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Photograph: (thesootr)
बिहार चुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए चौंकाने वाले थे। पार्टी ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ 6 सीटें जीत पाई। इस हार के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में एक समीक्षा बैठक बुलाई। इस बैठक में पार्टी के बड़े नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल शामिल हुए।
कांग्रेस की बैठक में चुनावी नतीजों की समीक्षा और संगठन की कमियों पर चर्चा की गई। इसके साथ ही भविष्य के लिए रणनीति तैयार की गई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनाव में गड़बड़ी की है। 2 हफ्तों में वे इस गड़बड़ी के सबूत जनता के सामने रखेंगे। पार्टी की समीक्षा बैठक ने बिहार में हार के कारणों को समझने की कोशिश की।
बिहार चुनाव में हार से कांग्रेस संकट में
बिहार चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को गहरे संकट में डाल दिया। पार्टी ने 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस हार के बाद कांग्रेस ने एक समीक्षा बैठक बुलाने का निर्णय लिया, जो दिल्ली में मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर आयोजित हुई।
बैठक में राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बैठक का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि इतनी बड़ी हार के पीछे कौन से कारण हैं। खासकर तब जबकि 2020 में कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी।
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कांग्रेस की खराब प्रदर्शन के कारण
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के पीछे कई कारण थे। सबसे बड़ा कारण सीट बंटवारे में असहमति और मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर गठबंधन के भीतर उत्पन्न फूट था।
शुरू में RJD के तेजस्वी यादव ने खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया। इससे गठबंधन के भीतर मतभेद पैदा होने शुरू हो गए। बाद में कांग्रेस ने तेजस्वी को समर्थन देने का निर्णय लिया, तब तक नुकसान हो चुका था। इन आंतरिक मतभेदों का असर प्रचार से लेकर टिकट वितरण तक हर जगह दिखा।
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चुनाव में गड़बड़ी के लगाए आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनाव में गड़बड़ी की है, जो उनके हार का मुख्य कारण है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गड़बड़ियों के सबूत जुटा रही है। दो हफ्तों के भीतर ये सबूत जनता के सामने लाए जाएंगे। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव में कुछ गड़बड़ जरूर हुई है, जिससे उनके परिणाम प्रभावित हुए हैं।
टिकट वितरण और रणनीतिक समस्याएं
टिकट वितरण और गठबंधन के भीतर असमंजस, कांग्रेस की हार का एक और बड़ा कारण था। चुनाव से पहले सीट बंटवारे पर RJD और कांग्रेस के बीच असहमति रही। इससे आखिरी समय तक यह स्पष्ट नहीं था कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस असमंजस के कारण, गठबंधन की पार्टियों के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे। इस कारण वोट बंट गए और भाजपा को इसका फायदा हुआ।
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चुनावी प्रचार और बेअसर वादे
कांग्रेस और RJD ने चुनाव प्रचार में वोट चोरी और नीतीश कुमार की बीमार जैसे मुद्दे उठाए। हालांकि, इन मुद्दों ने वोटरों को आकर्षित नहीं किया। मतदाता अधिकार यात्रा (Voter Rights Yatra) के बाद राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने गठबंधन को कमजोर किया।
कांग्रेस ने हर परिवार को नौकरी, महिलाओं के लिए 30,000 रुपए और मुफ्त बिजली जैसे कई वादे किए। इन वादों को गंभीरता से नहीं लिया गया। वोटर इसे सिर्फ चुनावी जुमला मानने लगे।
महागठबंधन के वादे...
| क्रमांक | वादा/घोषणा |
| 1. | 🔴 200 यूनिट फ्री बिजली। |
| 2. | 🧑💼 हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी। |
| 3. | 🟢 गरीब परिवार को 500 रुपए में सिलेंडर। |
| 4. | 👩🏭 जीविका दीदियों, संविदाकर्मियों को स्थायी किया जाएगा। |
| 5. | 📜 पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे। |
| 6. | 💰 माई-बहिन मान योजना: महिलाओं को 1 दिसंबर से हर महीने 2500 रुपए। |
| 7. | 👵 विधवा/बुजुर्गों को 1500 रुपए महीने पेंशन। |
| 8. | ♿ दिव्यांगों को 3000 रुपए महीने पेंशन। |
| 9. | 🎓 प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फॉर्म और परीक्षा शुल्क खत्म। |
| 10. | 🚌 छात्रों को एग्जाम सेंटर तक आने-जाने के लिए फ्री यात्रा। |
| 11. | 🏫 हर अनुमंडल में महिला कॉलेज। |
| 12. | 🛡️ हर व्यक्ति को 25 लाख रुपए तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा। |
| 13. | 🛑 वक्फ संशोधन विधेयक पर रोक लगाई जाएगी। |
| 14. | 🪙 पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय भत्ता दोगुना, 50 लाख रुपए का बीमा। |
| 15. | ✅ अनुकंपा में 58 साल की सीमा बाध्यता को खत्म किया जाएगा। |
चुनावी वादे और उनका असर
महागठबंधन ने जो सबसे बड़ा वादा किया, वह था हर परिवार को सरकारी नौकरी देना। लेकिन बिहार में सरकारी नौकरी के पद सीमित होने के कारण यह वादा असंभव सा प्रतीत हुआ।
बिहार में 2.83 करोड़ परिवार हैं, जबकि सरकारी पदों की संख्या महज 3 लाख है। इस वादे पर लोगों ने गंभीर सवाल उठाए और इसे चुनावी स्टंट माना। इससे महागठबंधन की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ा।
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भविष्य के लिए कांग्रेस की रणनीति
आने वाले चुनावों में कांग्रेस को अपनी रणनीति को फिर से ढालने की जरूरत है। संगठन के भीतर फूट और गठबंधन के भीतर असहमति को सुलझाना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
साथ ही कांग्रेस को अपने चुनावी वादों को यथार्थपरक और प्रभावी बनाना होगा। पार्टी अब चुनावी गड़बड़ी के सबूत एकत्र कर रही है और उम्मीद जताती है कि आने वाले समय में इन सबूतों से पार्टी को राजनीतिक लाभ होगा।
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