NEW DELHI. 6 माह बाद देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं। इसमें आरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरने के प्रबल आसार हैं। विपक्ष लगातार जातिगत जनगणना का पहाड़ा पढ़ रहा है। उधर बीजेपी मराठा आरक्षण और जाट आरक्षण पर असहज दिखाई पड़ रही है। इधर गृहमंत्री अमित शाह के तेलंगाना में दिए उस बयान को इस गंभीर मसले की काट के रूप में देखा जा रहा है। जिसमें शाह ने तेलंगाना में सरकार बनने पर ओबीसी सीएम बनाने के साथ-साथ 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण को हटाकर एसटी समुदाय की मदिगा जातियों को आरक्षण देने का वादा किया है।
सभी पात्र जातियों को मिले आरक्षण का लाभ
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी की यह कोशिश है कि समस्त पात्र जातियों को आरक्षण में पर्याप्त हिस्सेदारी मिले। बीजेपी के थिंकटैंक में शामिल नेताओं का मानना है कि गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों की ज्यादातर जातियां पात्र होने के बावजूद आरक्षण का लाभ नहीं ले पा रही हैं। इन खामियों को दूर करने सरकार ने रोहिणी आयोग का गठन किया है। इधर विपक्ष लगातार जातिगत जनगणना के मुद्दे को आगे ला रहा है जिसका मतलब है कि संख्या के आधार पर ओबीसी को प्रतिनिधित्व मिले। इस मांग पर बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है।
पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में बीजेपी कर रही अपनी पैठ मजबूत
आम चुनाव में जातिगत जनगणना का मुद्दा जमकर तूल पकड़ेगा। इसके जवाब में बीजेपी पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में अपनी पैठ मजबूत करने के प्रयास कर रही है। बीजेपी ने यूपी के 6 क्षेत्रों के संगठन प्रभारी से लेकर नगरों और जिलों के प्रभारियों की नियुक्ति में 60 फीसदी तक पिछड़े और दलित कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं दिसंबर के महीने में ओबीसी सम्मेलन के साथ-साथ जनवरी में प्रयागराज में ओबीसी महाकुंभ कराने की तैयारी है।
अति पिछड़ा और अति दलित जातियां बनाई बीजेपी की कोर वोटर
दरअसल साल 2014 से ही बीजेपी अति पिछड़ी और अति दलित जातियों के बल पर चुनाव जीतती चली आ रही है। 2022 में अखिलेश यादव ने अति पिछड़ी जातियों से गठबंधन भी किया तो गैर यादव पिछड़ा और गैर जाटव दलित जातियों ने बीजेपी का साथ दिया था।
एनडीए के सहयोगी भी कर रहे जातिगत जनगणना की मांग
खास बात यह है कि बीजेपी के साथी दल भी जातिगत जनगणना के समर्थक हैं और एनडीए में रहते हुए यह मांग उठा रहे हैं। यूपी में बीजेपी के साथ अपना दल, निषाद पार्टी, सुहेलदेव समाज पार्टी शामिल है। वहीं लोनिया चौहान समुदाय के दारासिंह चौहान भी समाजवादी पार्टी से बीजेपी में आ चुके हैं।