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पांच प्वाइंट में समझें पूरा मामला
- भारत में वित्त वर्ष 2025 तक 2,360 एटीएम कम हुए।
- प्राइवेट बैंकों ने सबसे ज्यादा एटीएम बंद किए, जिनकी संख्या 79 हजार 884 से घटकर 77 हजार 117 हो गई।
- पब्लिक बैंकों के एटीएम में भी मामूली कमी आई, अब इनकी संख्या 1 लाख 33 हजार 544 है।
- व्हाइट-लेबल एटीएम की संख्या बढ़कर 36 हजार 216 हो गई।
- पब्लिक बैंकों ने 2.8% ज्यादा शाखाएं खोलीं, और इनका ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा है।
भारत में डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन के कारण एटीएम (ATM) का इस्तेमाल लगातार कम हो रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट 'ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया' में यह सामने आया है। वित्त वर्ष 2025 तक देश में कुल एटीएम की संख्या दो हजार 360 यूनिट घट गई है।
मार्च 2025 तक एटीएम की संख्या 2 लाख 51 हजार 57 रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 2 लाख 53 हजार 417 था। रिपोर्ट के अनुसार, अब ग्राहक डिजिटल चैनलों के जरिए अपने रोजमर्रा के लेन-देन को पूरा कर रहे हैं, जिससे एटीएम की जरूरत कम हो गई है।
ATM बंद होने सबसे बड़ा योगदान
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि ATM की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट प्राइवेट बैंकों के कारण आई है। इन बैंकों ने एटीएम की संख्या 79 हजार 884 से घटाकर 77 हजार 117 तक कर दी है। वहीं, पब्लिक सेक्टर बैंकों का एटीएम नेटवर्क अब भी सबसे बड़ा है। हालांकि, इनमें भी कमी आई है।
पब्लिक बैंकों के एटीएम 1 लाख 34 हजार 694 से घटकर 1 लाख 33 हजार 544 रह गए हैं। इस गिरावट का मुख्य कारण यह बताया गया है कि, दोनों सेक्टर के बैंकों ने शहरों में स्थित अपने ऑफ-साइट ATM को बंद कर दिया है।
व्हाइट-लेबल एटीएम की बढ़ती संख्या
हालांकि, एटीएम की संख्या में कमी के बावजूद व्हाइट-लेबल एटीएम की संख्या बढ़ी है। ये एटीएम स्वतंत्र रूप से संचालित होते हैं और वित्त वर्ष 2025 में इनकी संख्या 34 हजार 602 से बढ़कर 36 हजार 216 हो गई। इसका मतलब है कि बैंकों ने अपने कुछ एटीएम बंद किए हैं, वहीं स्वतंत्र एटीएम ऑपरेटरों ने अपने नेटवर्क को बढ़ाया है। digital payment
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व्हाइट लेबल एटीएम क्या है?
व्हाइट लेबल एटीएम (WLA) स्वचालित टेलर मशीनें हैं जिनका प्रबंधन और संचालन गैर-बैंकिंग संस्थाओं द्वारा किया जाता है, जैसा कि RBI ने भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत अधिकृत किया है।
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शाखाओं की संख्या में बढ़ोतरी
ATM के कम होने के बावजूद बैंकों की कुल शाखाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2025 तक देश में कुल शाखाओं की संख्या 1.64 लाख तक पहुंच गई, जो पिछले साल के मुकाबले 2.8% ज्यादा है। इस क्षेत्र में पब्लिक सेक्टर बैंकों का हिस्सा बढ़ा है। पब्लिक बैंकों ने सबसे ज्यादा शाखाएं खोली हैं, जबकि प्राइवेट बैंकों का हिस्सा पिछले साल के 67.3% से घटकर 51.8% रह गया है।
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ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शाखाओं का विस्तार
पब्लिक सेक्टर बैंकों ने अपनी दो-तिहाई से ज्यादा शाखाएं ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोली हैं। इसके विपरीत, प्राइवेट बैंकों ने अपनी केवल 37.5% शाखाएं ही ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोली हैं। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पब्लिक सेक्टर बैंक ग्रामीण विकास पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जबकि प्राइवेट बैंकों का फोकस शहरी क्षेत्रों पर है।
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