स्ट्रीट फूड के लालच में लड़कियां हो रहीं बीमार, ICMR का खुलासा

आजकल गलत लाइफस्टाइल के चलते बीमारियां बढ़ रही हैं। ICMR की एक स्टडी में पाया कि 18-40 साल की 40% युवतियों में पोषण की कमी है। इसका कारण जंक फूड बताया जा रहा है।

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Anjali Dwivedi
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street food risks women health icmr study
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पांच प्वाइंट में समझें पूरा मामला...

  • 18 से 40 साल की 40% लड़कियों में पोषण की कमी, जिनमें एनीमिया और विटामिन की कमी शामिल हैं।
  • दिन की शुरुआत चाय-बिस्किट से होने से मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ता है, जिससे एसिडिटी और थकान होती है।
  • लंच में सब्जियां, दालें और साबुत अनाज की कमी से पेट की समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
  • शाम में मीठे ड्रिंक और जंक फूड से ब्लड शुगर का असंतुलन होता है, इससे मोटापे का खतरा बढ़ता है।
  • सही नाश्ता, हल्का डिनर और पौष्टिक स्नैक्स से सेहत में सुधार संभव है।

आजकल की बदलती लाइफस्टाइल के कारण महिलाओं की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। कैंसर से लेकर किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। यह चौंकाने वाला ICMR (Indian Council of Medical Research) की एक स्टडी में हुआ है। 18 से 40 साल की लगभग 40 प्रतिशत लड़कियों में पोषण संबंधी कमियां पाई गई हैं। 

इन कमियों में एनीमिया, विटामिन की कमी, और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याएं शामिल हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ये महिलाएं BMI (Body Mass Index) के हिसाब से फिट दिखती हैं, इसलिए ये समस्याएं लंबे समय तक छिपी रहती हैं और पकड़ी नहीं जाती है।

क्या कहते हैं रिसर्चर्स?

रिसर्चर्स का कहना है कि अगर इन पोषण संबंधी कमियों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे महिलाओं की सेहत, फर्टिलिटी, और ओवरऑल वेलबीइंग पर गंभीर असर हो सकता है।

18 से 40 साल की लड़कियां अक्सर नाश्ता छोड़ देती हैं। वह चाय, पैकेज्ड ड्रिंक और बिस्किट खाती हैं, जो शरीर को जरूरी ऊर्जा नहीं दे पाते। इसके कारण मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है, जिससे एसिडिटी और फोकस की समस्या होने लगती है।

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दोपहर के भोजन के बाद की आदतें

दोपहर होते-होते लड़कियों को तेज भूख लगने लगती है और वे स्कूल कैंटीन से तले-भुने या प्रोसेस्ड फूड जैसे चिप्स, समोसे या मीठी चीजें खा लेती हैं। ये खाद्य पदार्थ दिखने में आसान होते हैं, लेकिन इनमें फाइबर और पोषक तत्वों की कमी होती है। लगातार ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से पेट की परत में जलन, गैस और ब्लोटिंग की समस्याएं बढ़ने लगती हैं।

लंच अक्सर या तो छूट जाता है या इंस्टेंट नूडल्स, बर्गर या पिज्जा जैसी चीजों से बदल लिया जाता है। इससे सब्जियां, दालें, फल और साबुत अनाज खाने की आदत छूट जाती है, जो भविष्य में समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।

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लड़कियों की शाम की डाइट क्या 

शाम होते-होते मीठे ड्रिंक, बेकरी आइटम और स्ट्रीट फूड खाने की क्रेविंग बढ़ जाती है। डॉ. चेतावनी देते हैं कि ज्यादा शुगर और मैदा  ब्लड शुगर को तेजी से ऊपर-नीचे करता है। इससे कम उम्र में ही मोटापा, इंसुलिन रेजिस्टेंस और फैटी लिवर जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। डिनर जो कि आइडियली हल्का होना चाहिए, अक्सर देर रात भारी और तला-भुना होता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स और नींद की दिक्कतें बढ़ने लगती हैं।

लड़कियों को न्यूट्रिशन की जरूरत कब

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में 20 से 30 साल की उम्र के लोग अक्सर खानपान को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि यह समय शरीर की मेटाबॉलिज्मऔर हार्मोनल बैलेंस की नींव रखता है। दिल्ली स्थित डाइटकल्प न्यूट्रिशन सेंटर की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. सुषमा के मुताबिक, दिन की शुरुआत एक अच्छे नाश्ते से होनी चाहिए।

प्रोटीन और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स का मेल ब्लड शुगर को स्थिर रखता है और दिमाग को एक्टिव बनाए रखता है। वे बताती हैं कि खाली पेट सिर्फ कॉफी पीने से घबराहट, दिल की धड़कन तेज, एसिडिटी और दिनभर थकान हो सकती है।

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डाइट में बढ़ाएं प्रोटीन और पौष्टिक आहार 

लंच में प्रोसेस्ड फूड की जगह प्रोटीन, सब्जियां और साबुत अनाज लेना हेल्थ के लिए फायदेमंद है। वहीं, शाम के स्नैक्स हल्के लेकिन पौष्टिक होने चाहिए ताकि ओवरईटिंग से बचा जा सके। डिनर हमेशा हल्का और सोने से 2-3 घंटे पहले होना चाहिए, जिससे डाइजेशन में मदद मिलती है और नींद की क्वालिटी भी बेहतर होती है।

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