New Delhi. भारत ने दिल्ली में हो रहे जी-20 समिट में सात बड़ी उपलब्धियां हासिल की है, जो वैश्विक मंच पर बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। विश्वमंथन के सबसे बड़े मंच जी-20 समिट के पहले दिन ही दिल्ली घोषणा पत्र पर सहमति बनने से इतिहास रच गया है। दिल्ली में हो रहा जी-20 समिट अब तक का सबसे सफल समिट बन गया है। पिछले समिट की तुलना में इस बार सबसे ज्यादा काम हुआ है। 2022 के जी-20 समिट में सिर्फ 27 मुद्दों पर ही सहमति बन पाई थी, वहीं 2021 में 36, 2020 में 22, 2019 में 13, 2018 में 12 और 2017 में जब जर्मनी में G-20 का समिट हुआ था, तब सिर्फ 8 मुद्दों पर ही चर्चा के बाद सहमति बनी थी, लेकिन भारत ने इस बार के समिट में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 73 मुद्दों पर चर्चा की और इस पर सभी देशों के राष्ट्र अध्यक्षों और नेताओं के बीच इन पर सहमति भी बना ली। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। इसरी वैश्विक नेताओं ने काफी तारीफ भी की है।
पहली उपलब्धि : भारत की पहल से जी-20 से अब हो गया जी-21
दिल्ली में हो रहा जी-20 समिट इसलिए भी ऐतिहासिक और खास बन गया है क्योंकि अब ये जी-20 से जी-21 हो गया है। भारत की पहल पर अफ्रीकी देशों का संघ (अफ्रीकन यूनियन) जी-20 का स्थायी सदस्य बन गया है। इस दौरान मोदी ने इस संघ के अध्यक्ष, जो अफ्रीकी देश 'कॉमरॉस' के राष्ट्रपति भी हैं, उन्हें बधाई देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो उन्होंने पीएम मोदी से हाथ मिलाने के बजाय उन्हें सीधे गले लगा लिया।
फायदा : इस कदम को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
दूसरी उपलब्धि : जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 100 अरब डॉलर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन की फंडिंग के लिए वैश्विक सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। पीएम ने कहा, जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा के श्रोतों में बदलाव 21वीं सदी में दुनिया की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। समावेशी ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए अरबों डॉलर की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता को पूरा करने की इच्छा को लेकर विकसित देशों की सराहना की।
फायदा : इसे भारत की अब तक की सबसे बड़ी पहल के रूप में चिह्नित किया गया है।
तीसरी उपलब्धि : पीएम वादा पूरा किया, अफ्रीकी यूनियन को मिला बड़ा मंच
2022 में बाली में हुए जी-20 समिट के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात अफ्रीकी देश सेनेगल के राष्ट्रपति से हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि अफ्रीकन यूनियन को इस संगठन में सदस्यता मिल पाएगी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा था कि ऐसा होकर रहेगा और ये मोदी की गारंटी है और अब ऐसा ही हुआ। अफ्रीकी यूनियन 55 देशों का समूह है, जिसमें दुनिया की लगभग 14 प्रतिशत आबादी रहती है। भारत की पहल पर अब अफ्रीकी यूनियन जी-20 का स्थायी सदस्य बन गया है।
फायदा : इससे अफ्रीकी देशों को कई रूप से लाभ पहुंचेगा। इसके लिए वो भारत के प्रयासों को कभी नहीं भूलेंगे। भारत को भी इससे काफी फायदा होगा।
चौथी उपलब्धि : जी20 में अब ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल
देश में इंडिया और भारत नाम पर बहस का दौर जारी है। ऐसे में पहली बार ऐसा हुआ जब जी-20 के मंच पर देश का नाम इंडिया नहीं बल्कि भारत लिखा गया। अब आगे जो समिट होंगे, उसमें भारत ही लिखा जाएगा। इससे पहले जितने भी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होते थे, उनमें देश के लिए इंडिया नाम का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब जब हमारा देश इस समिट की अध्यक्षता भारत के उस नाम से कर रहा था, जो किसी अंग्रेज ने हमें नहीं दिया है।
फायदा : हम अपने मूल नाम भारत और अपनी मूल पहचान से समिट में हिस्सा ले रहे हैं और आगे भी दुनिया हमारे भारत को इसी तरह सम्मान भी देगी।
पांचवीं उपलब्धि : भारत का नमस्कार अब ग्लोबल हो गया
समिट में भारत ने अपनी संस्कृति और संस्कार की छाप भी छोड़ी है, जिससे दुनिया प्रभावित है। भारत ने दुनिया के बड़े बड़े नेताओं और प्रतिनिधियों को हेलो (Hello) छोड़कर, नमस्ते करना भी सिखा दिया। शनिवार (9 सितंबर) सुबह जब प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 के राष्ट्र अध्यक्षों और बाकी प्रतिनिधियों का स्वागत किया, तब ये मेहमान, हेलो नहीं बल्कि 'नमस्ते भारत' कह रहे थे। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर से लेकर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की डायरेक्टर जनरल और मिस्र, सिंगापुर, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और यूरोपीय यूनियन की काउंसिल के प्रमुख ने पीएम मोदी को नमस्ते कहा। इसी के साथ अब हमारा यह नमस्ते भी ग्लोबल हो गया है।
फायदा : संभावना है कि भारत के नमस्ते को दुनिया में अलग ही पहचान मिलेगी। इससे विदेश में रहने वाले भारतीयों का भी मान बढ़ेगा।
छठी उपलब्धि : भारत मध्य पूर्व यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर लॉन्च
समिट के पहले दिन भारत मध्य पूर्व यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर भी लॉन्च किया गया। समारोह के दौरान पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, ईटली की प्रधानमंत्री जॉर्जियो मेलोनी समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है, जिसने पाकिस्तान, केन्या, जाम्बिया, लाओस और मंगोलिया जैसे कई विकासशील देशों को भारी कर्ज में डाल दिया है। इस योजना का लक्ष्य संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल से होते हुए भारत से यूरोप तक फैले रेलवे मार्गों और बंदरगाह लिंकेज को एकीकृत करना है।
फायदा : रेल लिंक से भारत और यूरोप के बीच व्यापार लगभग 40 प्रतिशत तेज हो जाएगा। इन्फ्रा डील से शिपिंग समय और लागत कम हो जाएगी, जिससे व्यापार सस्ता और तेज हो जाएगा।
सातवीं उपलब्धि : ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च
समिट के दौरान ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस भी लॉन्च किया गया। मोदी ने 'वन अर्थ' पर जी-20 शिखर सम्मेलन सत्र में पर्यावरण और जलवायु अवलोकन के लिए जी-20 सैटेलाइट मिशन शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा और नेताओं से ग्रीन क्रेडिट पहल पर काम शुरू करने का आग्रह किया। ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने का उद्देश्य टिकाऊ बायोफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाना है। साथ ही इसका मकसद बायोफ्यूल मार्केट को मजबूत करना, ग्लोबल बायोफ्यूल कारोबार को सुविधाजनक बनाना, तकनीकी सहायता प्रदान करने पर जोर देना है।
फायदा : ग्लोबल बायोफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ेगा तो दुनिया में पारंपरिक ईंधन पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।