोप बने, जो मठवासी पृष्ठभूमि से आने वाले पहले व्यक्ति थे।
भारत में 3 सितंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं
2014: भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में बाढ़ के कारण 200 से अधिक लोगों की मौत हुई।
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