World Suicide Prevention Day : पुलिसकर्मियों में आत्महत्या के मामलों ने बढ़ाई चिंता, आखिर किस बात का है तनाव?

World Suicide Prevention Day हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है। वहीं, इस अवसर पर पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और आत्महत्या की रोकथाम के उपायों पर मनोचिकित्सक की राय पर एक नजर है।

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Amresh Kushwaha
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वरिष्ठ मनोचिकित्सक, डॉ सत्यकांत त्रिवेदी

पुलिसकर्मियों में आत्महत्या की समस्या एक गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है। पुलिस सेवा को हमेशा चुनौतीपूर्ण, जोखिमपूर्ण और तनाव से भरा माना जाता है। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि अपराधियों से सीधा मुकाबला, लंबे कार्य घंटे, नींद और विश्राम की कमी। साथ ही पारिवारिक जीवन में असंतुलन और हर समय सतर्क रहने की मजबूरी पुलिसकर्मियों की मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। यही कारण है कि पुलिस बल में डिप्रेशन, चिंता और आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियां आम जनता की तुलना में कहीं अधिक देखी जाती है।

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मानसिक स्वास्थ्य देनी होगी प्राथमिकता 

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) पर इस विषय पर ध्यान देना विशेष रूप से आवश्यक है। त्रिवेदी के अनुसार, आत्महत्या को 100 प्रतिशत रोका जा सकने वाला कारण माना जाता है, बशर्ते समय रहते सही कदम उठाए जाएं। पुलिस कर्मियों में आत्महत्या की रोकथाम के लिए सबसे पहले संस्थागत स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी। उन्हें नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच, काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप की सुविधा दी जानी चाहिए। तनाव प्रबंधन और भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रशिक्षण, माइंडफुलनेस और योग जैसी तकनीकें उन्हें राहत दे सकती हैं।

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खास माहौल बनाने की जरूरत

पुलिस विभाग में अक्सर यह धारणा पाई जाती है कि मानसिक समस्या स्वीकारना कमजोरी का प्रतीक है। इस सोच को बदलना बेहद जरूरी है। वरिष्ठ अधिकारियों को इस दिशा में पहल करनी होगी और एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिसमें पुलिसकर्मी बिना डर या संकोच के अपनी मानसिक समस्याओं पर खुलकर बात कर सकें। सहकर्मियों के बीच सपोर्ट सिस्टम और "बडी प्रोग्राम" जैसे प्रयास भी आत्महत्या रोकने में मददगार हो सकते हैं।

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इनपर नजर रखें और तुरंत मदद करें

Dr. Satyakant Trivedi बताते हैं कि परिवार की भूमिका भी अहम है। यदि परिवारजन अपने सदस्य में चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या, अलगाव, बार-बार मरने की बातें करना या नशे का बढ़ता प्रयोग जैसे संकेत देखें तो तुरंत मदद के लिए आगे आएं। समाज को भी यह समझना होगा कि पुलिस कर्मी सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले नहीं हैं, बल्कि वे भी इंसान हैं जिनकी अपनी भावनाएं, संवेदनाएं और कठिनाइयाँ हैं।

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हर जीवन है अनमोल

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस हमें याद दिलाता है कि हर जीवन अनमोल है। पुलिस बल के कर्मियों को यदि हम मानसिक सहारा, संवाद और संवेदना का वातावरण देंगे, तो न केवल आत्महत्या की घटनाएँ कम होंगी, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और मनोबल भी बढ़ेगा। आत्महत्या रोकथाम सिर्फ एक स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक कर्तव्य भी है, और पुलिस जैसे महत्त्वपूर्ण वर्ग के लिए यह और भी अधिक आवश्यक है।

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