बोल हरि बोल: साहब पर चढ़ा मोहिनी का जादू, SP साहब का कांड और डॉक्टर साहब का बड़ा मैसेज...

सत्ता, संगठन और साहिबान के गलियारों में इस समय कई दिलचस्प घटनाएं हो रही हैं। मंत्री जी की ऐतिहासिक मुलाकात से लेकर मोहिनी के जादू तक, हवाला कांड और मिनी महल के खुलासे तक ये सब पढ़ें आज के बोल हरि बोल में...

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Harish Divekar
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Bol hari bol 12 october 2025
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सत्ता, संगठन और साहिबान की खबरें कभी सीधी-सादी नहीं होतीं… वो कानों में फुसफुसाकर चलती हैं, गलियारों में गूंजती हैं और फिर पूरे सिस्टम में सुर्खियां बन जाती हैं।

अब देखिए न, मध्यप्रदेश में एक नेताजी ने एक मिनट की मुलाकात को ऐतिहासिक बता दिया। एक साहब मोहिनी के मोहपाश में उलझकर सुर्खियों में आ गए हैं। हवाला कांड में कप्तान साहब भी डूबते नजर आ रहे हैं। रिटायर ईएनसी का मिनी महल खूब चर्चा में है।

हर किस्से के पीछे एक चेहरा है, एक इशारा है और एक कहानी है। आप तो सीधे नीचे उतर आइए और वरिष्ठ पत्रकार हरीश दिवेकर (Harish Diwekar) के लोकप्रिय कॉलम बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए…

एक मिनट की सार्थक चर्चा...

सत्ता के गलियारों में जो दिखता है, हमेशा वैसा होता नहीं और जो होता है, वो अक्सर किसी को पता नहीं चलता। ग्वालियर-चंबल अंचल में भी कुछ ऐसा ही सीन देखने को मिला है। हुआ यूं कि कैमराजीवी मंत्री जी अंचल में पहुंचे थे। सड़क किनारे यहां के दिग्गज नेताजी खड़े थे। इनका कभी सिक्का चलता था। अब कहानी में ट्विस्ट ये कि मंत्री जी कार से उतरे ही नहीं।

खिड़की से हल्की सी मुस्कान, हाथ हिलाया और गाड़ी आगे बढ़ गई। बस... मुलाकात खत्म। लेकिन नेताजी कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट कर कैप्शन ठोक दिया कि मंत्री जी से आत्मीय भेंट एवं सार्थक चर्चा हुई। एक मिनट में सड़क पर कौन सी सार्थक चर्चा हो गई, ये तो नेताजी ही बेहतर बता सकते हैं। इधर, जनता भी पीछे नहीं रही। कैमराजीवी मंत्री जी की खिंचाई हो रही है। लोगों का कहना है, अरे भैया, मंत्री जी कम से कम गाड़ी से उतरकर दो मिनट की औपचारिकता तो निभा ही सकते थे।

मोहिनी के मोहपाश में बंधे साहब

मोहिनी का जादू और साहब का दिल… मंत्रालय के गलियारों में इन दिनों बस इसी की बातें चल रही हैं। जी हां! प्रमुख सचिव स्तर के एक साहब इन दिनों कामकाज से ज्यादा मोहिनी के मीठे वार्तालाप में व्यस्त रहते हैं। हाल ये है कि जैसे ही मोहिनी ऑफिस आती हैं, साहब के केबिन का दरवाजा आम लोगों के लिए बंद हो जाता है। बाकी फाइलें, मीटिंग और मंत्रालय के जरूरी काम… सब लाइन में लग जाते हैं। कहा जा रहा है कि मोहिनी के सामने साहब का प्रोटोकॉल भी पानी भरता है।

मोहिनी की मौजूदगी में कोई उनके कमरे में झांक भी नहीं सकता। अब नाम जानने के लिए आप उतावले होंगे, लेकिन थोड़ा ठंडा पानी पी लीजिए। हम तो बस इतना बता सकते हैं कि साहब को फिलहाल मंत्रालय से बाहर बैठा दिया गया है। अब यह मोहिनी का जादू है या अफसरशाही की गड़बड़ी, ये तो समय ही बताएगा। साहब का नाम जानने के लिए अंदरखाने की खबर आपको खुद निकालनी पड़ेगी।

बड़े साहब को बड़ा मैसेज!

पिछले दिनों सुशासन की क्लास में डॉक्टर साहब के तीर सीधे निशाने पर लगे हैं, बस उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। जी हां, प्रदेशभर के अफसरों को भोपाल बुलाकर डॉक्टर साहब ने जब मंच संभाला तो उन्होंने बातों ही बातों में सबको टाइट कर दिया। उन्होंने कलेक्टर-एसपी, आईजी-कमिश्नर और तमाम मैदानी अफसरों से दो टूक कहा कि मैदान में रहो, काम करो, लंबी-लंबी मीटिंगों में वक्त मत गंवाओ।

इसके बाद उन्होंने मंत्रालय में बैठे ऊंचे ओहदेदारों की ओर नजर घुमाई और नपे-तुले अंदाज में बोले, मैदानी अफसरों को काम करने दें, उन्हें बैठकों में उलझाएं नहीं। बस… फिर क्या था… हॉल में बैठे अफसरों के बीच फुसफुसाहट शुरू हो गई। अब तो सबकी जुबान पर एक ही बात थी कि डॉक्टर साहब ने नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा सीधा बड़े साहब की ही तरफ था।

देसी मीटिंग में विदेशी प्रेजेंटेशन?

एडीजी साहब का विदेशी स्टाइल इस बार भारी पड़ गया है। दरअसल, हुआ यूं कि जब आईजी-एसपी कांफ्रेंस में एडीजी साहब मंच पर आए तो सबको लगा कि अब कोई बड़ा इनोवेटिव प्रजेंटेशन देखने को मिलेगा। सच में उन्होंने बड़ी मेहनत की भी थी, स्लाइड्स में इनोवेशन था, आवाज में खनक और मिशन था ट्रैफिक व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाना।

लेकिन फिर... आई गड़बड़। साहब ने अपने प्रजेंटेशन को थोड़ा ग्लोबल लुक देने के लिए विदेशी क्लिप्स चला दीं। बस फिर क्या था, डॉक्टर साहब ने मुस्कुराते हुए एक लाइन में बात समेट दी। उन्होंने कहा, डॉक्टर भी बीमारी का इलाज विदेश के हिसाब से नहीं, भारत के माहौल को देखकर करता है। आपको भी यहीं की समस्या को समझकर हल निकालना होगा। इतना सुनते ही हॉल में सनाका खिंच गया। अब एडीजी साहब के खास कह रहे हैं कि मेहनत तो साहब ने दिल लगाकर की थी, पर ग्लोबल टच ने लोकल प्रजेंटेशन में खलल डाल दिया।

क्या कप्तान साहब ने कराया है पूरा खेला?

सिवनी में व्यापारी के तीन करोड़ रुपए पुलिसवालों ने हड़प लिए। खबर ने जैसे ही आग पकड़ी तो पुलिस मुख्यालय में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सब इंस्पेक्टर, हवलदार और सिपाही को सस्पेंड कर दिया गया। शुरू में पूरा मामला बस नीचे वालों तक सीमित रहा। इसके बाद मीडिया ने सवालों की बौछार कर दी। फिर डीजीपी साहब ने दखल दिया और महिला एसडीओपी को भी हटा दिया गया। अब अंदरखाने की जो बात निकली है, उसने पूरे मामले को और तगड़ा बना दिया है।

पता चला है कि व्यापारी के पैसे पकड़ने कप्तान साहब का स्टाफ खुद मौके पर मौजूद था। अब सवाल उठ रहा है कि कप्तान साहब को सच में कुछ पता नहीं था… या फिर उनकी मौन सहमति थी? पुलिस के गलियारों में तो सबको मालूम है कि इतनी बड़ी रकम का खेला सिर्फ एसडीओपी लेवल पर संभव ही नहीं। इस कांड के पीछे कोई बड़ा चेहरा तो जरूर है। अब सबकी निगाहें डीजीपी साहब पर हैं। क्या कप्तान साहब भी इस जांच की आंच में आएंगे या कहानी फिर छोटे मछलियों पर ही खत्म हो जाएगी?

इन साहब का मिनी महल!

लोकायुक्त की रेड में पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड ईएनसी के यहां से करोड़ों की संपत्ति मिलने के बाद अब नजरें एक और साहब पर टिक गई हैं। ये पीएचई विभाग के ईएनसी रहे हैं। बताया जा रहा है कि जनाब ने इंदौर में 12 करोड़ में तीन लग्जरी फ्लैट खरीदे और फिर उन्हें जोड़कर एक 12 हजार वर्गफीट का मिनी महल खड़ा कर लिया।

इसकी अंदर-बाहर की सजावट ऐसी है कि किसी पांच सितारा बंगले को मात दे दे। गॉशिप के गलियारों में तो यहां तक कहा जा रहा है कि साहब ने अपने दौर में नल-जल योजना में ऐसी चांदी काटी कि अब रिटायरमेंट में भी रॉयल लाइफ जी रहे हैं।

अब सवाल ये है कि जब रिटायर ईएनसी के पास इतनी दौलत निकल रही है तो अफसरशाही में और कितनी परतें बाकी हैं? लोकायुक्त की रेड के बाद मंत्रालय में भी कानाफूसी तेज है कि अब बारी किसकी है?

राजा साहब का गुपचुप मिशन...

कभी धुर विरोधी रहे दो बड़े नेताओं की मुलाकात ने राजनीति में हलचल मचा दी है। बताया जा रहा है कि राजा साहब ने बीते दिनों अपने पुराने प्रतिद्वंदी नेता से मुलाकात की और बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक लंबी बातचीत चली। इस गुपचुप मीटिंग में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति, संगठन सृजन और नाराज नेताओं को साधने पर खास फोकस रहा।

दिलचस्प बात ये है कि इन दोनों की आपस में बिल्कुल नहीं बनती, लेकिन मुलाकात ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। अब कानाफूसी है कि राजा साहब अचानक मेल-मिलाप के मूड में क्यों आए? क्या कोई बड़ा संगठनात्मक खेल चल रहा है? वैसे आपको बता दें कि राजनीति में मुलाकातें कभी बेवजह नहीं होतीं और इस मुलाकात के तो कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसे दिल्ली का एक मैसेज भी माना जा रहा है।

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