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मध्यप्रदेश में इन दिनों राजनीति के गलियारों में कई दिलचस्प घटनाएँ हो रही हैं। जहां बड़े नेता अपनी राजनीति को सुरक्षित करने के लिए देवी की शरण में गए हैं, वहीं साउथ लॉबी के आईपीएस अफसरों की सक्रियता बढ़ी हुई देखने को मिल रही है। इसके साथ ही कांग्रेस के भोपाल मुख्यालय में कैंटीन की स्थिति भी खराब देखने को मिल रही है। ऐसे में आप तो सीधे नीचे उतर आइए और वरिष्ठ पत्रकार हरीश दिवेकर (Harish Diwekar) के लोकप्रिय कॉलम बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
कामख्या देवी पर बड़ी पूजा
राजनीतिक गलियारों में बड़ी चर्चा है कि एक बड़े राजनेता ने कामख्या देवी पर बड़ी पूजा करवाई है। दरअसल दिसंबर के बाद प्रदेश में तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदलने के संकेत हैं। ऐसे में बड़े नेताजी देवी मां की शरण में जा पहुंचे हैं। बताते हैं कि यहां पर यज्ञ पूजा करवाने से शत्रुओं का नाश होता है और सत्ता में बने रहने का आशीर्वाद भी मिलता है। बहरहाल इसके पहले भी प्रदेश के कुछ नेता लगातार कामाख्या देवी की पूजा- अर्चना और हवन करवाते रहे हैं। इनमें से दो ग्वालियर चंबल के नेता भी शामिल हैं। इनका राजनीति में चरचराटा भी खूब रहा, फिर पता नहीं क्या हुआ देवी नाराज हो गईं, उसके बाद से दोनों नेताओं की रा​जनीति ही हाशिए पर आ गई।
आईपीएस में साउथ लॉबी फिर हो रही तैयार
लंबे समय बाद फिर से साउथ के आईपीएस अफसरों को अपना आका मिल गया है। बताते हैं कि साउथ लॉबी को प्रमोट करने वाले खाकी वाले साहब खुलकर मैदान में आ गए हैं। ये साहब महत्वपूर्ण पद पर हैं और सूबे के मुखिया के करीबी भी। ऐसे में वे मौका मिलते ही साउथ के अफसरों को मेन स्ट्रीम में लाने में देरी नहीं करते। आपको बता दें कि पुलिस मुख्यालय में एक समय में साउथ लॉबी का भारी दबदबा था, लेकिन उसके बाद बिहार की मैडम ने बिहारी लॉबी को मजबूती देकर सा​उथ लॉबी को कमजोर कर दिया था। इसके बाद लंबे समय तक पुलिस मुख्यालय के अहम पदों पर लाला लॉबी का दबदबा रहा। अब एक बार फिर साउथ लॉबी सक्रिय होने लगी है।
साहब का कमाल
प्रमोटी आईएएस ने सीधे मैनपॉवर हायर करने का रास्ता खोज लिया है। दरअसल अभी मैनपॉवर सेडमैप संस्था के माध्यम से हायर करना होता है। साहब ने सीधे तीन कंपनियों से कोटेशन बुलवाकर अपने ही लेवल पर मैन पॉवर हायर कर लिया। साहब का कहना है कि सरकार के पर्चेज रूल में साफ लिखा है कि 5 लाख से कम की खरीदी और सर्विस के लिए तीन कंपनियों से कोटेशन लेकर सेवाएं ली जा सकती हैं। मजे की बात ये है कि पर्चेज रुल में तो ये बात सालों से लिखी है, लेकिन इसका उपयोग करके साहब ने दूसरों के लिए रास्ता खोल दिया है।
7वें मददगार की तलाश
इमेज चमकवाने के तलबगार मंत्रीजी को ढंग की सोशल मीडिया कंपनी नहीं मिल पा रही। इधर भाई साहब किसी को जिम्मेदारी दिलवाते हैं, उधर सलाहकार मीन- मेख निकालकर कंपनी को चलता करवा देते हैं। ऐसे एक- एक करके छह कंपनियां विदा हो गई हैं। अब भाई साहब को उम्मीद है सातवां नंबर लकी साबित होगा! बस कोशिश है कि हर्र लगे न फिटकरी, इसीलिए कोशिश है कि विभाग के स्तर पर ही बड़ा टैंडर हो जाए, मरर मंशा ही पूरी नहीं हो पा रही…
इस लग्जरी रूम में क्यों नहीं बैठते अफसर
लोकायुक्त संगठन के कार्यालय में एक लग्जरी रूम हैं, लेकिन इसमें बैठने को कोई तैयार ही नहीं होता। लोगों का ऐसा मानना है कि जो इस कमरे में बैठा उसकी रवानगी तय हो जाती है। एक नहीं, कई तबादले जल्द होने से लोगों की धारणा प्रबल हो गई कि यदि लोकायुक्त संगठन में टिकना है तो इस कमरे में तो भूलकर भी नहीं बैठना। उसके बाद से इस कमरे में ताला लगा दिया गया।
कैंटीन ही नहीं चल रही तो पार्टी कैसे चलेगी
कांग्रेस के भोपाल मुख्यालय में कैंटीन को बार- बार खोलने का प्रयास किया जाता है, लेकिन चंद दिनों में ही कैंटीन संचालक बंद करके भाग लेता है। दरअसल कांग्रेस दफ्तर में आने- जाने वालों की भीड़ अब नदारद रहती है। ऐसे में कैंटीन संचालक का खुद का खर्चा- पानी पूरा नहीं हो पाता। इसके अलावा कांग्रेस कार्यालय में आने वाले कार्यकर्ता कैंटीन से ज्यादा कार्यालय के बाहर खड़े ठेले की चाय पीना पसंद करते हैं। ऐसे में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता हंसी- मजाक में कहने लगे हैं कि हमारे पार्टी मुख्यालय की कैंटीन ही ठीक से नहीं चल पा रही है तो पार्टी कैसे चलेगी?
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